Wednesday, November 16, 2011

मस्तिक तंरगे(Brain wave)

वैज्ञानिक शोध से पता चला की मस्तिक विद्युत तंरगे पैदा करता है. इन मस्तिक तंरगो का व्यक्ति के मन स्थति के अनुसार एक निश्चित पेटर्न होता है. जिसे माप कर व्यक्ति के दिमाग के क्रिया-कलाप के स्तर का पता लगाया जा सकता है. यह पता लगा है की क्रियाशील दिमाग बीटा विद्युत तंरगे पैदा करता है जिसकी आवृति 15 से 40 चक्र हो सकती है. सक्रिय बातचीत में भी एक व्यक्ति बीटा तरंगों पैदा करेगा इसी तरह एक भाषण, देने वाला या एक शिक्षक क्लास में बच्चों को पढाते समय बीटा तंरेगे पैदा करेगे, वंही झगड़ने वाला उच्च बीटा में होगा.


अगली अवृति श्रेणी की तरंग अल्फा है. जहाँ बीटा उत्तेजना का प्रतिनिधित्व करती है, वही अल्फा गैर उत्तेजित मन का प्रतिनिधित्व करती है. अल्फा मास्तिक तंरगे की आव्रति कम है, पर आयाम में ये बीटा से उच्च हैं. इनकी आवृत्ति 9 से 14 चक्र प्रति सेकंड हो सकती है. एक व्यक्ति जो किसी कार्य को पूरा कर आराम करने के लिए बैठता है उसका दिमाग अल्फा तंरगे उतस्रजित करने लगता है. बगीचे में टहल रहा वयक्ति का दिमाग भी अकसर अल्फा स्थति में होगा

अगली श्रेणी, थीटा मास्तिक तंरगे की आती है, ये भी पहले वाली से अधिक आयाम और धीमी आवृत्ति होती है. थीटा मास्तिक तंरगों की आवृत्ति रेंज आम तौर पर 5 और 8 चक्र है. एक व्यक्ति जो उनींदा सा हो, अक्सर उसका मास्तिक थीटा स्थति में होगा. जेसे एक व्यक्ति अगर हाईवे पर गाडी चला रहा हो, और उसे याद नहीं की पिछले 1-2 मील कैसे गुजर गये तो संभवत: उसका दिमाग थीटा मास्तिक तंरगे में होगा. जो अकसर हाईवे ड्राइविंग की प्रक्रिया की एकरस्ता से प्रेरित हो जाता है. ट्ढी मेडी घुमाव दार उबड खाबड सडके ड्राईवर को सजग बीटा स्थति में रेखेगी वही हाइवे पर अकसर ड्राइवर थीटा मास्तिक तंरगे की स्थति का अनुभव करेगा.

अकसर थीटा मास्तिक अवधियों के दौरान अच्छे विचार आने लगते है. यह स्नान करते हुये या हजामत बनाते या ब्रश करते हुये भी हो सकता है यह एक स्थति है जहां कार्य तो स्वत: हो जाते हैं और मन कही और होता है. थीटा स्थति के दौरान विचार अक्सर मुक्त प्रवाह के होते है और सेंसरशिप या अपराधबोध के बिना होता है. यह आमतौर पर एक बहुत ही सकारात्मक मानसिक स्थिति है.

अंतिम मास्तिक तंरग स्थति डेल्टा है. यहाँ मास्तिक तंरगे सबसे बड़ा आयाम और धीमी आवृत्ति के हैं. वे आम तौर पर 1.5 से 4 चक्र प्रति सेकंड होती है. यह कभी भी शून्य नहीं हो सकती क्योंकी तब इसका मतल्ब मृत मस्तिष्क होगा. लेकिन, गहरी स्वप्न रहित नींद में यह सबसे कम आवृत्ति 2 से 3 चक्र तक जा स्कती है.

जब हम बिस्तर पर नींद से पहले कुछ मिनट के लिए पढ़ते तो मस्तिक तंरगे का लो बीटा में होने की संभावना होती हैं. जब हम पुस्तक नीचे रख आँखें बंद करते है तो अल्फा या थीटा स्थति में हो सकती है. अंत में, जब नींद से भारी पलके हमे मस्तिक को डेल्टा तरंग़ में होने का संकेत देती है. रात भर की नींद में हम कई बार इन चारों स्थति में से गुजरते है इन चारों स्थतियों का एक चक्र करीब 90 मिनिट में पूर्ण होता है इस तरह रात भर की नींद में हम 4 से 6 चक्र पूरा करते है.

