Friday, June 26, 2020

. स्वाभिमान को अपने रंग़ से नही, अपने हुनर और अक्ल से जोडो


काले और सांवले जब खुद यह मान लेते है की गोरा रंग सुदंरता, सभ्यता और अक्ल का प्रतीक है तो फिर कोइ ओर क्या करे. काली लडकी को गोरा पति चाहिये और और काले लडके  को गोरी पत्नी. अगर एसा ना हो, तो लाखों करोडो रूपये का गोरे बनाने के पागलपन कारोबार एसे ही नही चलता. मजेदार बात तो यह है की आज तक कोइ इन क्रीमों से गोरा नही हुआ है. फिर भी लगाये जा रहे है.
आपको क्या लगता है की गोरे पन का यह लफडा अंग्रेजों के भारत आने के बाद शुरू हुआ? अगर आप एसा सोच रहे है तो भारी गलती कर रहे है. इस गोरे पन की खाज हमारी संस्कृति मे तब से है जब से इस संस्कृति का उदय हुआ. तब से ही काले और सांवले देत्य , असुर और राक्षस नजर आते रहे है. और गोरे देवता. अब आप बोलोगे की राम और कृषण तो सांवले थे. यह सही है की वो सांवले थे पर राम और कृषण जेसे सांवले को भी हमने भगवान तब माना जब उन्होने सांवले और कालों का वध किया. कहने को तो वो सांवले थे पर उन्होने काम गोरों के लिये ही किया. आप किसी से भी पूछ लो वो सब राक्षस या देत्य और असुर को  काला ही बतायेगे.
इसी तरह इस देश मे यह मान लिया गया है की सारी अक्ल और सभ्यता अंग्रेजी पढे लिखे गोरे छोकरे छोकरीयों मे ही है. कुछ दिन पहले एक खबर  पढी था की हिन्दी किसी को प्रधान मंत्री तो बना सकती है पर इजीनियर, डाक्टर और आइ ए एस नही बना सकती. यह एसी सोच है जिसे हम चाहे तो बदल सकते है. पर याद रहे यह किसी सरकार के बस मे नही है की वो एसी सोच को बदल सके. यह तो आपके अपने समाज की इच्छा शक्ति से ही संभव हो सकता है.
आज हम ग्लोबल है, तो अपनी सोच को भी ग्लोबल करे. अक्ल का इस्तेमाल करे और देखे की सभ्यता और शिक्षा का ना रंग से कोइ वास्ता है और ना ही अंग्रेजी से. जो आपको रंग के कारण  नापसंद करता हो  उसे अनदेखा कर आगे बढे, इस बात की हीन ग्रंथी अपने दिमाग मे ना पाले. यह सही है की अधिंकाश भारतीय गोरे रंग को अहमियत देते है, पर आप इस बात को ज्यादा तब्बजो ना देते हुये आगे बढे. आज लाखो करोडों लोग हैं जो काले है या सांवले होते हुये भी हर फील्ड में इतिहास रच रहे है , इस दुनिया को नई दिशा दे रहे है, बेहतरीन नेता साबित हो रहे है. एसे लोगों से सीख सकते हो तो सीखों.
स्मार्ट बनिये, फेशनेबल बनिये, उसके लिये आपको गोरे होने की कतई जरूरत नही है. एक बात अच्छी तरह समझ लो की कोइ भी पहले अपनी नजरों मे नीचे गिरता है फिर किसी ओर की निगाह मे नीचा होता है. स्वाभिमान को अपने रंग़ से नही, अपने हुनर और अक्ल से जोडो और आगे बढों या फिर गोरे पन की क्रीम मलते रहो.

-दुर्वेश

Thursday, June 18, 2020

सेहत के सुनहरे नियम

सेहत के सुनहरे नियम

 

