Wednesday, March 15, 2017

खंण्ड-9 कल्पना की उडान

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)

खंण्ड-9 कल्पना की उडान

किशोर दिखने मे यह स्पेस खाली लग रहा होगा पर, तुम  अपनी कल्पना से भर सकते हो. तुम जो भी चाहो अपनी कल्पना से बना सकते हो. उसी तरह से जेसे तुम ने इस कमरे को बनाया  है. तुम्हे याद है धरती पर केसे तुम सोते समय सपने देखते थे.
हां वो तो है
तुमने एसे मजेदार सपने भी देखे होगे जिसके टूटने पर तुम्हे बेहद अफसोस हुआ होगा.
हां  एसा बहुत बार हुआ है
अब तुम्हारे पास एसी शक्ति है जिस से जब चाहो जेसा चाहो वेसे सपने का सृजन कर सकते हो. और सबसे बडी बात यह की उसके टूटने की चिंता भी नही होगी. जब तक तुम चाहो उस सपने को अनुभव कर सकते हो उसका आनंद ले सकते हो. वो भी  बिना  किसी अपराध बोध के...मेने देखा उसकी आंखो मे एक शरारती चमक थी, तो क्या मै कुछ भी कर सकता हू.
मुझे उसकी बात समझ आ रही थी पर मेरा मन असीम संभावनाओं से उल्लासित थी, मेने तसल्ली के लिये पूछा, यानी मे कोइ भी ड्रीम और फेंटेसी का मजा ले सकता हू.
हां भई हां.. यही तो मे बोल रहा हू. वो पहले वाले सपनों से ज्यादा असली होगा. और उसकी सीमा तुम्हारी अपनी कल्पना की सीमा होगी. तुम चाहो तो अपनी फेवरेट हिरोइन का सृजन कर सकते हो और वो खुशी खुशी तुम्हारी बात मानेगी... या फिर तुम्हे वो कष्ट भी दे स्कती है सब तुम्हारी कल्पना के उपर है.
 यानी की मै अपने लिये अच्छा सपना बुन सकता हू या खराब और डरावना सपना भी. सब मेरे  उपर  है ... क्या सच मे एसा होगा
मेरी उत्सुक्ता  देख किशन मुस्करा उठा
हां इस बार पहले वाले सपनों की तरह अधूरापन नही होगा. उसकी टूटने का डर भी नही होगा. उनमे धुंधलापन नही होगा. तुम्हे लगेगा जेसे धरती पर ही अपनी मर्जी से दिन बिता रहे हो.
एक बात ओर, यंहा तुम मात्र दृष्टा नही हो कर्ता भी हो. तुम इसे मात्र बना ही नही रहे हो इसमे भाग भी ले रहे हो. तुम इसे पूरी तरह अनुभव करते हुये उसे भोगोगे भी.
किशन की बांतो ने मुझे असीम उत्साह से भर दिया. बस मुझे यह समझ नही आ रहा था की इसकी शुरूआत केसे करू.
तो क्या तुम तैयार हो... सब बहुत आसान है, बस तुम्हे यह समझना है यंहा कुछ भी भौतिक नही है, यंहा सब कुछ अध्यात्मिक है सब कुछ इस बात पर निर्भर है की तुम अपने को केसे देखते हो और और क्या चाहते हो.
अब जेसे जब तुमने इस रूम को बनाया था तो तुमने कोइ कंमाड नही दिया था. ना ही तुमने इसे परत दर परत बनाया. बस तुमने चाहा और हो गया. यह सब तुम्हारे अवचेतन ने तुम्हे बना कर दे दिया.
इसका मतलब यह हुआ की मे इस कमरे मे मनचाहा बदलाब भी कर सकता हू. 
हां कर सकते हो
ओके इसे समझने के लिये आसान सी शुरूआत कर सकते हो
एसा करो, इस कमरे के बीच मे फ्लोर पर एक बोक्स बनाओ.
मेने किशन की बांतो को समझते हुये गत्ते के बाक्स की कल्पना की और उस पर ध्यान लगाते हुये उसे कमरे के बीच फ्लोर पर देखने की कोशिश करने लगा... पलक झपकते ही जेसा मेने सोचा था वेसा बाक्स कमरे के बीच मे मुझे दिखाई देने लगा. मेने बढकर उस पर हाथ फेरा वो सच मे असली डिब्बा था. एक एसा डिब्बा जिसका कलर ब्राउन था, जेसे नये टीवी का बाक्स हो. उसका फिलेप उपर से खुलने वाला था. मजबूत गत्ते का बना हुआ डिब्बा.
