Wednesday, November 23, 2011

अलार्म बजते ही सुबह नींद से कैसे उठे

रात को सोने से पहले आपने सुबह उठने के लिये अलार्म लगाया और गहरी नींद में सो गये. सुबह अलार्म बज उठा... मन और शरीर अभी भी सुबह की मीठी नींद का मजे ले रहा है और यह अलार्म!...हाथ अपने आप बजते अलार्म को बंद कर देते है. आप का उनींदा मन सोच रहा है..उफ्फ क्या मुसीबत है ये अलार्म ....क्या मीठी नींद है... क्या अभी ऊठना जरूरी है?..क्या हो जायेगा अगर 5 मिनिट और आराम कर लू!..अभी तो समय है ...मेने बेकार में इतनी सुबह अलार्म लगा दिया...औ...र. फिर से गहरी नींद...


1 घंटे बाद......हे भगवान ..आज फिर लेट...आप बिस्तर से उछल पडते है और देर से उठने के लिये अपने आप को कोसने लगते है. पेट पर बढती चर्बी, एक्सरर्साइज ना करने का गुस्सा. गुस्सा आ रहा है की क्यों अलार्म के बजते ही बिस्तर से नही उठे. शायद आज बिना नाश्ते के जाना होगा स्टाफ बस तो अब मिलने से रही...टेक्सी से जाना होगा और आफिस में बोस की घूरती आंखों का सामना...उफ्फ क्या जिंदगी है!!....

हर रोज ऐसा ही होता है रोज अलार्म लगाओ...उसके बजने पर ना उठो और फिर देर से उठने के लिये खुद को कोसने लगो. ऐसा क्यों होता है...सुबह अलार्म बजते ही मन ना उठने के बहाने क्यों खोजने लगता है. जेसे वो मन आपका नहीं किसी और का हो!.

आप में अनुशासन की कमी नहीं है, आप में इच्छा शक्ति भी भरपूर है. पर सुबह की मीठी नींद में जेसे अनुशासन धरा का धरा रह जाता है और इच्छाशक्ति हवा हो जाती है. रात जिस उम्मीद के साथ अलार्म लगाते है ...सुबह की मीठी नींद सब उम्मीदों पर पानी फेर देती है. जब तक कोई मुसीबत ना आ जाये तब तक सुबह उठने का मन ही नहीं करता.

ऐसा हम सब के साथ होता है ...मेरे साथ भी यही सब होता था ...पर अब नहीं होता. अब जब में सुबह उठता हू तो कोई आवाज मेरे मन में नहीं उठती. मुझे उठने के लिये चेतन मन की कोई जरूरत नहीं है इसलिये ना कोई चेतन को सवाल ना उससे किसी जबाब का इतिंजार. कोई सवाल-जबाब नहीं. अलार्म बजा और स्वत: ही उठने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है वेसे हि जेसे पेव्लोग का कुत्ता अलार्म बजते ही खाने के लिये तैयार हो जाता था.

अब अलार्म बजते ही मेरी आंखे धीरे से खुलती है ..हाथ की उगलिया अलार्म बंद करती है और फिर गहरी सांस लेकर फेफडो में हवा भरता हू...एक भरपूर अगडाई लेता हुआ बिस्तर से उठता हू, दो गिलास पानी पीकर बाथरूम की तरफ बढ जाता हू. सब कुछ जेसे अपने आप होता है जेसे में कोई रोबोट हू. ना कुछ सोचने की जरूरत ना ज्यादा कुछ समझने और समझाने की जरूरत.

बाथरूम में ब्रश करते हुये नींद पूरी तरह भाग चुकी होती है. सुबह की ताजी हवा मे सांस लेते हुए नये दिन का स्वागत करने के लिये मन और शरीर तैयार है...यह सब कैसे संभव हो गया इसे समझने के लिये हमे अपने मन को समझना होगा.

आप ने नोटिस किया कि रात को जब आप अलार्म सेट करते हो और सुबह जब उठने की कोशिश करते हो उन दोनों समय में हमारे दिमाग की सजगता एक सी नहीं होती. रात को दिमाग अलार्म लगाते हुये जितना सजग था, सुबह अलार्म बजते समय उतना ही उनींदा, सुस्त, अक्षम. सुबह उठने का निर्णय आप इस उनींदा, सुस्त, अक्षम चेतन मन से कराने की कोशिश करते हो जो बहुत कुछ उस समय अवचेतन मन के बस में है.

हमे लगता है की हमे और कडे अनुशासन और ज्यादा इच्छा शक्ति की जरूरत है इसलिये हम उतने ही जोरादार तरीके से अपने को कोसने लगते है. पर सुबह नींद मे तो हम अवचेतन मन के बस में है और अवचेतन मन अनुशासन नहीं समझता वो तो आदत का गुलाम है. शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम देने लिये प्रतिबद्ध. उस समय चेतन मन तो उनींदा, सुस्त, अक्षम है, वो कैसे कोई ठीक निर्णय कर सकता है. इच्छा शक्ति और अनुशासन चेतन मन समझता है. अवचेतन पर इसका कोई असर नहीं होता है.