संक्षेप में सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का मस्तिक इन चार मास्तिक तंरग स्थतियों जो उच्च आयाम, कम आवृत्ति डेल्टा से कम आयाम, उच्च आवृत्ति बीटा की विभिन्न स्थतियों का मिश्रण होता है, से गुजरता है. अनुसंधान में देखा गया की कीसी भी स्थति में यह चार प्रकार कि तंरगे का मिश्रित सवरूप हमारे मस्तिक में बनता रहता है. पर मन स्थति के अनुसार उनमे चारों प्रकार की तंरगो के ताकत अलग अलग हो सकती है. गहरी नींद में बीटा तरंगे अपने सबसे सूक्ष्म स्थति में होती है. वही पूर्ण सजगता में डेल्टा तंरगे बहुत कमजोर होती है. किसी एक प्रकार की मास्तिक तंरग स्थति का प्रबल होना, व्यक्ति की गतिविधि के स्तर के आधार पर हो सकता है, शेष तीन मस्तिष्क तंरगे भी मिश्रत अवस्था में रहेगी पर उनकी स्थति पहली वाली से कमजोर रहेगी. इस तरह इन चारों प्रकार कि तरंगो का आपस में साक्षेप स्थति उस समय मन स्थति तय करेगी.

प्रयोगों से देखा गया की बाहरी कारण इन तंरगों को सीधा प्रभावित करते है. मेरा व्यक्तिगत अनुभव है की इन ब्रेन बेव्स को बिना किसी रासायनिक ड्रग को लिये बिना भी आसानी से बदला जा सकता है. इस तरह इनका उपयोग हम अपने मस्तिक कि कार्य क्षमता को बढाने में कर सकते है. आसानी से किसी भी समय रिलेक्स फोकस और क्रीयेटिव हो सकते है. जरूरत पढने पर गहरी नींद मे जा सकते है या फिर उनींदे दिमाग को चाय या काफी पिये बिना सजग बना सकते है.

हम इन मस्तिक तंरगों को नियंत्रित कर हम मन की विभिन्न स्थ्ति पर काबू पा सकते है. और काफी हद तक उसे मन चाही स्थति में ला जा सकते है. अब जेसे पिछले उदाहरण में हाइवे पर ड्राइव करने की स्थति में मस्तिक में उठती थीटा तंरगे ड्राइवर को आंनद और ताजगी का अनुभव कराती है और वो आरामदायक स्थति का अनुभव करता है. पर ड्राइव करने वाले के लिये यह खतेरे कि स्थति हो सकती है क्योंकी उसके तुरंत बाद मस्तिक डेल्टा स्थति में जाने के लिये तैयार रहता है. जो एक निद्रा की स्थति बनकर अनेक बार एक्सीडेंट का कारण बन जाती है. अब ड्राइवर एसे उपाय कर सकते है जिससे अपने को थीटा स्थति में जाने से रोक सके. अब तक ड्राइवर ठंडे पानी के छींटे आंखो पर मार कर, चाय और सिगरेट पीकर अपने को उस स्थति में जाने से रोकते थे. अब उससे बेहतर उपाय खोज लिये गये है.

एसे बहुत सारे रासायनिक और भौतिक उपाय है जिनसे इन तंरगों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. चरस और गांजा का सेवन कर अकसर लोग गहरी थीटा स्थति में सपनों की दुनिया में पहुच जाते है. उसी तरह शराब का सेवन उन्हे एल्फा या थीटा स्थति में ले जाता है जहां वो आराम का अनुभव करते है. पर इन ड्र्ग्स के खतरनाक दुष्परिणाम इनके उपयोग को बेहद सिमित कर देते है.

लय और रिदिम पर आधारित विधिया ध्यान और रिलेक्शेश्न के लिये खोजी या विकिसित की गई. जो सदियों से लोग इस्तेमाल कर रहे है. जेसे झूमना, झूलना, ड्रमबीट्स पर नाचना या थिरकना, या फिर बस सुनना, सूफीयाना स्टाइल में गोल गोल घूमना. बेली, कथक. मदिंर या गिरजाघर में बजते घंटे घंटीयां की आवाज. ताली पीटते और गरदन दांये बांये घुमाते हुये ध्यान और आराम का अनुभव करना. शास्त्रीय संगीत भी हमे इसी कारण एक आत्म शांति का अनुभव कराता है.

