Wednesday, March 15, 2017

खंण्ड-6 समझ

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)

खंण्ड-6 समझ  

नही एसा नही है... क्योंकी कुछ लोग एसे भी है जो बहुत पहले मर चुके है. उसके बाद भी उन्होने यह स्वीकार नही किया की वो मर चुके है.
एसा क्या?
हां
उनके साथ एसा क्या हुआ होगा
वो खो गये, उनकी चेतना उसी घटना के साथ लोक हो गई. वो यह समझना ही नही चाहते की वो मर चुके है. वो इसे नकारते रहते है. अपनी उन्ही पुरानी यांदों मे केद छाया मात्र रह जाते है. उनके लिये ना कोइ भूतकाल है और ना ही भविष्य. बस वर्तमान रह जाता है.
ओके मान लिया एसों का कोइ भविष्य नही है. पर उनका भूतकाल तो होता ही होगा. उसी तरह जिस तरह मुझे अब भी बहुत कुछ अपने भूतकाल का याद है.
पर किशोर तुम अपने वर्तमान को भूतकाल के संदर्भ मे देख सकते हो, पर उनका भूतकाल एक बादल की तरह होता है जो उस घटना के चारो ओर ही घूमता रह जाता है. एसी घटना जिसे वो स्वीकार ही नही करना चाहते की वो हो चुकी है.
बस वो उस घटना के चारो ओर ही घूमते रहते है. वो पीछे मुडकर भूतकाल को एक अच्छे अनुभव की तरह या उस गलती की तरह जिससे वो कुछ सीख ले सके. तुम्हारी जेसा नही देख पाते.
वो यह समझ नही पाते की जो वो थे अब नही है. क्योंकी अब वो जिन्दा नही है, उसके बावजूद वो उसी घटना के चारो ओर घूमते रहते है. उसमे से वो बहुत सी यादें को भूलते जाते है. क्योंकी वो घटना के साथ अपना समायोजन नही कर पा रहे.
वो स्वीकार ही नही कर पा रहे है की वो मर चुके है. बस वो ही यादें बची है की वो क्या थे. न की वो क्या है. उसी घटना के चारो ओर घूमते रहते है और बाकी सब चीजों को अनदेखा कर देते है.
क्या रूहे वापस धरती पर आ सकती है ?
हां ओर नही भी . वो इस तरह नही जा सकती जेसा पहले जा स्कती थी. अब उनका कोइ शरीर नही है. इसलिये उससे जुडा कोइ भौतिक गुण भी नही है. पर लिंक होता है ओर कोइ भी रूह उसका अनुसरण कर सकती है.
ये रूहे उन्ही लिंक को पकड लेती है और उन्हे छोडती नही. सारा ध्यान उसी लिंक पर होता है. बाकी सब उसंके लिये बेमानी होता है. एसी अध्यातमिक उर्जा जो गेर अध्यातमिक संसार यानी धरती के किसी लिंक को पकडे रह जाती है.
एसा मेरे साथ भी हो सकता था?
हां यह किसी के साथ भी हो सकता है. जब तुम पहली बार यंहा आये थे तो तुम्हे भी निर्णय लेना था. तुम भी इस नये सच को स्वीकार या नकार सकते थे.
मुझे याद आया की उसे स्वीकार करते समय कितना खाली पन मेने अपने अदंर महसूस किया था.
अब उन सीढियों को देखो. तुमने उन्हे तब बनाया जब तुमने इस कमरे को बनाया. जब तुम इस आयाम पर आये तो तुम यह निर्णय नही पर पाये थे. तुम अब भी ठीक से निर्णय नही कर पाये हो. ये सीढीयां इस बात का सबूत है. वो तुम्हारे बाहर निकल जाने का रास्ता है.
रास्ता किधर जाने के लिये?
वंही उस ब्रहमांड में वापस जाने के लिये जिसे तुम अब तक जांनते थे. अगर तुम ने मौत को स्वीकार नही किया होता तो तुम उसी भौतिक प्लेन मे चले जाते. जिसमे इससे पहले थे. यह लिंक तो बना रहता है और तुम पिछले आस्तित्व को तो देख ही सकते हो. एसे मे इसकी संभावना बनी रहती है की तुम इन दो सच्चाइयों के बीच झूलते रह जाते. जो किसी भी सूरत मे सही नही होता.
मेने उन सीढीयों की तरफ इशारा करते हुये कहा ...ये किधर को जाती है
किशन ने अपने कंधे सिकोडे , शायद यह अभी भी उस ब्रहमांड से जुडी हो जिससे तुम आये हो. शायद उस जगह से जो अब भी तुम्हारे लिये महत्व पूर्ण है.
एसा क्या ? तो क्यों न इसे एक बार देखा जाये.

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