Wednesday, March 15, 2017

खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द

सफर (खंण्ड-1/16 एक्सीडेंट)
सफर (खंण्ड-2/16 देवदूत)
सफर ( खंण्ड-3 उलझन)
सफर (खंण्ड-4 स्वर्ग-नरक)
सफर (खंण्ड-5 नया आयाम)
सफर (खंण्ड-6 समझ)
सफर (खंण्ड-7 धरर्ती पर वापसी)
सफर (खंण्ड-8 हे इश्वर अभी क्यों नही)
सफर (खंण्ड-9 कल्पना की उडान)
सफर (खंण्ड-10 संगीत)
सफर (खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द)
सफर (खंड -12 नर्क का अहसाहस)
सफर (खंण्ड- 13 दर्द क्यों)
सफर (खंण्ड- 14 जीवात्मा)
सफर (खंण्ड- 15 पुनर्जन्म)
सफर (खंण्ड- 16 पुनर्जन्म केसे)

खंड-11 इश्वर से मिलने की जिद्द  

एक बार फिर मे कमरे मे किशन के साथ था.
किशन मेरी तरफ देख कर मुस्कराता रहा...
बोलो किशोर.. मुझे किस लिये याद किया है?  मुझ से अब  क्या चाहते हो.   
मै तुम्हे बहुत कुछ बताना चाहता हू तुम्हारी अन उपस्थिती मे मेने अपनी कल्पनाओं  को नये पंख दिये...अपना संसार रचा उसको भोगा.
इस सब से क्या हासिल किया
जो कुछ मेने अभी अभी किया उससे मेरी चेतना को एक नया विस्तार मिला है
अच्छा
हां  किशन मै वह सब करते हुये बहुत उत्साहित था. पर मुझे यह समझ नही आ रहा की इस सब के बाद क्या. यह सच है जिस को पाने लिये मे धरती पर सारी जिंदगी जुगाड करता रहा. धरती पर जिसे पाने की मे कल्पना भी नही कर सकता था
तो क्या तुम इसे स्वर्ग बोल सकते हो?
सही कहा आपने यह किसी स्वर्ग से कम नही है....असल मे मेरे समझ से तो यही स्वर्ग है
किशन, सब आसानीसे उपलब्ध हो रहा था उसके बाबजूद अब मेरे अदंर वो उत्साह नही है. इतना सब होने के बाद भी मेरे अदंर एक खालीपन है. कितनी जल्दी मन इस सब से उकता गया है.
उस बच्चे की तरह की जब तक उसे नया खिलोना नही मिलता वो उसके लिये बैचेन हो जाता है पर उसके मिलते ही वो उससे बडी जल्दी उब भी जाता है उसके बाद वो खिलोना किसी कोने मे पडा धूल खाता रहता है. और बच्चे का मन नये के लिये मचल उठता है. एस ही कुछ अब मेरे साथ हो रहा था.
किशन अब तक जो कुछ मेने किया उससे मुझे खुद को इश्वर होने का अहसाहस होने लगा है . धरती पर जो कुछ किसी इश्वर से करने की उम्मीद की जाती है वो सब मे यंहा कर पा रहा हू.
ओह...इतनी जल्दी तुम इश्वरीय मामले मे एक्सपर्ट हो गये हो
हां मै अपनी कल्पना के संसार मे जिसे चाहे उसे बना सकता था जिसे चाहे मिटा सकता था मै अब अपनी कल्पनाओं का इश्वर हू.
सच तो यह है तुम इश्वरीय  चेतना का हिस्सा ही हो चेतना का एक बिंदू. धरती और उसके ब्रह्मांड एसी ही अनगिनित चेतनाओं के बिंदुओं से बना है.
हर बिंदू उसे अपना अनुभव दे रही है. वो अपने अनुभवों का विस्तार लगातार कर रहा है. यही उसके नये संजन का स्रोत है. यही विनाश का कारण भी है.
क्या मुझ्रे फिर से संसार मे जन्म लेना होगा.
हां क्यो नही यह तुम पर और संसार मे हो रही घटनाओं पर  निर्भर है.