किशोर तुमने जब बाक्स के बारे मे सोचा तो तुम्हारा ध्यान इसकी खास खास बातों पर ही गया होगा. जेसे उसका साइज, कलर,  पर बाक्स बनाने मे और भी  बहुत कुछ लगा होगा जिसे तुम्हारे अंतरमन मे स्वयं ही बना दिया.
मै समझा नही
 जेसे बाक्स के फ्लेप की डिजाइन के बारे मे नही सोचा होगा,  इसमे इस्तेमाल होने वाले गत्ते के पदार्थ के बारे मे कोइ विस्तृत निर्देश नही दिया होगा. जेसे उसमे कोन सा पदार्थ मिला हुआ है और उसकी कितनी लेयर है. उसकी कितनी मोटाई है,  नाही तुमने इसकी मजबूती पर ज्यादा ध्यान दिया होगा.
उसके बाबजूद पूरी तरह तैयार बाक्स बाक्स तुम्हारे सामने है, क्योंकी बाकी का काम तुम्हारे अंरतरमन  ने कर दिया. और अब तुम्हारे सामने एक शान दार डिब्बा है
सच तो यह है की अगर तुम्हे बाक्स  बनाते वक्त उसकी हर बारीक से बारीक डिटेल के बारे मे सोचना पडता  तो तुम जल्द ही इससे उकता जाते. अरे तुम बाक्स क्या एसे मे तुम एक कागज का टुकडा भी नही  बना पाते.  
याद है जब तुम इस कमरे मे आये थे तो ये कमरा तुम्हारे आने से  पहले ही मोजूद था. इस कमरे के बारे मे तुम्हे उस तरह नही सोचना पडा  जिस तरह  तुम इस बाक्स के बारे मे सोच रहे थे. वो सब काम तुम्हारा अवचेतन ने कर दिया था.
बाक्स एक जानबूझकर सोचा समझा इरादा था पर सपनों के बारे सोचो क्या उन्हे तुमने कभी एक एक करके बुना. नही ना!
वो तो बस तुम्हारे विचारों के आधार पर अंतरमन ने पैदा कर दिया.
वेसा ही कुछ तुम्हे यंहा करना है बस तुम्हे अपने अंतरमन के वाल्ब को खोल देना है जिससे तुम्हारे कल्पना सरलता से बहने लगे. फिर देखो केसे सब  तुम्हारे विचारों के अनुसार सब बनता चला जायेगा.
क्या एसा मै कर पाउगा
हां किशोर, तुमने अपनी चाहत से यह स्पेस भरा है, अब तुम्हे चाहत को अपनी कल्पना से भरना है
तुम धरती पर एसा नही कर पा रहे थे क्योंकी तब तुम्हारा शरीर और उसकी इन्द्रीयां तुम्हारा ध्यान बिंदु थी. वंहा तुमने वही किया जो शरीर ने चाहा. तुम वंहा सारा समय उसकी  सुरक्षा मे लगे रहे या फिर उसके भूख और प्यास की चिंता करते रहे. तुम 8 से 10 घंटे सोते थे जिससे तुम्हारा शरीर रिलेक्स कर सके और तुम्हारा शरीर जरूरी रिपेयर और सफाइ कर सके.
पर यंहा एसा कुछ नही है. यंहा तुम मात्र एक चेतना हो.
जिस तरह तुम भाषा सीखने के लिये  पहले अक्षर सीखते हो उसके बाद शब्द और फिर वाक्य बनाते है...उसके बाद देखते देखते तुम कहानी बनाने लगते हो. वेसा ही कुछ अब तुम्हे यंहा करना है. बाक्स तुम्हारी सीख का पहला शब्द है.
 मेने आगे बढकर बाक्स को हिलाया वो भारी गत्ते का बना हुआ बाक्स था. जो मेरे धक्का देने से बस थोडा हिला भर.
