Wednesday, March 15, 2017

खंड -12 नर्क का अहसाहस

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)

खंड -12 नर्क का अहसाहस

हमने खुद  को  घने जंगल के बीच पाया. घने पेडों से घिरे छोटे से मैदान मे एक हिरणों का झुंड दिखाई दे रहा है. पूर्णिमा के चांद की रोशनी उस छोटे  से मैदान को रोशन कर रही है. रह रह कर आती जंगली जानवरों की  आवाजें.
किशन के कहे अनुसार मेने एक हिरण  के साथ अपनी चेतना को जोड लिया.  अब जो कुछ हिरण महसूस कर रहा था वही सब मै भी महसूस कर रहा था. हल्की सी आहट पर मै कांप उठता. मेरे  नथुने चिर परिचित गंध सूघने की कोशिश करते रहते. हवा मे फेली अनेक गंधे. कुछ गंधे तो जानी  पहचानी लगी और कुछ मेरे लिये पूरी तरह अनजानी. गंधों का एसा संसार मेरे लिये नया था. कुछ बहुत मोहक थी तो कुछ बदबू से भरी. मै इन गंधों को नही समझ पा रहा हू.
हिरण की चेतना से जुडने से पहले जंगल जितना शांत ल्ग रहा था अब नही रहा. ध्वनीयों का एसा शोर लगा जेसे किसी मछली बजार मे हू. मै समझ गया की यह हिरण को जगंल मे जिंदा रखने का महत्व पूर्ण आधार थी.
मुझे मालुम है कुछ गंध और ध्वनी उसे खतरे का अहसाहस करा सकती थी. एसी गंध जिसका  पता चलते ही हिरण को भाग खडा होना था. सब हिरण एक दूसरे को खतरे का संकेत देने के लिये हरदम तैयार. डर के साये मे हिरण बेहद चौकन्ना है. रह रह कर गूंजती जंगली आवाजों के बीच गुजरती रात.  सभी जवान युवा हिरण  रात भर चोकन्ने पेहरा दे रहे है बच्चे और मादाओं को उन्होने  बीच  मे रखा हुआ है. डर पूरी तरह अपने चरम पर है. उसके बाबजूद मेरी आंखे नींद से भारी है... एक  पल की  झपकी
अचानक झुंड मे भगदड मच गई. किसी का हमला था... मै कुछ समझ पाता तब तक सब जा चुके थे मुझे समझ नही आया की मुझे किस तरफ भागना है. जब तक मे कुछ समझ पाता मेरे पुठ्ठों मे तेज नस्तर की तरह कुछ चुभा मै कुछ समझ पाता तब तक मेरी गरदन मे भी नस्तर की तरह उसके दांत घुस गये. वो जंगली कुत्तों का हमला था.
एक दो कुत्ते होते तो मै  उन्हे अपने सीगों से घायल कर खुद को बचा सकता था पर वो झुंड मे थे और मेरे चारों तरफ थे...मै मौत से घिर गया था, मौत मेरे सामने थी ..
तीखा दर्द मेरे सारे बदन मे दौड रहा है मै दर्द से तडप रहा हू. मै असाहाय होकर  जमीन पर गिर गया. कुछ  देर के लिये उन्होने मुझे छोड दिया. लगा मे अब भाग सकता हू पर जेसे ही मे थोडा हिला उन्होने इस बार और जबरदस्त तरीके से मुझे चीरना शुरू कर दिया...मेरे संगी साथी सब भाग चुके थे मुझे बचाने वाल कोइ  नही था.
वो रहरह कर मेरा मांस नोचते... मै जिंदा था और जिंदा ही वो मुझे खा रहे थे. एसी दर्दनाक मौत... हे भगवान क्या यही नर्क है. सच था एस तरह असाहाय और डरा हुआ पहले मे कभी नही था. अब तक के दर्द का हजार गुना दर्द से मे गुजर रहा था.....रात गुजरने को है मै अब भी जिंदा हू ...मेरा पेट फाड दिया गया है मेरी अंत बिखरी हुई है. यंहा  दया दिखाने वाल कोई नही है. वो सब अपने बच्चों के साथ मेरे चारों ओर बैठे हुये है मै उनका जीता जागता भोजन हू.
वो मुझे मर क्यों नही देते. रह रह कर मेरे मांस को नोचते है. दिन निकल आने के कारण अब मेरे चारों ओर गिद्ध भी आ गये है.
 मुझे मालुम है मेरे मर जाने के बाद वो मेरी मांस नोच नोच कर खायेगे. यही इश्वरीय सृष्टी है. हिरण को किस बात की सजा मिल रही थी. एसी मौत!
उसने किसी का क्या बिगाडा था. दर्द कम होने का नाम नही ले रहा है. एसा सिर्फ इसके साथ हुआ एसा नही है सभी हिरणों की यही नियती है. जिसे हम इतना भोला प्राणी समझते थे. उसके अंत इस तरह होता है एसा पहले कभी नही सोचा था.
अब दर्द सहा नही जाता. इस बार एक कुत्ते ने मेरे दिल पर बार किया... अच्छा ही किया उसके एसा करते ही मे गहरी बेहोशी मे चला गया मुझे मालुम है, अब मेरे दर्द का अंत हो जायेगा.
हिरण के मरते ही मेरी चेतना उस से अलग हो गई... मै शांत था. दर्द के सागर से बाहर तो निकल आया था पर अब भी उस दर्द और डर को याद कर मे सिहर उठ रहा हू. सच जो कुछ भी मेने अभी अभी भोगा था वो किसी नर्क से कम नही हो सकता. क्या हो अगर अनंत बार इसी नर्क से होकर गुजरना पडे.
किशन मुझे शांत देखकर बोला... क्या सोच रहे हो
यही की इश्वर की माया अजीब है....क्यों  क्या हुआ इश्वर की माया को.
हिरण जेसे सीधे सादे जानवर की इतन भयावह मौत. उसने तो कोइ पाप नही किये होंगा, फिर उसे एसी मौत. 
किसीके लिये जीवन नर्क क्यों. सच मेरी समझ अभी अधूरी थी. जो जानवर इतना सीधा और भोला है उसकी इतनी दर्दनाक मौत.
किशन धरती पर प्राकृति के नियम एसे क्यों है. बलवान कमजोर को खत्म करना चाहता है. चाहे वो कीट पंतगा हो या जानवर या अति सूक्ष्म जीवणु हर किसी को अपना जीवन बचाने के लिये सारे यतन करने होते है.
क्या इस बात का तुम्हारे पास कोइ जबाब है, या फिर इश्वर से मुझे यह सब समझना होगा..
तुम्हारे सवाल मे ही जबाब छुपा हुआ है. बस तुम उसे देख नही पा रहे हो.
तो  तुम मुझे समझाओ

मै तुम्हे यह सब समझाने की कोशिश करता हू. अच्छा होता की  धरती पर ही यह सब तुम्हे समझ आ गया होता की दर्द और आनंद क्यों है सुख और दुख किसलिये है. सभी जीव क्यों दुख से सुख की ओर और दर्द से आनंद की ओर जाना चाह्ते है. 

No comments:

Post a Comment