मौ समझा नही
अरे जेसे तुम्हारे यंहा शादी होती है ना. एसा तो नही होता की तुम किसी  से भी शादी कर लेते हो. एसा ही तुम्हाएर संसार मे नये जन्म के बार एमे है. जिस शरीर को तुम पाना चाहते हो और वो शरीर भी तुम्हे अगर  पाना चाहता है तो तुम्हारा जन्म हो जायेगा. चुबंकीय आकर्षण जेसा ही होगा तुम उस शरीर मे समा जाओगे.
प्राक़्रति और चेतना के मिलन से ही संसार चलता है. चेतना ही जो प्राक़ृतिक घटना क सही दिशा देती है. उन्हे एक मकसद देती है. कमजोर चेतना औअर कमजोर मकसद हमेशा मजबूत और ताकतवर  चेतना का अनुसरण करेगी
एसी कोइ घटना  हो उससे पहले क्या मुझे उस असली इश्वर का सामना नही करना चाहिये देखे उसके पास एसा क्या है जो मुझ मे नही है... मेरे बारे मे उसके क्या प्लान है.
किशन अब मुझे लगता है की मुझे सामने वाला दरवाजा खोल देना चाहिये.
मेने देखा किशन मेरी बातों से खुश नजर नही आया. और खिसक कर मेरे और दरवाजे के बीच हाथ फेलाकर खडा हो गया.
तुम मुझे रोकने वाले हो क्या
नही मे तुम्हे नही रोक सकता तुम मुझे आसानी से नजर अंदाज कर दरवाजे के पास जा सकते हो उसे खोल सकते हो.
पर इसका यह मतलब नही की मै तुम्हे रोकने का प्रयत्न ना करू. मे तुम्हे तुम से बचाना चाहता हू.
मुझे किशन पर अब गुस्सा आने लगा. इस समय वो मुझे गाइड कम और मेरी प्रगति मे रूकावट ज्यादा नजर आ रहा है.
देखो किशन मे तुमसे कोइ बदतमीजी नही करना चाहता .... तुम क्यों नही एक तरफ खिसक जाते और मुझे दरवाजा  खोलने देते.
मै आसानी से एक तरफ होकर तुम्हे एसा करने दे सकता हू पर क्या तुम भूल गये की मे यंहा किस लिये हू.
हां मुझे मालुम है तुम यंहा मेरे सवालों का जबाब देने के लिये हो और यह बताने के लिये की मै यंहा क्या कर सकता हू.
तुम अपना काम कर चुके हो. अब मुझे एक बडे सवाल का जबाब चाहिये. जो मेरे और इश्बर के बीच मे है तुम्हारा उसमे कोइ रोल नही है. इसलिये तुम्हे अब बीच मे आने की कोइ जरूरत नही है.
तुम्हे पक्का भरोसा है की तुमने सब जान लिया
क्या मतलब क्या अब भी कुछ जानने को बचा है.
यह सही है की तुम इस स्पेस के मालिक हो, तुमने चाहा इसलिये मे भी  यंहा हू.
हां किशन मुझे लगता है की अब तक मुझे तुम्हारी जरूरत थी पर अब नही है.
तुम अब भी केसे कह सकते हो की इस दरवाजो को खोलना तुम्हारे लिये सही है.
मै इस तरह इस दरवाजे को देखते हुये नही बैठ सकता. मुझे अपने निर्णय को सम्मान देना ही होगा. कब तक तुम्हारे कहे अनुसार करूगा.
देखो यह दरवाजा कोइ सामान्य दरवाजा नही है तुम जबर्दस्ती इसे खोलना चाह्ते हो. क्या तुम इश्वर को ललकारना चाहते हो. उससे टकराना चाहते हो.
नही बिल्कुल नही एसा मेरा विचार कभी भी नही था.
तो तुम इस अनुमान पर यह दरवाजा खोलना चाहते हो की तुम इश्वर को समझ लोगे उसे मना लोगे. उसे नियंत्रित कर लोगे.
पता नही पर मे भावनाओं को दबा नही पा रहा हू. मेरी भावनाये मुझे एसा करने के लिये उकसा रही है.
भावनाओं पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है.
हां  पर उसे पूरी तरह नजर अंदाज करना भी कम खतरनाक नही है. किशन अगर भावनाये ही नही होंगी तब इस बात से क्या अंतर पडता है की इश्वर मुझे मिलेगा या नही, एसे मे मुझे इश्वर दिखे या ना दिखे, वो एक दिन मे मिलता है या हजार सदियो मे इस सब से क्या फर्क पडता है. अगर मुझे अपनी भावनाओं का ख्याल रखना है तो मुझे उन्हे सम्मान देते हुये निर्णय लेने ही होंगे.