किशन ने सही कहा था मेने तो बाक्स की कल्पना भर की थी,  एक एसा बाक्स जो मजबूत हो, एसा  करते वक्त मेरे दिमाग मे टीवी  बाक्स की चित्र उभरा था, इसका इस जगह होना सोचा. अब वेसा ही बाक्स यंहा पर है.
किशन क्या यह मेरा दिमागी ख्याल है.
हां यह पहले तुम्हारे दिमाग मे था पर अब यह इस स्पेस मे है अभी इसे भौतिक बस्तु समझने की गलती नही करो. पर साथ ही यह धोखा नही है. अगर तुम पूछोगे की बाक्स तुम्हारा ही पार्ट है या तुम से अलग तो मै कहूंगा की यह दोनों ही है.
दोनों केसे हो सकता है
क्योंकी यह बाक्स अभौतिक स्पेस मे है. इस लिये यह कुछ हद तक स्वतंत्र है किशन ने बाक्स पर हाथ मारा ..एक जोर दार आवाज गूंज उठी.
देखा तुमने यह तो नही सोचा होगा की मे बाक्स पर हाथ मारूगा और वो हंस दिया.
किशोर इस बाक्स को खोल कर तो देखो की इसमे हे क्या.
मेरे अदंर भी कोतूहल जाग उठा... उसका फ्लेप को जेसे ही मेने उठाया एक के बाद एक पंक्षी बाक्से से बाहर आने लगे कमरा पक्षीयों की आवाज से  गूंज उठा. वो सब मेरे जाने पहचाने पंक्षी थे. उनमे तोता, मैना, गौरैया, कोवा, मोर, कबूतर  थे.  एक एक करके सेकडों पंक्षी बाक्स से निकल कर कमरे मे उडने लगे
मेने उनके पंखो की फडफडाहट को महसूस किया. उनके पंख मेरे गालों को छोकर निकले. उनके द्वारा पैदा हुई लहर को भी  महसूस किया. कमरा उनकी आवाजों से गूंज उठा. वो अब भी  कमरे मे इधर उधर उड रहे है. मेने एक बार फिर बाक्स मे झांका वो अब खाली था.
मुझे विश्वास नही हो रहा है की यह सब भी इतनी आसानी से हो सकता है.
बहुत अच्छा किशोर तुम चीजों को आसानी से स्वीकार कर पा रहे हो. ये पंक्षी भी तुम्हारी ही कल्पना थी ना .
अगर तुम सच मे अंचभित्त हो तो इसका मतलब यह है की तुम्हारे अदंर मोजूद रचनात्मकता ने बिना गाइडेंस के अपना कमाल कर दिखाया है. 
हां जब मेने बाक्स का फ्लेप खोला था तो एसा ही कुछ सोचा था पर इसकी पहले से कोइ प्लानिंग नही थी. बस एसा हो गया.
वो अब भी कमरे मे उड रहे है, एक बार फिर मेने शांत कमरे की कल्पना की... एक एक करके पंक्षी कमरे से गायब हो गये. थोडी देर मे सब कुछ शांत हो गया..
चंन्द्र क्या होता अगर वो पंक्षी न हो कर कुछ ओर होते.
क्या मतलब?
तुमने बोला मेरी कल्पना ने इन पंक्षीयों को बाक्स से पैदा किया. यह भी सही है की इसे मेने समझ बूझकर गंभीरता से उन्हे सिलेक्य़ट नही किया था.
जितने पंक्षी इसमे से निकले इस साइज के बाक्स मे वो किसी हालत मे नही समा सकते थे. इसका मतलब बाक्स के साइज से कोइ खास मतलब नही था. और भी पंक्षी इसमे से निकल सकते थे. या कुछ ओर भी बडा और खतरनाक इस मे से निकल सकता था.
किशन मेरी घबराहट को समझते हुये मुस्करा दिया.
ओह तो तुम इस बात को सोच कर घबरा रहे हो की इसमे एसा कुछ भी निकल सकता था जो तुम्हे नुकसान पहुचा सकता था या तुम्हे मार सकता था.
हां ... अगर पंक्षी की जगह इसमे से सांप या फिर शेर निकलता तो मुझे जरा भी अच्छा नही लगता.
तुम एक बात अच्छी तरह समझ लो अगर शेर आ भी जाता तो तुम्हे खा नही सकता था.