एक छोटा सा प्रयोग करके देखे. आंखो को बंद करे और शरीर को डीला छोडते हुये गरदन को दांये और बांये अपनी आराम सुविधा के अनुसार जितनी दूर ले जा सकते है ले जाते हुये एक लय में झूमते हुये कुछ देर तक हिलाना शुरू कर दे. आवृति 50 से 80 प्रति मिनिट और उसके बाद महसूस करे कि केसा लगा. पर ध्यान रहे जिन्हे गरदन दर्द रहता हो या फिर अगर ऐसा करने से चक्कर आते हो तो ना करे.

एक और प्रयोग करके देखे. हाथों को दांये बांये पूरा फेलाते हुये आंखे बंद कर तेजी से घूमना शुरू करते हुये कम से कम 10 चक्कर पूरा करे. अब यही आंखे खोल कर करके देखे. कोन सा असान था और क्यों. अच्छा इस बार घूमते हुये आंखे बंद कर किसी आसान से गण्ति के जोड को करके देखे देखे जेसे 79+13+37=?...देखा चक्कर आने लगा ना....यही इसकी खूबी है. आप इस तरह घूमते हुये चाहते हुये भी कुछ सोच नहीं सकते क्योंकी सोचते है आपका संतुलन बिगड जायेगा. इसी सिद्धांत को इस्तेमाल करते हुये एक सूफी फकीर घंटो ऐसा करते हुये गहरे ध्यान में उतर सकता है.

कुछ बोडी मूवमेंट्स की विधियों का ग्राफिक विवरण दिया गया है. ज्यादातर से आप प्रचलित होंगे. ये सब विधियां रिलेक्स, या फिर ध्यान में लिये इस्तेमाल की जाती है. इसमे कुछ को जरूर करके देखे और उसका प्रभाव देखें

बाजार मे न्यूरल बीट और ब्रेन बेव पर आधारित ओडीयो उपल्बध है जिसे उसके प्रकार के अनुसार मस्तिक तंरगों को उत्तेजित करने के लिये किया जाता है जिन्हे सुनकर आसानी से आप रिलेक्स, फोकस, और क्रीयेटिव, या ध्यान का अनुभव कर सकते है. नींद ना आ रही हो तो इसे सुनकर गहरी नींद के लिये मन को तैयार कर सकते है. अगर गहरी नींद और थकान हो रही है और जागना या सजग रहना जरूरी है तो यह आपको सजग और उत्तेजित रखेगी.

रात को बिस्तर पर लेटने से पहले किताब पढ़ना अच्छा लगता था पर इधर कुछ महिनों से एसा करते ही पलके नींद से भारी हो जाती और 2 से 3 पेज भी पढ़ना मेरे लिये असंभव सा हो जाता. जब मेंने सजग रहने में मदद करने वाला ब्रेन बेव पर आधारित ओडीयो अपने आइ पोड से हेड फोन लगाकर सुनते हुये किताब पढना शुरू की तो आशचर्य जनक परिणाम मिले और आसानी से मेंने जब तक चाहा किताब पढता रहा. वो भी बिना किसी थकान और नींद का अनुभव किये. उसके बाद नींद लाने वाला ओडियो लगाया और कब नींद ने आ घेरा मुझे पता ही नहीं चला. आज कल रिलेक्स होने के लिये या फिर सपने देखने के लिये अकसर इसे इस्तेमाल करता हू.

यह शुरू शरू में सुनते समय अरूचिकर और अनचाहे शोर जेसा प्रतीत होंगी आप उस पर ध्यान ना दे और उसे अपना काम करने दे और आप अपना काम करते रहे. अगर आप सहन नहीं कर पा रहे है तो उसका वोल्यूम को कम करके देखें. अच्छा हो उसका वोल्यूम आप कम से कम इतना तो रखे जितना आप अकसर पोप संगीत सुनते समय रखते है. कुछ समय बाद इनसे डीस्टर्ब हुये बिना काम करने की आदत सी बन जायेगी वेसे  ही जेसे  बस की खड, खड भड भड की आवाज आपको गहरी नींद में सुला देती है.. और अगर हजार कोशिश के बाद भी ऐसा ना हो तो साफ है की यह विधि आप के लिये नहीं है. :)
याद रहे इन्हे हेड्फोन लगाकर सुना जाता है. क्योंकी यह न्यूरल बीट्स पर अधारित होते है. दांयॉ और बांई ध्वनी मस्तिक के अदंर पहुचकर कम आवृति की बीट्स बनाती है जो चाही गई मस्तिक तंरगों को उत्पन्न करने मे मदद गार होती है.

फ्री mp3 ओडीयो ब्रेन बेव सेम्पल के लिए आप मुझे vichar2000@gmail.com  पर मेल कर सकते है.



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