मात्र भावनाओं मे बहने से काम नही चलेगा. तुम्हे निर्णय से होने वाले नतीजों के बारे में भी सोचना होगा. उसका अनुमान भी तुम्हे लगाना होगा.
हां मे तैयार हू मेरा ह्रदय साफ है यह मे और मेरा इश्वर जानता है.
मेने यह नही पूछा की तुम्हारे ह्रदय मे क्या है. मै तो यह कह रहा हू की अगर तुम्हारा निर्णय गलत हुआ तो क्या होगा तुम्हे उस पर भी विचार करना चाहिये. माना की तुम्हे अपनी भावनाओं और अपनी सूझ पर पूरा भरोसा है. उसके बाबजूद तुम्हारा निर्णय गलत हो सकता है.
पता नही
तुम्हे पता होना चाहिये. क्योंकी बेवकूफ ही निर्णय की परवाह किये बगैर निर्णय ले लेते है. और बाद मे पछताते है.
उसने मुझे सीढीयों की तरफ चलने का  इशारा किया. 
क्यों क्या हुआ क्या तुम मुझे फिर से धरती पर ले जाना चाहते हो.
हां 
पर क्यों
अब तुम मेरी मंशा पर भी शक करने लगे...अरे मे तुम्हारा गाइड हू..मुझ पर भरोसा कर सकते हो.
फिर भी मुझे मालुम तो होना चाहिये की हम किस लिये जा रहे है..तुम्ही ने तो कहा था की किसी निर्णय से पहले पता होना चाहिये की उसका परिणाम क्या होगा.
मुझे जाने का निर्णय करना है यह भी निर्णय करना है की तुम्हारे साथ जाना है या नही... मेने उसी की स्टाइल मे जबाब दिया...
किशन को शायद इसकी उम्मीद नही थी उसके चेहरे पर खीज साफ झलक रही है.
मै तुम्हे धरती पर कुछ और दिखाना चाहता हू कुछ और अनुभव कराना चाहता हू जिस से तुम्हारी समझ ओर बढ सके और तुम निर्णय ले सको की तुम्हे इश्वर से मिलना चाहिये या नही.
जेसे तुम नर्क के बारे मे बहुत कुछ पूछ रहे थे ना, चलो तुम्हे कुछ एसा अनुभव कराता हू जो किसी नर्क से कम नही होगा.
मै उसका विरोध करना चाहता था क्योकी की मुझे सिखाया गया था की इरादा सही हो तो नतीजों की चिंता नही करो और कर्म करो...यही तो कृष्ण ने गीता मे कहा था , अब यह जनाब कह रहे है की मुझे नतीजों का पता होना चाहिये.
मेरी अनिच्छा को देखकर उसने बोला तो तुम धरती पर नही जाना चाहते, तुम नर्क का अह्साहस नही करना चाहते. तुम अपनी सहूलियत के हिसाब से मतलब निकालना चाहते हो.
जब तुम पूरी तरह स्थति को समझ ही नही रहे हो तो इस दरवाजे को खोलने की इतनी  बेताबी क्यों दिखा रहे हो.
एसी कोइ बात नही है की मै धरती पर नही जाना चाहता पर तुम्हे याद है ना धरती पर पिछली बार क्या हो गया था..कार की हालत देखकर मेरी भावनाये किस तरह बूकाबू हो गई थी. तुम्ही ने कहा था की अगर मेने एसा कुछ दुबारा देख लिया तो पता नही इस बार मे इस बबंडर से बाहर निकल भी सकू या नही.
मै वह सब याद कर अभी से सिहर उठ रहा हू. तुम्हे नही मालुम मे किस दर्द से गुजरा था. एक्सीडेंट और उसके बाद हुई मौत का तो मुझे अहसाहस भी नही हुआ था. एक्सीडेंट के बाद कब मेने अपना शरीर छोड दिया था मुझे पता भी नही चला पर उस जगह दुबारा जाने पर वो सारा दर्द मेरी चेतना मे उतर गया था. मेरा घर मेरा परिवार पता नही अब वो किस हालत मे होंगे. वापस जाने पर वो सारा दर्द ....मै यह सब नही कर सकता. वेसे भी इससे मुझे या तुम्हे क्या हासिल होगा 
घबराओ नही एसा दुनबारा नही होगा. मै तुम्हे धरती पर लेजाना चाहता हू क्योंक मे चाहता हू की तुम्हारी चेतना को ओर विस्तार मिले.