पर मेने पंक्षीयों के पंखो को उस के पंखों के फडफडाने से हवा मे उठी लहर महसूस किया था. मै यह बिल्कुल नही सोचना चाहता की शेर ने मुझे दो टुकडो मे फाडने की कोशिश की होती.
रिलेक्स ...अगर शेरों का झुंड भी होता तो भी वो तुम्हे नही मार सकता था. सरकस के रिंग नास्टर के सामने जेसे शेर दहाडते है, गुर्राते है पर उसका कुछ नही बिगाड पाते वेसा ही कुछ होता.
पर अगर उन्होने मेरे उपर आक्रमण किया होता तो क्या होता
यह सब तुम्हारी कल्पना पर निर्भर है. इस बात पर निर्भर करता की तुम अपनी कल्पना के साथ केसे खिलवाड करते हो.
ओके मे तुम्हे एक घूसा मारता हू , तुम्हे उससे कोइ नुकसान नही होगा..यंहा तक की तुम उसे महसूस भी नही कर पाओगे. क्योंकी अगर तुम मात्र अध्यात्मिक हो तो तुम्हे मे केसे छू सकता हू ... एसा कहते हुये किशन ने हवा मे हाथ लहराते हुये हाथ की उगलियों को कस कर बंद किया,  मुठ्ठी हवा मे लहराइ और पलक झपकते ही उसने जोर दार तरीके से मेरे सीने पर वार किया... सच मुझे कुछ भी महसूस नही हुआ
तुम सही कह रहे थे मुझे कुछ भी महसूस नही हुआ.
यह पूरा सच नही है मेने तो पंक्षीयों की पंखो की फडफडाहट को अपने चहरे पर महसूस किया था. उसके पैदा हुई हवा की लहर को भी मेने महसूस किया था. और तुमने भी तो अभी मुहे कहा की शेर मुझे नुकसान पहुचा सकते थे.
अरे अभी मेने अपनी बात पूरी कंहा की है...
अब तुम सोचो की तुम्हारा शरीर भौतिक है जब मै घूसा मारू तो तुम्हे इस तरह सोचना है की यह तुम्हारा भौतिक शरीर है.  और मेरा घूंसा फोलादी है.
इस बार सच मे उसके घूसे ने मेरे जबडे को बुरी तरह हिला दिया,  मै दर्द से चिल्ला उठा.
यह मजेदार रहा. अगर मे चाहू तो अपने शरीर के दर्द को महसूस कर सकता हू उसे नुकसान भी पहुचा सकता हू.
इस तरह वो सब मेरी सोच का हिस्सा होगा... मेरे अनुभव का हिस्सा होगा.. मेरे शरीर को तो कोई नुकसान पहुचा ही नही सकता क्योंकी मेरा तो कोइ शरीर ही नही है ... मै अपनी बात समझ कर मुसकरा उठा.
तुम कितना दर्द महसूस करना चाहते हो वो सब तुम्हारे उपर है.
पर किशन कोइ दर्द क्यों चाह्वेगा.
किशोर सब की अपनी अपनी इच्छाये और फंतासी हो सकती है.
तुमने धरती पर अपराध बोध के बारे मे सुना होगा किशोर
हां मेने सुना ही नही उसे भोगा भी है.
क्या समझते  हो अपराध बोध के बारे मे.   
यही की इस में व्यक्ति अपने दिल और दिमाग पे एक बोझ महसूस करता है की उसने गलत किया है. उसकी आत्मा उसे कचोटती है की उसके द्वारा किया गया कार्य कितना गलत था, उसी  गलती यानी अपराध का ध्यान यानी बोध ही अपराधबोध है. यह उसे कुछ ऐसा करने को मजबूर करता है ..की जिससे वो अपने अपराध की भरपाई कर सके.
एसे मे वो अपने को सजा देना चाहता है.  इसमे अगर कोइ जकड़ जाए तो ..वो अपनी इच्छा से अपना बलिदान भी करने के लिए राजी हो जाता है. अपने शरीर को गंभीर क्षती पहुचा सकता है.
तो तुम अब क्या करना चाहते हो.
फिलहाल मुझे कोइ अपराध बोध नही है इसलिये मे अभी एसा कुछ नही करना चाहता की मुझे कोइ दर्द हो...मेने हंसते हुये कहा.
वो सब ठीक है पर अब तुम्हारा क्या मूड है. मुझे लगता है तुम अपनी कल्पना के साथ खेलना चाहते हो.
