Monday, June 6, 2016

मंथन-1 क्या यह सब सुधारेने के लिये किसी पर्यावरण दिवस की जरूरत है?

पानी की मारामारी: देखा गया है इस तरह की हालात मे जल्दबाजी और खींचातीनी और तानातानी की स्थति बन जाती है.  एसे में 10 से 20% पानी बरबाद हो जाता है. अगर कोइ कमजोर और बिमार है तो वो अपना पानी केसे भरेगा.  जिस तरह लोग अपने अपने पाइप टेंक मे डाल रहे है उससे पानी का दूषित होने की संभावना बनी रहती है, 
इस का एक उअपाय है, सभी महोल्लों में कुओं की तरह अंदर ग्राउंड सील्ड टेंक बनाये जाये. जिसे जरूरत के अनुसार पानी के टेंकर से भरा जाये. उन टेंकों के उपर हेंड पंप लगे हो जिससे लोग जरूरत के अनुसार कभी भी पानी भर सके. बरसात के मौसम मे इन टेंकों को रेन हार्वेस्ट के द्वारा भरने की व्यवस्था भी जाये. इससे लोगों को  रेन हार्वेस्ट के लिये प्रेरित किया जा सकेगा. इससे  धारा 144 भी नही लगानी होगी और आपसी भाई चारा भी बना रहेगा. 
अगर टेंकर को अडंर ग्राउड टेंक मे खाली किया जाये तो पानी को इस तरह दूषित होने से बचाया जा सकेगा और जरूरत मंदो को पानी के लिये इस तरह युद्ध की तैयारी भी नही करनी होगी.  


विसर्जन: विसर्जन आस्था से जुडा है. इसमे  जब भी प्रशासन ने इसे रोकने की सखती की तो इसे आस्था पर हमला माना गया. क्यों ना नदी तालाबों की जगह कुछ छोटे छोटे विसर्जन ताल नदी और तालाबों के किनारे बना दिये जाये और श्रधालुओं को विसर्जन उन मे करने को प्रेरित किया जाये.  एसे स्थानों पर कुछ वोलेंटिय़र को खडा किया जाये जो लोगों को प्लास्टिक पन्नियों के साथ पूजन सामग्री  को फेंकने से रोके. उसके बाबजूद भी कुछ लोग एसा करने से बाज नही आयेगे. उसके लिये  विसर्जन के स्थान पर पानी के अदंर नेट डालक़र एक घेरा बनाया जा सकता है. जिससे लोग विसर्जन की सामग्री डाले तो वो जाल मे फंस जाये . बीच बीच मे जाल को बाहर निकालते रहे . इससे प्लास्टिक और अन्य सामग्री को आसानी से बाहर निकाला जा सकेगा. 
उस ताल के पानी को सूर्य द्वारा सूखने दिया जाये. उसके सूखने के बाद उसकी सफाइ कर उसे पानी से फिर भर दिया जाये. 
हो सकता शि नीचे चित्र मे दिये गये गंदगी के नजारे को देखकर अपनी आस्था के बारे मे वो गंभीरता से सोचे और एसा करने से वो बाज आये.  



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