तो तुम मुझे नर्क मे ले जाना चाहते हो
नही भई मे एस काबिल नही हू की तुम्हे नर्क भेज सकू...किशन ने हंसते हुये कहा. पर तुम्हे कुछ एसा अनुभव जरूर कराना चाहूगा जो तुम्हे नर्क का अहसाहस करा सके.
अगर मे तुम्हारे साथ ना जाना चाहू तो?
तुम्हारी मर्जी मे तुम्हारे साथ जबर्दस्ती नही कर सकता.
याद रखो- इच्छा, निर्णय और नतीजे तीनों का ध्यान रखो
अगर मेरी इच्छा सही है तो मुझे नतीजों की फिक्र नही
अगर एसा है तो मेरे साथ धरती पर जाने से क्यों मुकर रहे हो
इससे तुम क्या खो दोगे... तुम्हारे पास असिमित समय है
पहली बार मै दुविधा मे था, एसी दुविधा तो मुझे मृत्यु को स्वीकर करने मे भी नही हुई थी. मै चाहता तो किशन की बातों को अनदेखा कर सकता था, वो मुझे नर्क का अहसाहस कराना चाहता है जो किसी भी तरह सुख कर तो नही होगा.
मै उसकी बात को नकार कर अपनी ही कल्पना की दुनिया मे खो सकता था, पर कल्पनाओं की दुनिया का हश्र ने देख चुका था, किस तरह उस सब मे बोर हो गया था.
मै  किशन के साथ नये अनुभव के लिये तैयार था. अब तक किशन ने हर पल कुछ ना कुछ नया सीखाया था समझाया था. उस पर मै पूरी तरह भरोसा कर सकता था. किशन सही था मुझे कुछ समय के लिये दरवाजा खोलने की अपनी जिद्द टाल देनी चाहिये.
देखते है किशन मुझे कोन सा नया पाठ सीखाना चाहता है. नतीजो से तुम्हे तभी डर लगता है जब तुम्हे लगता है की तुम जो कर रहे हो वो गलत है. जो कुछ भी आगे होने वाला था वो गलत नही हो सकता. मुझे अपने गाइड पर पूरा भरोसा था 
किशोर, नर्क को समझने के लिये जानवरों  का संसार सबसे अच्छा है इन जीवों का जीवन का  आधार भूख, डर और अपने बच्चों को पैदा करना होता है. इनकी समझ बस इतनी ही होती है की वो अपने दुशम्न को पहचान सके, उअंका भोजन क्या है. और कब उन्हे अपने बच्चों को पैदा करना है.
तुमने अकसर जंगल में जानवरो को देखा  होगाखासकर हिरणों को
नही कभी जंगल जाने का मौका नही मिला पर अकसर टीवी पर जंगल सफारी के प्रोग्राम देखता था वो मेरे फेवरेट प्रोग्रामों मे से एक था.  
टीवी पर देखना अलग बात है और उसे जीना बिलकुल दूसरी बात
 तुम अचानक मुझे इनके  बारे मे क्यों बता रहे हो.
क्योंकी मै तुम्हे डर और असहाय होना केसा अनुभव देता है उसका अहसाहस दिलाना चाहता हू...
डर और असहाय होना !... पर एसा तो मेने पिछली जिदंगी मे बहुत बार महसूस किया है
अब जो तुम महसूस करोगे उसके सामने धरती पर पिछली जिदंगी मे अनुभव किये अह्साह्स कुछ भी नही होंगे...
 तुम मुझे डरा रहे हो
मरे हुये को कोन डरा सकता है किशन ने मुझे छेडा.. मै समझ गया अब जो कुछ भी मेरे साथ होना वाला है उसे किसी भी हालत मे अच्छा अनुभव तो नही कह सकते..पर जेसा उसने कहा था अगर मुझे अपनी चेतना को विस्तार देना है तो मुझे इसका अनुभव भी लेना ही होगा.
मै अब उसके लिये तैयार था 
मै किशन के कहे अनुसार धरती पर जंगल जाने के लोये तैयर था. उसके बारे मे सोचते हुये मै किशन के साथ सीढीयों की तरफ चल दिया


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