हेना ..किशन ने शरारत से मुझे देखा.
मे संगीतकार बनना चाहता था, गिटार पर मधुर धुन बजाना चाहता था इस काम को धरती पर कभी नही कर सका. मेरे अदंर कंही संगीतकार बनने की इच्छा थी. जिसमे मे धरती पर बिल्कुल भी सफल नही हो सका. मुझे लगने लगा कुछ लोगों मे यह सब पैदाइशी होता है. मुझे इस बात का पूरी जिंदगी अफसोस रहा.
मां बाप ने कभी मना नही किया बल्की उन्होने मुझे म्यूजिक एकेडमी मे भी  भेजा पर मेरे लिये म्यूजिक काला अक्षर भेंस बराबर साबित हुआ.
 किशन,  मै कितना भी कोशिश करता पर कुछ हासिल नही हो सका. साधारण से लगने वाले म्यूजिकल नोटस भी नही बजा पाता. एसा नही है की मेने कोशिश नही की मेने पोपूलर गाने के नोटस भी याद किये पर जब भी बजाने की कोशिश करता तो मेरी उगलिया जेसे मेरा साथ नही देती और हर बार गलत नोटस दबने के कारण सब गडबड हो जाता.
सब मेरी हंसी उडाते धीरे धीरे मुझे खुद लगने लगा की यह सब मेरे बस की बात नही है. मुझे अपने से बडी कोफ्त होती जब उसी गाने को किसी तीन साल के बच्चे को आसानी से बजाते देखता.
मै समझ गया की संगीत मेरे बस की बात नही. मुझे लोगों ने बताया की यह तो पैदाइशी गुण होता है. इस हार को मे कभी पचा नही पाया, इस बात का अफसोस मुझे सारी जिंदगी रहा. अगर सच में किसी म्यूजिकल इंसट्रूमेंट को बजा पाता तो वो मेरे लिये असली चमत्कार होगा...खाली डिब्बे से पंक्षीयों को उडाना एक बात है और किसी म्यूजिकल इंसट्रूमेंट को सुरीला बजाना दूसरी बात.
किशोर, अब इतना निराश होने की तुम्हे कतई जरूरत नही है  मेने कहा ना यंहा कुछ भी असंभव नही है. तुम चाहो तो अच्छा संगीत पैदा कर सकते हो. यंहा कुछ भी असंभव नही है.
पैदाइशी गुण जैसा कुछ भी नही होता. हो सकता है किसी कारण से तुम्हारा दिमाग और तुम्हारी उगलियां का तालमेल ना हो सका हो, पर यंहा शरीर की एसी कोइ बाधा नही है. तुम अगर अच्छे संगीत की कल्पना कर सकते हो या उसका सृजन दिमाग मे कर सकते हो तो उसे बजा भी सकते हो.
किशन अब मे देखना चाहता था की क्या सच मे गिटार बजा सकता हू. एक अच्छा संगीत कार बन सकता हू. किशन मै गिटार पर मधुर धुन बजाना चाहता हू
गिटार...का मै बचपन से ही दिवाना रहा. पर इसको बजाना तो दूर ढंग से कभी उसे हाथ से पकड भी नही सका. अगर मे उसे बजा सका तो सच मे मेरे लिये यह एक चमत्कार होगा.
तो फिर तुम्हे रोका किसने है, तुम्हे मालुम है की अपना संसार केसे रचना है. इस दुनिया मे तुम यह अपनी हर इच्छा पूरी कर सकते हो. 
ओके किशोर, तुम अपनी कल्पना के साथ प्रयोग करो तब तक मे गायब हो जाता हू.
चिंता नही करो जेसे ही तुम मुझे याद करोगे मे तुम्हारे सामने आ जाउगा. क्योंकी मे तुम्हारी ही चेतना का एक हिस्सा भर हू. मै तुमसे अलग नही हू.
मै उसकी बातों को समझ गया और मुस्कराहट के साथ उसे विदा किया
अब मै कमरे मे बिल्कुल अकेला था. अपनी कल्पनाओं की साथ खेलने को मेरा मन मचल उठा... एसा बहुत कुछ था जिसे धरती पर करने की कल्पना करता रह गया,  पर उसे कर ना सका.

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