Wednesday, March 15, 2017

खंण्ड-5 नया आयाम

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)

खंण्ड-5 नया आयाम  

इसका मतलब-, तुम नही बता सकते की मे इस समय मे कंहा हू.
मेने बोला ना इस आयाम का कोइ रेफरेंस नही है. मै तुम्हे इसे किसी नक्शे पर नही बता सकता. एसा नही है की तुम इस समय ब्रहमांड मे पृथ्वी से दूर किसी ओर जगह पर हो.
इसे एसे समझो की तुम ब्रहमांड से चांद, तारे, सूरज, ग्रह, उपग्रह, धरती, उल्कायें, आकाशगंगायें सब कुछ गायब कर दो, तो क्या बचेगा. मात्र शून्य. एसे मे अब तुमसे कोइ पूछे की तुम कंहा हो तो तुम क्या बताओगे. असल मे यह ब्रहमांड के साथ ही है पर उससे अलग है दोनों घुलेमिले नही है फिर भी एक के बिना दूसरा नही.
इसका मतलब यह पूरी तरह खाली जगह है
अरे अब यह खाली कंहा रही , अब इसमे,  मे हू,  तुम हो, यह कमरा है, असल मे इसे तुमने अपनी चेतना  से भर दिया है. यह मात्र चेतना नही है यह तुम्हारी कल्पना भी है. यह सारी जगह तुम्हारी सृजन से भर गई है. जो भी तुम देख या महसूस कर रहे हो तुम्हारा ही बनाया हुआ है.
तो यह कमरा मेरा बनाया हुआ है, मेने अविश्वास से उसे देखा.
हां सही कहा
मुझे अब भी विशबास नही हो रहा है, की यह सब मेरा बनाया हुआ है ... मे यह सब क्यों करूगा .
इसमे कुछ भी अजीब नही है, तुम्हारी चेतना ने तुमहारे अब तक ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हुये यह सब तुम्हारे लिये बनाया है. वेसे ही जेसे सपना मे होता है. तुमने वो चुना जो तुम्हे सबसे सुरक्षित लगा. आसान लगा , तुमने दिवार और छत का उपयोग करते हुये अपने लिये यह स्पेस बनाया. अब यही तुम्हारा रेफरेंस भी है. जब तक तुमने नही सोचा था यह कमरा नही था.
जेसे जेसे तुम्हारी चेतना का विस्तार होगा, तुम जेसे जेसे समझोगे के तुम क्या क्या कर सकते हो तुम्हारी चेतना और भी नई और अनोखी चीजे बनायेगी.
तो इस रूम को मेने बनाया क्योंकी यह मुझे सुरक्षित और आसान लगा था. मै चाहू तो इससे भी जटिल चीजों का निर्मण कर सकता हू.
किशन मुझे देखकर मुस्कराया, मुझे तुम्हारी सोच पसंद आइ. हां अब तुम मेरी बात को समझ पा रहे हो. यह जगह तुम्हारी अपनी है. तुम्हारी अपनी दुनिया तुम जो चाहो यंहा बना स्कते हो. ओर जब तुम इस सब से बोर हो जाओगे तो तुम कुछ ओर नया बनाओगे.
मेने अपने हाथों को देखते हुये कहा ..इस शरीर के बारे मे तुम्हारा क्या ख्याल है, मै तो मर चुक हू तो क्या यह शरीर भी मेने खुद बनाया है.
अब तुम बहुत जल्द समझ रहे हो. तुम्हारा शरीर तो कब का खत्म हो चुका है. उसे कब का तुम्हारे लोगों ने जला दिया. यह तो तुम्हारी चेतना है जो कभी भी मर नही सकती. यह हमेशा रहेगी. तुम्हे इस शरीर की आदत हो गई है. इसलिये सबसे पहल तुम ने इसे बनाया.
मेरे कपडे ? जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था तब तो मे कुछ ओर पहना हुआ था.
