Wednesday, March 15, 2017

सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
मुझे मेरी तरफ आती पदचाप सुनाइ दे रही है कोइ मेरी तरफ आ रहा है. मेने देखा सफेद कुर्ते और पजामे मे एक व्यक्ति मेरी तरफ चला आ रहा है. चेहरे पर सोम्य मुस्कान, मुझे इस समय वो किसी देव दूत से कम नही लग रहा है.
हेलो मेरा नाम किशन है और मे तुम्हारा स्वागत करता हू
मेने उसे उपर से नीचे देखा मुझे याद नही आता मेने उसे पहले कभी देखा है. या इससे पहले मे कभी उसे मिला हू. मेने उसे अजनबी पन से निहारा. साथ ही मुझे खुशी हुई की अब मे अकेला नही हू. मुझे इस स्थति को समझने के लिये इससे मदद लेनी होगी. पता नही मुझे क्यों लग रहा है की जो व्यक्ति मेरे सामने खडा  है वो मेरी मदद के लिये है. और उसे सब कुछ मालुम है.
तो तुम किशन हो मेने उसे नीचे से उपर देखते हुये कहा.
ओर तुम किशोर उसने होले से मुस्कराते हुये पूछा.
हां मे अभी तक तो किशोर ही हू. मेने मुस्कराते हुये कहा. मेरे अदंर सारी पुरानी यादों अब तक महफूज थी.
अरे एस तरह असमजस में क्यों हो तुम किशोर ही हो, मै तुम्हे विश्वास दिलाता हू की तुम, तुम ही हो.
मै अब समझ चुका था की अब सब पहले जेसा नही रहा . अब सब नाटकीय अंदाज मे बदल चुका है.
हां यह मे ही हू. पर अब सब कुछ पहले जेसा नही है , मेरे साथ कुछ हुआ है और मे यंहा हू. मुझे नही मालुम मे कोन सी जगह हू. यह शरीर जरूर देखने मे मेरा लगता है. पर यह मै नही हू. अगर मे मर चुका हू तो अब भी मे शरीर मे केसे हू मेरे पास अब भी सही सलामत हाथ पांव है. मै अब भी देख सुन और महसूस कर सकता हू. मै तुमसे भी आराम से बात भी कर रहा हू. मुझे समझ नही आ रहा है की यह सब केसे हो पा रहा है. यंहा तक की मे बिना सांस लिये तुमसे केसे बात कर पा रहा हू. मुझे कुछ समझ नही आ रहा है.
किशोर मे यंहा तुम्हारे हर सवाल का जबाब देने के लिये मोजूद हू. मुझे मालुम है, तुम्हारे दिमाग मे बहुत सारे सवाल आ रहे है, तुम्हारे हर सवाल का जबाब मै तुम्हे दूंगा उसने उसी सोम्य मुस्कान से मुझे देखते हुये कहा.
मेने किशन को एक बार फिर देखा..मे सच मे उसे नही पहचान पा रहा हू.
किशन क्या मे तुम्हे जानता हू.
नही हम कभी नही मिले
इसका मतलब तुम ना ही मेरे दोस्त हो और ना ही दूर के रिशतेदार.
मेने बोला ना हम कभी नही मिले
इसके बाबजूद तुम मेरी मदद करना चाहते हो. मेने उलझन भरे चेहरे से उसे देखते हुये पूछा. तुम्हे केसे पता चला की मे यंहा हू !
किशन ने विश्वास के साथ कहा , जब तुम ने एक बार मान लिया की तुम मर चुके हो तो तुम्हारी साहयता के लिये आ गया.
क्या तुम्हे मुझसे मिलने के लिये किसी ने भेजा है. क्या तुम कोइ देवदूत हो
किशोर मुझे नही पता दवदूत से तुम्हारा क्या मतलब है. किशोर यंहा चीजे थोडी सी अलग तरीके से काम करती है. तुम्हे यंहा किसी को मदद के लिये पुकारना नही होता बस तुम्हारी इच्छा होती है ओर हो जाता है.
उसके जबाब से मुझे कोइ आशचर्य नही हुआ. फिर भी उलझन मे हू, पर एक बात का अब संतोष है की मेरे सामने जो है उससे मे सवाल कर सकता हू. यह सही है की मुझे अब भी बहुत कुछ समझना है.
किशोर तुम ने चाहा इसलिये में यंहा हू. अगर तुम ना चाहते तो मे यंहा कभी ना होता.
मै समझा नही! मै केसे तुम्हे आने से रोक सकता हू. मुझे तो लगता है तुम अपने से ही आये थे मेने तो तुम्हारे लिये कोइ दरवाजा भी नही खोला था. मेने देखा वो दरवाजा अब भी बंद था. मुझे तो लग रहा है जेसे तुम यंहा इस कमरे मे अचानक पैदा हो गये हो.
किशन ने मेरा ध्यान खीचते हुये कहा. यह सच है की तुमने कोई दरवाजा नही खोला पर तुम ही मेरे यंहा आने का कारण हो. इसे तुम अभी नही समझ पाओगे. पर कुछ देर बाद तुम इसे आसानी से समझ आ जायेगा. अभी तुम यह मान लो की तुम्हारे चाहने पर ही मे यंहा हू. अब मे तुम्हारे कुछ सवालों का जबाब देता हू.
मेने अपना ध्यान दरवाजे से हटाकर उसकी तरफ लगाया. पर किशन तुम्हे केसे मालुम मेरे दिमाग मे क्या सवाल है.
अरे सभी के दिमाग मे सवाल होते है जब वो इस तरह की जगह पर आते है.... क्या तुम यह कहना चाहते हो की तुम्हारे दिमाग मे कोइ सवाल नही उठ रहा है
मेने एसा कब कहा...मेरे दिमाग में बहुत से सवाल है इस समय मेरे दिमाग मे बस जिज्ञासा ही है. मेरे दिमाग मे मौत को लेकर कोइ बुरी भावना नही है . ना ही मेरे दिमाग मे वापस धरती पर जाने की एसी कोइ मंशा. पर एक गहरी जिज्ञासा है.
मै बस यह जानने की कोशिश कर रहा हू की तुम्हे केसे पता की मेरे दिमाग मे कोन से सवाल है,
हर कोइ कम से कम एक बार तो मरता ही है तुम पहले नही हो इसलिये सवाल उठना बहुत स्वाभाविक है. और यह एक कारण है की मे यंहा हू. तुम मुझे अपना गाइड समझ सकते हो. मै तुम्हे हर प्रकार से साहयता करूगा. जिससे तुम इस नई जगह के बारे मे पूरी तरह से सहज हो जाओ



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