आपको अनुशासन और इच्छा शक्ति की जरूरत तब ज्यादा होती है जब आप पूरे होश में हो. आप सुबह के उनींदा, सुस्त, अक्षम चेतन मन से अनुशासन की उम्मीद कैसे कर सकते है. हम कई बार अलार्म बजते ही उठ जाते है पर उसकी वजह डर या चिंता होती है. शायद यही वजह है की अगर सुबह ट्रेन पकडनी होतो अलार्म बजते ही आप बिस्तर से उछल पडते है. अब अगर सुबह उठने का काम भी डर के साथ करना चाहते हो तो आपकी मर्जी. पर जो काम एक आदत को बनाने से हो सकता है उसके लिये डर को वजह बनाना कहां की अक्लमंदी है.

इसके लिये आप को आदत बनानी होगी बेसे ही जेसे आप ने कार चलाना सीखने के लिये बनाई, याद है पहली बार जब आप ने कार चलाना सीखी तो आप का पैर ब्रेक और एक्सीलेटर खोजता था और हाथ स्टेयरिग और साईड इंडीकेटर नोब के बीच उलझे हुये और आंखे ...फिर कुछ ही हफ्तों से जेसे जादू सा हो गया. सब कुछ जेसे अपने आप होने लगा था. सब स्वत: होने लगा. एसे ही आप को एक ओर नई आदत बनानी होगी....सुबह अलार्म बजते ही उठने की आदत.

कुछ दिन आप को अलार्म के बजते ही उठने की आदत बनानी है, पर यह काम आप को उनींदी सुबह में नहीं करना है. इसे तो पूरे होश और हवास में कुछ दिन दोहराना है. तब तक दोहराना है जब तक की वो आपकी आदत ना बन जाये. एक आदत जो सुबह का अलार्म बजते ही स्व्त: ही उठने की आदत. किसी अनुशासन और इच्छा शक्ति के बिना. बस एक आदत. इसके लिये आपको ड्रामे की रिहर्सल नीचे दिये स्क्रिपट के अनुसार कुछ दिन तक करनी होगी,

अपने बेडरूम में 10 मिनिट बाद का उठने का अलार्म सेट करो. और सोने के लिये जो भी तैयारी करनी हो उसे करो. जेसे अगर सोने के लिये नाईट ड्रेस पहनते हो तो उसे पहन लो. रात को सोने से पहले अगर ब्रश करते हो तो उसे कर लो. सोने से पहले अगर चशमा उतारते हो तो उसे उतार दो. कबंल ओढ्कर एसे लेटो जेसे सच में सो रहे हो. जेसे ही अलार्म बजे तो जागने का अभिनय करते हुये उसे बंद करो. अगडाई लेते हुये फेफडो में सांस भरो और उठ जाओ जा कर एक गिलास पानी पीओ ओर बाथरूम जाओ. यानी की वो सब करो जो सुबह उठते ही करना चाहते हो.

अब इस क्रम को बार बार दोहराओ कम से कम एक दिन में तीन चार बार...कुछ दिनों तक करते रहो.. कुछ दिन में यह आपकी आदत बन जायेगी. इस पूरे ड्रामे को दिमाग में भी दोहरा सकते है पर मेरी राय है की कुछ दिन आप इसे करके देखे उसके बाद आप चाहे तो इसे दिमाग में दोहरा कर भी इसकी प्रेक्टिस कर सकते है.

बस आपको इतना ध्यान रखना है की इस ड्रामे को करते समय चेतन मन में उठने वाले सवालों पर ध्यान नहीं देना है. हो सकता है की आपका चेतन मन आपको बोले की क्या बेवकूफी कर रहे हो....याद रखो यही वो चेतन मन था जिसने पहली बार जब आपने कार चलाना सीखी थी तो कितना डराया था. तब आप ने इस की नहीं सुनी और आप ने अपनी इच्छा शक्ति का इस्तेमाल करते हुये वही किया जो आपके अंतरमन में था तो आज भी आप इसकी नही सुनों आपकी यह सुबह अलार्म बजते ही उठने का ड्रामा करने की आदत को अपनी इच्छा शक्ति का इस्तेमाल करते हुये इसे करो. और उसके जादू भरे परिणाम की प्रतिक्षा करो. विशवास करो आप को कार सीखने में लगे समय से बहुत कम समय इस आदत को सीखने मे लगेगा.

सोचो इस आदत को सीखते ही आपकी जिंदगी कितनी आसान हो जायेगी...कितने रुके हुये और उलझन भरे काम आसानी से आप अब कर पाओगे वो भी बिना किसी अतिरिक्त डर या चिंता के..

जितनी बार आप प्रेक्टिस करेगे वो उतने गहरे में आपके मन मे उतर जायेगा. अलार्म बजा...तो उठना है.... अलार्म बजा...तो उठना है. एक बार यह आपकी आदत बन गई तो फिर उसके बाद सब आसान ...फिर आपके मन में सुबह कोई सवाल जबाब नहीं होगा..अलार्म बजेगा और बिस्तर छोडने की प्रक्रिया स्वत: ही चालू हो जायेगी. यह आसान सा प्रयोग आपको आपके अव चेतन मन के काम करने के तरीके के बारे में आपकी समझ को बढायेगा.





2 comments:

  1. नमस्कार
    दुर्वेश हिंदी पर आपकी पकड बहुत अच्छी हैं| आपके लेख में गजब की लयबद्धता है| अपने प्रयास को बनाएँ रखें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने ब्लॉग को पहुचाएं|
    सतीश

    ReplyDelete
  2. आपके अच्छे शब्द मुझे हिम्मत दे रहे है. एसे ही हमारी हिम्मत बनाये रखिये.

    ReplyDelete