एसा नही है की मरने के बाद तुम किसी शो रूम मे गये और अपनी पसंद के कपडे चुन लिये...यह सब भी तुम्हारा ही सृजन है. क्योकी तुम इनमे अपने को सहज महसूस करते हो.
तो इसका मतलब यह की यह शरीर कभी भी अपने असली स्वरूप मे नही होगा. अगर इसे मेने बनाया है तो इसे तुम मेरा दृष्टी भ्रम भी कह सकते हो.
पहली बात की इसे तुमने बनाया है इसलिये यह दृष्टी भ्रम नही है इस स्पेस मे तुम रियल हो
मुझे कुछ समझ नही आ रहा है. भले ही रियल है इसे बनाया तो मेरे मन ने है. जेसे मेने कोइ छद्म आवरण ओड लिया हो. क्या हो अगर मे जान सकता की रूह केसी दिखती है. अगर मे उसे इस शरीर के बिना देख सकता.
यह तो समझाना मुशकिल है
क्यों?
क्योंकी इस समय तुम्हारे सोचने का तरीका वही है जो पिछली जिंदगी मे था. अब जेसे तुमने कहा की तुम देखना चाहते हो की तुम केसे दिखते हो इसका मतलब उसे तुम अपनी आंखो से देखना चाहते हो. पर दोस्त सच यह है की तुम्हारी तो आंखे ही नही है.
पर मे तुम्हे देख सकता हू.
असली मे तुम मुझे देख नही रहे हो. तुम्हारा मन जेसा चाह रहा है वेसा ही तुम मुझे महसूस कर रहे हो.
देखने और महसूस करने मे फर्क है.
मै समझा नही
देखो धरती पर देखने की प्रक्रिया मे आंखे पदार्थ से आती रोशनी को तुम्हारे दिमाग में विद्युत तरंगों के रूप मे सिग्नल भेजती थी. तुम्हारी चेतना उस सिगनल से उस पदार्थ को पहचानती और इस तरह उससे तुम्हारी चेतना जुड जाती. अब क्योंकी तुम्हारा  शरीर  ही नही है इसलिये आंखे भी नही है, अब चेतनाये एक दूसरे से सीधे जुड सकती है. और तुम अपने अनुभव के अनुसार उन्हे उसी रूप मे देखोगे जिस रूप मे उन्हे पहले देखते थे. यह समझने  मे अजीब है, बस इतना समझ लो की तुम शरीर के बिना भी अगर चाहो तो भौतिक जगत को उसी रूप मे अनुभव कर सकते हो. बस उसका विज्ञान अलग है, वेसे ही जेसे धरती पर टीवी और  रेडियो का विज्ञान.     
अब समझे ना की तुम मुझे  जेसा महसूस करना चाहते हो मे वेसा ही हू.
तो क्या तुम मुझे भी अलग तरीके से देख रहे हो. क्या इस कमरे को भी तुम अलग तरीके से देख रहे हो.
नही किशोर मे वही देख रहा हू जो तुमने बनाया है. असल मे देखना सही शब्द नही है. क्योंकी जेसा मेने तुम्हे बताया अब तुम्हारी आंखे नही है. इसलिये अब तुम देख नही सकते, बस अनुभव कर सकते हो. किसी के प्रति चेतन हो ओर उसे महसूस करते हो.
इस जगत में किसी को समझने के लिये उसका भौतिक रूप मे होना जरूरी नही है. तुम्हे सुनने के लिये अब किसी ध्वनी तंरगों की जरूरत नही है. तुम्हारी समझ तुम्हारी अध्यातमिक चेतना पर निर्भर है. यह चेतना समय के साथ बढती ही जायेगी.
सच कंहू किशन जो कुछ भी तुमने मुझे बताया सब मेरी समझ से बाहर है. पर इसके बाबजूद मुझे कोइ निरशा नही हो रही है. बस मुझे एसा लग रहा है जेसे तुम्हारे समझाने और मेरे समझने के बीच एक हल्की सी धुधं है. जिसके हटते ही मुझे साफ समझ आ जायेगा.
