Sunday, February 13, 2011

13 फरवरी 2011 सिंगार चोली वन्य अभ्यावरण पाटनी गांव से नारद गुफा ट्रेकिंग संपन्न


भोपाल,


यूथ होस्टल्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया बी.एच.ई.एल.इकाई भोपाल, द्वारा एक बार फिर से सदस्यों के मांग पर रविवार को एक दिवसीय ट्रेकिंग का आयोजन भोपाल शहर से 115 कि.मी.दूर बाडी जिला रायसेन (म.प्र.) स्थित सिंगार चोली वन्य अभ्यावरण परिक्षेत्र में ‘‘पाटनी गाँव से प्रकृति रूप से निर्मित आदिकाल की प्राचीन नारद गुफा का भ्रमण’’ श्री एस.ए.ए.नक्वी, श्री दीपेन्द्र अग्रवाल, श्री शैलेष अग्रवाल, श्री एम.एल.नागौर कार्यकारिणी सदस्य एवं स्थानीय निवासी श्री राजेश वैरागी के मार्गदर्शन में किया। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के 47 सदस्य समिम्मलित हुए। जिसमें सबसे कब उम्र 5 वर्ष की कु. गरीमा अग्रवाल थी।
इस ट्रेकिंग का मुख्य उद्देश्य सदस्यों को साहसिक कार्यक्रमों से परिचित कराना कि इससे हमारे जीवन में क्या लाभ है तथा 400 से 800 फिट चट्टानी पहाड़ी के ऊचाँई पर प्रकृति रूप से निर्मित आदिकाल कि प्राचीन गुफाओं का भ्रमण जो कि नारद गुफा के नाम से जानी जाती है और जिसके अन्दर जाने के लिए पूर्ण अंधेरे में 100 से 150 फिट लम्बे संकीर्ण मार्ग में एक एक करके सदस्यों को प्रवेश कराया गया अन्दर जाने के बाद गुफा में सभी सदस्यों ने समूह में बड़ी बड़ी लाईट एवं टार्च के सहारे 600 से 800 मीटर कि ट्रेकिंग कि
इस टेंªकिंग के दौरान खास चीज यह कि यहाँ पर न तो आक्सीन कि कमी महसूस हुई साथ ही चमदागड़ो के अलावा न ही किसी प्रकार के जीवन जन्तु का खतरा था पर इस स्थान को देखने के बाद आश्चर्य कि बात तो यह कि यहाॅ पर काफी समय पूर्व साधु महात्मा कैसे इस अंधेरी गुफा में रह कर पूजा पाठ करते थे जहाॅ पर अंधकार के अलावा ओर कुछ नही फिर भी गुफा में इस बात के प्रमाण के रूप में हवन कुंुड, आसन, चिमटा, त्रिशुल भगवान के चित्र इत्यादि आज भी सुरक्षित देखने को मिले एक खास बात इस गुफा कि यह इस के अनदर बहुत रास्ते बने हुए है जिसका अन्त नही मिलता फिर भी संस्था ने अपने 47 सदस्यों को इस गुफा का भ्रमण सुरक्षित सफलता पूर्वक कराया जिसमें 5 से 72 वर्ष के स्त्री पुरूष एवं बच्चे सम्मिलित थे।
वैसे तो इस स्थान पर अकेले व्यक्ति का जाना कभी भी संभव नहीं है। गुफा के अन्दर भूल भूलईयाॅ वाले रास्ते है जाने वाले रास्ते यदि चिन्हित नही किया तो वापस निकल पाना संभव ही नही है। वहाॅं के स्थानीय निवासीयों का कहना है कि एक बार एक व्यक्त् िअन्दर गया था जो 18 .19 दिन बाद वापस आ पाया
यही हमारे लिए गौरव कि बात है कि हमारे म0प्र0 में ऐसा प्राकृतिक स्थान है, संस्था कि सोच कि राज्य या केन्द्र सरकार के वन या पुरातत्व, विभाग इस स्थान को अपने अधीन कर आम जनो के भ्रमण के लिए विकसित कर तो अच्छा रहेगा। साथ ही इस स्थान की सुरक्षा भी होगी।
सदस्यों ने ‘पाटनी गाँव’ से लगे वन परीक्षेत्र में मुख्य सड़क से 01 किलोमीटर अंदर से अपनी ट्रेकिंग प्रारंभ की जो जंगल में ऊबड़-खाबड़ पहाडि़यो से होते हुए गुफा के मुख्य प्रवेश द्वार तक यहाॅ के स्थानीय निवासी कि मदद से ‘पाटनी गाॅव के खेतो के बीच से नारद गुफा के अन्दर तक 10 किलोमीटर कि दूरी तय कर नारद गुफा का भ्रमण किया।
इसके पश्चात सदस्यो ने ‘पाटनी गाॅव के पास मंदिर’ पहुचकर भोजन के पश्चात अपने मनोरंजन हेतु छोटा सा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया इसके बाद हमारे साथ उपस्थित सदसयों को संस्था सचिव श्री अलकेश वैद्य ने भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय संस्था द्वारा चलाए जा रहे यूथ होस्टल में ठहरने के विषय में सदस्यो को संपूर्ण जानकारी दी अंत में संस्था के संगठन संचालन एस.ए.ए.नक्वी, श्री एम.एल.नागौर एवं श्री आर.पी. सिंह संस्था कार्यकारिणी सदस्यों ने श्री अलकेश वैद्य, सचिव के मार्गदर्शन तथा स्थानीय निवासी श्री राजेश वैरागी कार्यपालक अभियंता वारना डेम एवं वन मण्डलाधिकारी वन विभाग के सहयोग से संपन्न कराया। जिसके लिए संस्था आभार व्यक्त करती है।



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