Saturday, March 2, 2024

AI अनजानी , अनोखी , महाशक्ति का उदय



गूगल ने जेमनी AI लांच कर दिया है। इससे पहले chatgpt 3.5 पब्लिक डोमेन मे है। पिछले एक महीने से chatgpt 3.5 इस्तेमाल कर रहा हू।  मेने सॉफ्टवेयर लिखने मे , उसे debug करने मे और गूगल शीट फार्मूले और स्क्रीप्ट लिखने मे उसकी मदद ली है। अनुभव अचंभित कर देने वाला  है। मुझे एक बार भी एसा नही लगा की जिससे मे मदद ले रहा हू वो मशीन है...मात्र एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है। 

आज  सेकड़ों सॉफ्टवेयर  एप्लिकेशन बजार मे है जो असाधारण रूप से लोगो की जिंदगी आसान बनाने का दावा करा रहे है। AI के द्वारा स्वचलित कार अब हकीकत बन गई है। वो अब फिल्मे बना सकते है, उपन्यास और कहानी लिख सकते है। दुनिया के महाशूर चित्रकार उसके सामने अब बच्चे है। लाजाबाब अवतार बन रहे है, अब बस कुछ ही दिन की बात होगी , उसके बाद यह बताना आसान नही होगा की टीवी पर समाचार पढ़ने वाला असली व्यक्ति है या उसका अवतार। यह सब बहुत तेजी से हो रहा है। 

AI अब जासूसी के नए आयाम स्थापित करेगा, वो लोगो क्वे छुपे राज आसानी से जान लेगा।  कोई लाख कोशिश करे अब इनसे छुप  नही सकता । दुनिया भर मे लगे लाखो करोड़ो केमरो से आने वाले डाटा का एनालिसिस कर वो किसी की भी गतिविधी  को आसानी से ट्रेस कर सकता है। 

अभी तो इस नई  क्रांती  की शुरूआत भर है, जो एपलीकेशन  पब्लिक डोमेन है वो मात्र tip of iceberg है। यह तकनीक असली दिखने वाले फोटो और वीडियो जिसे बनाने मे महीनो लगते थे उसे मात्र चंद पलो मे बना देती है आपके लिए प्रोग्राम लिख सकती है, data एनालिसिस कर सकती है फेक वीडियो और फोटो बना सकती है एसा जिसे आसानी से झुटलाया ना जा सके। यानी जो हुआ ही ना हो उसका वीडियो बना कर लोगो को गुमाराह करना बेहद आसान हो गया है। अब एसे  फेक वीडियो और फोटो को भरमार होने लगी है, जो लोगो मे भ्रम  पैदा कर रहे है। 

यह एक इंसान की तरह संवेदनशील या सचेत नहीं है। पर ये जानकारी को प्रभावशाली पैमाने पर संसाधित और विश्लेषण कर सकता है, लेकिन इसके पास व्यक्तिपरक अनुभव, भावनाओं और चेतना को परिभाषित करने वाली स्वतंत्र इच्छा की कमी है.,,,याने जो उसका मालिक होगा AI उसका कहना मानेगा।

अगर उसे किसी रोबोट के साथ जोड़ दिया। और उसने अगर रोबोट को बटन दबाने की निर्देश दिया तो रोबोट बो बटन दबा देगा , बिना यह जाने की वो बटन किस के लिए है । हेना खतरनाक हथियार वो खुद तबाही नही करेगा पर एक बड़ी तबाही का कारण बन सकता है।

एट्म बम जब फिरोशिमा और नागासाके पर बरसा था तो उसमे एटम बम का क्या दोष था? अगर एटम बम का कोई दोष नही तो फिर केसे आप AI को दोष दे सकते है। यह एक एसा सच है जिसे अब दुनिया को सामना करना है। आज कल इसके दुरुपयोग को रोकने  के लिए कानून बनाने और उसे सख्ती  से लागू करने की बात हो रही है। पर  इन्टरनेट पर 90%  आज डार्क वेव एक एसा वेब जो केसी भी देश के कानून को नही मानता उसे ये कानून केसे रोक पाएगे ?

AI की अच्छे उपयोग की असीमित संभावनाए है अब उसकी दिशा और दशा उसके मालिक और उपयोग कर्ताओ पर निर्भर है। पर इस बात की क्या गारंटी है की कोई अशव्तथामा नही बन जाएगा । ये जितने ताकतवर है वो उतने ही कमजोर भी।  विशाल सूचना का नेटवर्क जिस पर यह निर्भर करेगे अगर उसे रोक दिया जाये तो ये किसी काम के नही होंगे...यानी बहुत ही सीमित । देखा नही किसी शहर की इन्टरनेट सवाए बंद होते ही क्या हाल होता है । वेसा ही कुछ AI का भी हो सकता है , इसलिए उसे पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता भी खतरनाक होगी 

यह सही है की, जैसे-जैसे AI परिपक्व हो रहा है, इसके जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नैतिक ढाँचे और शासन ढाँचे विकसित किए जा रहे हैं। उसके बारे मे और उसके संभावित जोखिमों और लाभों पर चर्चा करके, हम इसके जिम्मेदार विकास और उपयोग पर आम सहमति बना सकते हैं। AI  के भविष्य को आकार देने के लिए वैज्ञानिकों, नैतिकतावादियों, नीति निर्माताओं और जनता सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग आवश्यक है।

याद रखें, AI अभी भी विकास की शुरूआत भर है। यह दशक AI  का है 2030 तक उसकी उन्नति की आज कोई कल्पना भी नही कर पाएगा, एक तरफ एसे लोगो है जो इसे  मददगार और सूचनाप्रद होने के लक्ष्य के साथ प्रोग्राम कर रहे है। जिसका  उद्देश्य मनुष्यों की सहायता करना हो , न कि उन्हें बरबाद करना। वही कुछ लोग इसे युद्ध की बेरहम मशीन बनाने को आमादा होगे। हम सब जानते है की  विज्ञान को भी मानवता को विकसित करने और लाभ पहुंचाने का एक उपकरण माना जाता था, लेकिन इसने सामूहिक विनाश के हथियार भी बनाए है । और दुख की बात है कि जिसने परमाणु बम बनाए, वही अब AI आप पर भी नियंत्रण रखेगा। एसे मे जिम्मेदार उपयोग की संभावना कम ही नजर आती है। 

हम पिछली गलतियों से बचने में हमेशा सफल नहीं रहे हैं, लेकिन हमने जो प्रगति की है उसे स्वीकार करना भी महत्वपूर्ण है। ज्ञान का लोकतंत्रीकरण और प्रौद्योगिकी के संभावित प्रभाव के बारे में बढ़ती सार्वजनिक जागरूकता सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। मे इस मंथन को जारी रखना चाहता हू क्योकी AI का उदय हो चुका है इसके पास अपने अतीत से सीखने और सक्रिय रूप से एक ऐसे भविष्य को आकार देने की शक्ति है। इस उम्मीद के सार्थ की AI जैसी तकनीक मानवता की भलाई के लिए काम करेगी। आइए  इस आशा और दृढ़ संकल्प के साथ अपना "मंथन" जारी रखें, एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम करें जहां प्रौद्योगिकी हमें सशक्त और उन्नत बनाए।यह एक एसी घटना है जो इन्सानो को भविष्य तय करेगी । इतिहास गवाह  की हमसे पहले भी इस धरती पर विकसित संस्क्रती थी जो अपने ही एसे ही किए केसी  कारक के कारण विलुप्त हो गई।  देखते है अब हम कितने समय तक अपने विलुप्त होने से रोक सकते है।

दुर्वेश




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