वही धुंध जो एक्सीडेंट का कारण बनी... किशन ने हंसते हुये कहा
हां वही धुंध मे होले से मुस्कराया. इस बार वो मुझे सही समझ पाया था
किशोर बस कुछ ओर समय अपने को दो. ओर सब समझ जाओगे. अभी तो तुम्हे अपनी पिछली यांदों से बहुत कुछ को विदा करना है. अभी तो बहुत कुछ एसा है जो तुम्हे अनुभव करना है.
मेने उसकी बात पर हां मे गरदन हिलाइ. पर अदंर जिज्ञासा बढती जा रही है, पर जेसा किशन ने कहा मुझे तसल्ली रखनी होगी. शायद समय के साथ मुझे सब कुछ समझ आ जायेगा.
किशन अब तक मुझे यह समझ आया है की मेने अपनी आत्मा के लिये शरीर बनाया, इस कमरे को बनाया और तुम्हे बुलाया. पर सच यह है की मुझे नही मालुम की मे कंहा हू. और मे यंहा केसे आया.
हां अभी भी तुम थोडे निराशावादी लग रहे हो, तुम अपने चारो ओर देखो ओर समझो की तुम ने यह सब थोडी ही देर मे सीखा और बनाया है. तुमने अच्छी प्रगति की है किशोर जिसका क्रेडिट तुम्हे खुद को तो देना ही चाहिये.
मेने उदासीन चेहरा बनाते हुये कहा ....मुझे नही लगता की मेने कोइ प्रोग्रेस की है बस इतना है की मे अब समझ गया हू की धरती पर मेरी मौत हो चुकी है
 वंहा मेरे लिये अब सब कुछ खत्म हो गया है. अब मे एसी जगह पर हू जेसे किसी ने थक कर गाडी को पार्क कर दिया है.
किशोर जिस दौर से तुम गुजर रहे हो वो कोइ अजूबा नही है. मै समझ सकता हू तुम इस समय केसा महसूस कर रहे हो. या क्या महसूस नही कर पा रहे हो. पर इस बात को समझो की यह तो बस एक शुरूआत भर है
शुरूआत किसकी ?
किशन ने हाथ फेलाकर सारे कमरे को देखा शुरूआत है की क्या संभव है, तुमने इस कमरे को बनाया, अब जेसे जेसे तुम आगे बढोगे वेसे वेसे बहुत कुछ आशचर्य जनक होने वाला है. मै हमेशा तुम्हारी सहयता के लिये तुम्हारे साथ रहूगा.
ओके तो तुम अगर मेरी साहयता करना ही चाहते हो तो पहले यह बताओ की मे यंहा आया केसे. ओर असली मे मेरी मौत केसे हुई.
वो एक कार एक्सीडेंट था. उस टक्कर के समय ही तुम्हारी कार बुरी तरह बरबाद हो गई.
पूरी तरह बरबद हो गई?
हां पूरी तरह , वेसे भी अब तुम्हे उस कार की कोई जरूरत नही होगी, किशन ने मुसकराते हुये कहा
अच्छा किशन क्या मे उसी समय मर गया था, या मेरी मौत अस्पताल मे हुई, क्योंकी मुझे कुछ याद नही है.
हां वो सब तुरंत हुआ था, जेसे ही तुम्हारा सिर कार की छत से टकाराया तुम्हारा सिर बुरी तरह फट गया , तुम्हारी गरदन टूट गई. तुम्हारे सीने की पसलियों स्टेयरिंग से टकराने से टूट गई थी. इस सब के कारण तुम्हारी उसी समय मौत हो गई.
एक मिनिट किशन...तुमने तो कहा था की तुम मेरी पिछली जिदंगी के बारे मे कुछ नही जानते...याद है जब मेने तुमंसे पूछा था की क्या तुम मेरे दवदूत हो ..तो तुमने एसा ही कहा था ना और अगर वो सही था तो फिर तुम यह सब केसे जानते हो.