1.     प्राथमिकता-सही हवा, सही पानी, सही भोजन, सही व्यायाम और अंतिम डॉक्टर है
2.             खाना बनाना समय की एक बड़ी बर्बादी है, जितना हो सके कच्चा खाएं जैसे फल, अंकुरित और सलाद
3.             डबल रोटी, अनाज, कॉफी, धूम्रपान, शराब, मांस, डेयरी, चीनी, नमक, और पका हुआ भोजन को ना करना सीखे.
4.             जड़ें मुख्य "सब्जी" स्रोत हैं। जड़ों में बहुत अधिक चीनी और स्टार्च होता है, उसे कम खाये , हाँ आप सही हैं. नियम के रूप में (चावल + गेहूं + आलू) अपने आहार का 10%
5.             एक ही खाद्य पदार्थ को बार-बार खाने से बचें, खाने में पर्याप्त विविधता अपनाये
6.             फलों को अपनी पहली पसंद बनाये, क्योंकि क्योंकी इसमे वो सब है जो हमारे शरीर को चाहिये
7.             बहुत अधिक निर्जलित खाद्य पदार्थों से बचें- अनाज, ब्रेड, केला चिप्स, कैंडिड नट्स, इसे आपातकालीन आहार के लिए रखें
8.             चॉकलेट, "रॉ" चीज़,केक, कुकीज, केक, बिस्कुट, पैराफिट्स खराब हैं, उन्हे ना कहना सीखें ...
9.             पर्याप्त भोजन चबाना (बिना चबा  भोजन का अर्थ है बिना पचा  हुआ भोजन, जो गैस, कुपोषण और अन्य 100 स्वास्थ्य समस्याओं के कारण है)
10.            पर्याप्त पत्तेदार साग (आहार का आधा होना चाहिए)।
11.            जीने के लिए खाये ना की खाने के लिये जिये 
12.            सप्ताह में 1 दिन 24   घन्टे का उपवास करें।
13.            केवल एक चीज जो निर्णायक रूप से लंबी देगी उम्र देगी और डॉक्टर से बचायेगी, वो है  कम खाना
14.            बहुत अधिक मीठी सामग्री (कार्बोहायड्रेट) / शक्कर से बचे, खाने मे  पर्याप्त कड़वा शामिल करे
15.            बीज जेसे बादाम,,काजू इत्यादी और फल एक साथ न खाये,यह एक खराब संयोजनहै
16.            खाने को सरल रखने की आवश्यकता है
17.            क्म से कम एक मुठ्ठी बीज हर रोज खाओ
18.            शाम के बाद  भोजन न करें
19.            सबसे कम खाने वाले लोग सबसे लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
20.            हंसो, मुस्कुराओ, गले लगो, प्यार करो, नाचो, गाओ
21.            दूध से परहेज करें
22.            कम मीठे फल और अधिक हरा।
23.            अपने भोजन को बहुत अधिक मात्रा में हरी पत्तेदार को शामिलकरे
24.            जितना संभव हो उतना आप अंदर से शुद्ध हों - विशेष रूप से आपके शरीर और आपका दिमाग ( दिमाग मे विचारों की शुद्धता)
25.            अनुपयोगी सामान की हर वर्ष के कम से कम एक बार  समीक्षा करे,जिसे वर्ष भर से इस्तेमाल नही किया उसे अपने से दूर करे क्योंकी जो आप बाहरी वस्तुओं के साथ करते है, शरीर भी अदंर वेसा ही करता है,जो अनचाहा है उसे शरीर मे ही इकठाठा करता है.   
27. अनुपयोगी सामान दूर दे- अपना भार हल्का करें। जिसे एक वर्ष से उपयोग नही किया उसके बिना आगे भी काम चल सकता है.
26.            आप जो करते हैं वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना जो आप नही करते ह
28.            तनाव मे कमी करें- यह लगभग सभी बीमारियों जड है
29.            अपने लक्ष्यों को लिखें ताकि वे अधिक वास्तविक और केंद्रित हो जाएं
30.            प्रतिदिन 20 मिनट सूर्य स्नान करे
31.            प्राकृतिक भूमि (घास, पत्थर, रेत, पृथ्वी) पर नंगे पैर चलें
32.            मालिश करें- नहाते वक्त साबुन लगाने से ज्यादा मालिश पर ध्यान दें
33.            दूसरों के लिए अच्छा बनो
34.            ईमानदार बनो
35.            अधिक आभारी रहें
36.            अच्छे विचार = स्वास्थ्य, बुरे विचार = रोग
37.            पर्याप्त व्यायाम करें। कार्डियो और वजन उठाने वाले व्यायाम आवश्यक हैं
38.            बिस्तर- रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक
39.            नियमित रूप से डिटॉक्स की मदद करने के लिए उपवास और एनीमा द्वारा पर्याप्त सफाई करें

