आपस की बात

मेरे प्रिय ब्लागर्स,
यह ब्लाग दूसरों की कमियों पर ढोल पीटने वालों के लिये नही है. यह तो उन स्वत: स्फूर्त आंन्दमयी लोगों के लिये है जो अपने विचारों, कार्यों और सहयोग्पूर्ण आचरण से नई आशा और उम्मीद के केन्द्र बिन्दु बनकर सभी के लिये प्रेरणा के स्रोत बनते है. यह उनके लिये भी है जो रोजमर्रा की उलझनों से घिरे एसे हल की खोज मे है जो उनके बंजर हो चुके वैचारिक खेत में विचारों की नई फसल उगा सके .

उम्मीद है कि यह मेरी और आपकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक बेहतरीन माध्यम साबित होगा. ओन लाइन होने से हम अपनी प्रतिक्रिया तुरंत दे सकते है और मन में उठने वाले सवालों को हम सब के बीच आसानी से ला कर एक अच्छे विचार मंथन की शुरूआत कर सकते है. पर इसके लिये संवाद का होना बहुत जरूरी है. उसके लिये उम्मेद है की ओन लाइन कमेंट्स का भरपूर उपयोग करते हुये सवांद कायम रखेगे.

अकसर हम मुद्दे खोजते हे फिर उस पर बहस करते है. अकसर बहस दो तरफा होती है. मतलब की आप एक साइड और मैं दूसरी साइड, हम जीतने के मकसद से सिर्फ वो ही बोलते हे जिसे बोलने से अपनी साइड मजबूत होती हो. उसके लिये अगर किसी अहम तथ्य को छुपाना पडे तो उसे भी हम बाखूबी करते है. . एक अदालती बहस की तरह..! नतीजा हम अकसर सच से दूर हो जाते हे. जिस सच की तलाश के लिये बहस शुरू की थी उससे भटक जाते है. मजा तो तब हे की जब मैं आपकी नजर से देख सकू और आप मेरी नजर से. और फिर जब दोनों एक साथ देखे तो कुछ नया दिखे...कुछ ऐसा मिले जो हमारी मिली जुली खोज हो. उम्मीद है यह साइट इसमें खरी उतरेगी.

जब तक लिखी बात पढने वाले को समझ मे आती हो तब तक इससे कोई फर्क नही पडता की हम लिखने के लिये किस भाषा का इस्तेमाल करते है. इसी विचार को ध्यान मे रखकर इस ब्लाग पर इंग्लिश और हिन्दी का प्रयोग सहूलियत के हिसाब से किया गया है. क्योंकि इस प्रयास का मकसद किसी भाषा को स्थापित करने की जगह आपस में संवाद कायम कर उन सभी विषयों पर मंथन करना है जो हमारी रोजमर्रा की जिदंगी से ताल्लुक रखते है. विचारों के इस सागर मंथन मे हो सकता है हमे अमृत ना मिले, पर एसा भी नही होगा की हमें सिर्फ कीचड मिले.

मेरे दिमाग के अंदर जो कुछ भी चलता है या चलने वाला है वो पहले इस पेज पर आता है. इसलिये जो भी इस पर लिखा जायेगा जरूरी नही की मे उससे सहमत हू. बस इतना भर है की वो मेरे दिमाग मे आया...और उस पर मंथन चालू है.

आप कुछ ही दिनों मे समझ जायेगे की मेरी व्याकरण बहुत कमजोर है और लिखने मे भी बहुत गलतियां करता हू. पर इस आशा के साथ की ये छोटी छोटी बातें हमारे बीच के संवाद को कमजोर नही होने देंगी और यह भी उम्मीद है कि समय के साथ इसमे सुधार होता जायेगा.
आशा है की आप सभी का मार्ग दर्शन और सुझाव मुझे और इस ब्लाग को हर गुजरते लम्हे के साथ ओर बेहतर बनाता जाएगा।



सादर!

आपका

दुर्वेश