मेरे इस उलझन भरे सवाल से उसे कोइ उलझन नही हुई , वो उसी शांती से बोला.
याद है किशोर मै चीजों को थोडा अलग तरीके से समझता हू. और मे देखने भर से ज्याद चेतन हू. मुझे तुम्हारे जीवन के बारे मे कुछ नही मालुम पर इसके बाबजूद मे तुम्हारी मौत को देख सकता हू.
तुम्हारी मौत एक घटना थी जिसके फलस्वरूप तुम यंहा हो. और यह मे समझ सकता हू. जेसे जेसे तुम्हारी समझ बढेगी. मेरी बांतो को बेहतर समझ पाओगे.
तुम्हारी बातें कनफ्यूसिंग है हम हर बार घूम फिर कर वंही आ जाते है.
वो इसलिये हो रहा है क्योंकी तुम एसे बर्ताव कर रहे हो जेसे अब भी तुम जिंदा हो.. इस समय बस तुम अपनी सहूलियत के हिसाब से सोच रहे हो एक बात समझ लो की पिछली जिंदगी मे तुम्हारी भौतिक अनुभव तुम्हारी इन्द्रीयों के कारण था. तुम्हारे पास देखने को आंखे थी, सुनने को कान थे, और सूघने के लिये नाक थी, चखने के लिये जीभ थी,  सर्दी गर्मी और दबाब को महसूस करने के लिये त्वचा थी. दर्द को महसूस करने के लिये मांस पेशियां थी.
तुम्हे भौतिक जगत को जानने के लिये इन पर पूरा भरोसा था. इनके द्वारा दी गई जानकारी के बल पर तुमने पिछली जिंदगी को जिया था. तुम अब भी उसी तरह की इन्द्रीयो का भरोसा कर रहे हो. जबकी सच यह है की अब वो तुम्हारे पास नही है. फिर भी तुम अपने चारो तरफ के माहोल के प्रति चेतन हो.
अब तुम्हे समझने के लिये अलग लेवल के समझ की जरूरत है. जब की तुम अब भी बार बार पिछली जिदंगी के हिसाब से चीजों को समझना चाहते हो.... इस लिये तुमने यह शरीर बनाया. क्योकी एसा करके तुम अपने को ज्यादा सहज महसूस कर रहे हो.
अच्छा चलो तुम इसे इस तरह समझो, सोचो तुम्हारा नवजात शिशु के रूप मे फिर से जन्म होता है , एसे मे उस नवजात को बहुत कुछ सीखना और समझना होगा तभी वो उस दुनिया की सरहाना कर पायेगा जिसमे उसने जन्म लिया है.
तुम भी उस नवजात की तरह हो. तुम्हे यंहा अनुभव लेना है. पनपना है. जिससे तुम इसे और अच्छी तरह समझ पाओ. की यंहा क्या क्या संभवानायें है.
बहुत मजेदार..यह उदाहरण सच बहुत अच्छा रहा. सच ही तो है इस जगत मे एक शिशु ही तो हू. जो अभी अभी पैदा हुआ है.
अच्छा किशन अब मुझे थोडा पीछे जाने दो... तुमने कहा था की मेरे इस सच को स्वीकार कर लेने के बाद की मेरी मौत हो चुकी है तुम मुझे दिखाई दिये. इसका क्या मतलब हुआ?
मेरे ये मान लेने के बाद की मै मर चुके हू मेने तुम्हे पाया. इसका मतलब यह है की अगर मै यह नही मानता तो तुम मुझे कभी दिखाई नही आते... पर देर सबेर मै यह मान ही लेता की मे मर चुका हू बस कुछ समय ही की तो बात थी , उसके बाद तो तुम आ ही जाते ना. क्योंकी आज नही तो कल मुझे मानना ही पडता की मे मर चुका हू.

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