क्षमा गेरों से नही अपनों से मांगो


क्षमा गेरों से नही अपनों से मांगो  
mail या sms पर नही
जब आमने सामने हो
तब मांगो
अनके लिये दिल मे
अगर हो कोइ खटास
तो उसे निकाल कर मांगो
भूल कर भी अंहकार, अभिमान या अहसान
आपको छू भी ना पाये
याद रहे
माफ ओरों को कर
नियति के दुशचक्र से
अपने को निकाल
भला अपना करोगे
होगा ना यह आसान
जब भी जिसके साथ
करोगे सच्चे मन से यतन
एक इश्वरीय अहसाहस से
अपने को सरोबार पाओगे

Tuesday, June 16, 2020

आजादी दांव पर है.


विश्व की सरकारों ने  जिस तरह इस बिमारी पर रियेक्ट किया वो काबिले गोर है. हमारी सरकार ने भी  उसकी  मात्र नकल भर की  और नतीजा सामने है. ..धूल चाटती अर्थव्यवस्था. हम विश्व गुरू होने का सपना पालते है और WHO के समझने मे नाकाम हो जाते है. 

एक साधारण से इंफुलेंजा वायरस को किस तरह बिकाऊ मिडिया की मदद से कुछ लोगों ने विश्व की महामारी घोषित करा दिया,जिस ने भी उसके विरोध मे लिखा या बोला उसका मुह बन्द  कर दिया जा रहा है . आज जब इसके बारे मे सारी जानकारी उपलब्ध है फिर भी सरकार की हिम्मत नही हो रही है की वो बता सके की सब ठीक है. इसके उल्ट उसे हर गुजरते दिने के साथ ओर  भयावह दिखाने की बेशर्म कोशिश जारी है.

भय को एक बार फिर से बेशर्म उपयोग.  ये बेशर्म लोग अर्ध सत्य का भरपूर उपयोग कर रहे है. हम वही देख रहे है  जिसे ये  दिखा रहे है. मेरी ज्ञानियों से गुजारिश है की वो पूरा सच जाने और  इस षडयंत्र को उजागर करे. मुझे पूरा अंदेशा है की  WHO इस षडयंत्र का हिस्सा है क्योंकी पिछले 5 महोनों का जो  डाटा उपलब्ध है उसके आधार पर यह साफ है की यह कोइ खतरनाक महामारी  नही है, पर इसे अभी भी सर्वव्यापी महामारी बनाने की भरपूर कोशिश की जा रही है. WHO अपनी गलती स्वीकार नही कर रहा है जिससे साफ है की वो किसी के दबाब मे काम कर रहा है. सरकारे जनता को पूरा सच बताये, जनता को बताया जाये की इस वायरस के आने से पहले भी इसी अनुपात मे लोग इंफ्लुएंजा से पीडित होते थे. पर एसा नही हो रहा है. 

भूख और बेरोजगारी इस बिमारी से लाख गुना खतरनाक है पर इस पर अभी भी किसी का ध्यान नही जा रहा है. उद्योग धंधे सब लगभग बंद है. सरकार को टेक्स नही  मिल रहा, एसे मे देश का मजदूर, मिलट्री,और मनी (3M) संकट मे है. स्वास्थ्य, शिक्षा और  नागरिक सुरक्षा की हालत दयनीय है. अगर हम इस डर से बाहर नही निकले तो सब खत्म. आज कोविड-19 है कल कोइ ओर वायरस होगा. मरना तो एक दिन सबको है. अब यह आपको तय करना है की आप आजाद देश मे मरना चाहते हो या गुलाम देश मे.

इस बिमारी को फ्रंट पेज न्यूज बनाना बंद करे.   वेसे ही काम  पर जाना शुरू करे जेसे पहले जाते थे. यह वायरस तो जाने से रहा. वेक्सिन आप को कब तक बचायेगी और कितने वायरस से बचायेगी. इसलिये अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाये,यह कोइ राकेट साइस नही है. यह ज्ञान हमारे यंहा आसानी से उपल्ब्ध है. 

अगर हम डर से बाहर नही निकले तो मेरा विश्वासा मानिये की हम 100वी आजादी की सालगिरह किसी की गुलामी मे मना रहे होगे.