Wednesday, May 1, 2013

अगर 'बोतल-किस' पर चांटा तो खाली-बोतल कही भी फेकने पर पिछाड पर लात क्यों नही?

आजकल बिसलरी पानी एक विज्ञापन टीवी पर दिखाया जा रहा है जिसमे इस बात पर जोर दिया गया की अपनी – अपनी बोतल से पानी पीओ अगर दूसरे की बोतल से मूंह लगाकर पानी पीओगे तो चांटा पडेगा!

किसी अपने ने अगर मूह लगाकर पानी पी भी लिया तो क्या हो गया? कोन सा पाप या अपराध हो गया! अगर पीने वाले के मूह मे कोइ खतरनाक संक्रमण नही है तो वो क्यों नही पी सकता.

प्यार मे चूमा चाटी जायज है क्योंकी इससे संक्रमण नही प्यार फेलता है...right!

अरे क्या खाक राइट.....अगर असली किस राइट तो बोतल किस wrong केसे?

बोतल से मूह लगाकर पानी पीना गलत केसे?

इस विज्ञापन मे यह तो बता दिया की पानी अपनी बोतल से पीओ पर यह नही बताया की जब बोतल खाली हो जाये तो उसका क्या करो. क्योंकी हम राजसी आदतों से मजबूर उसे कही भी फेंक देते और यह मानकर चलते है की सरकार का एक अदना सा आदभी जिसे सफाइ कर्मचारी कहते है उसे सही ठिकाने लगा देगा.

हमारे द्वारा फेंका गया यह कूडा आज पर्यावरण के लिये सबसे बडा खतरा बन चुका है. फिर भी यह हमे एक घूट पानी के लिये नई बोतल खरीदवाना चाहते है. अगर हम अब भी नही जागे तो हम मे और सूअर मे कोइ अतंर ना होगा. क्योंकी एक गंदगी और कचरे का आदी है और एक होने जा रहा है.

बुरा लगा ना! मुझे बुरा भाला कहने से पहले अपने आस आस फेले कूडे कचरे पर जरा नजर डालो. नदी हो या नाले सब पर इन बोतलों को तेरता देखो और सोचो कोन देगा हमे इससे निजात? शायद हमे अब भी इसकी भयावहता का सही अदांज नही है! हमे अपनी आदते सुधारनी होगी, गलत धारणाओं को पनपने से रोकना होगा.

जेसे जर्मन रोज का सामान खरीदने के लिए अपनी थैलियां अक्सर साथ में लेकर जाते हैं. और अगर वो नहीं ले गए हैं तो सुपर मार्केट में प्लास्टिक, कागज या कपड़े की थैली के लिए आपको कम से 10 सेंट से एक यूरो तक पैसे चुकाने होते हैं. कई दुकानों में रखी कपड़े की थैली वापिस करने पर आपको दिए हुए पैसे वापिस मिल जाते हैं.


बीयर  या फिर जूस खरीदते समय  ग्लास या प्लास्टिक की बोतलों पर कुछ पैसे डिपॉजिट किए जाते हैं जो आठ सेंट से 25 सेंट के बीच होते हैं. जब आप ये बोतलें लौटाते हैं तो पैसे वापिस मिलते हैं. 25 सेंट की चार बोतलें एक यूरो और एक यूरो की रुपये में कीमत कम से कम 65 रुपये.

अगर एसा हमारे यंहा भी हो सके

 क्यों ना हम भी बोतल बेचने वालों को ही खाली और बेकार बोतलों को सही ठिकाने पहुचाने की जिम्मेदारी दे. आसान सा विक्ल्प ...खाली बोतल वापस करो और उसके बदले नई बोतल की कीमत मे रियायत पाओ.
मुझे याद है दूध की बोतल को बार बार इस्तेमाल किया जाता था. यहां तक की कोला और पेप्सी को भी बोतलों को बार बार इस्तेमाल करता था. पर उस को आधुनिकता और स्वास्थ के नाम पर बंद क दिया गया.

  कचरे को उसके प्रकार के आधार पर अलग अलग डिब्बों मे डाला जाये जिससे उसके सही निराकरण मे असानी हो. जो मिक्स कचरा डाले उस पर भारी जुर्माना हो और इस जुर्माने की जिम्मेदारी समाज की हो..हर काम हम सरकार पर नही डाल सकते. कुछ काम हमे भी करने होंगे. बच्चों को पर्यावरण के प्रति किताबी ज्ञान सीखाने की जगह हमे खुद एक उदाहरण बनना होगा.


आज हम पानी के फुट प्रिंट की बात करते है, कार्बन फुट प्रिंट की बात करते है अब जरूरत है की अब पोलीथीन और प्लास्टिक फुट प्रिंट की भी बात करे जो हमारे पर्यावरण, नदी नालों और तालाबों के लिये खतरा बन गये है.


आगे आपकी मर्जी....























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