Monday, September 7, 2015

खाद्य तेल का सच !


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स्वास्थ रहना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है. बहुराष्ट्रीय और देशी कंपनीयों का नैतिक दायित्व है की वो हमे स्वास्थ खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये पर एसा नही हो रहा है. बहुराष्ट्रीय और उनका अनुसरण करने वाली बेकरी और रेस्टारेंट सारे मानको को ताक पर रखकर स्वादषिट जहर परोस रही है. एक एसा धीमा जहर जिसका असर तुरंत नही होता पर वो आज करोडो लोगों को डायबटीज, ह्रदय रोग, रक्त चाप, गठीया जैसी अनेको बिमारी का कारण बन उन्हे मौत के मूह मे धकेल रहा है. सरकारे खामोश है, डाकटर चुप है, हमारे सुपर स्टार खिलाडी और अभिनेता करोडों कमाने की लालच मे झूठा विज्ञापन कर लोगों को भ्रमित कर रहे है.   
आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइंड तेल के बारे में जानता नहीं थाये पिछले 20-25 वर्षों से हमारे देश में आया हैकुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैंइन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जमकर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात कोतब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू कियाडोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइंड तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खानाये नहीं कहते कि तेलसरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, नारियल का खाओ
अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता हैतेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक Fatty Acid है,  अगर चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायबतेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट हैशुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, 4-5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों मेंआप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल कंहा रहा.
तेलों  का परिष्करण और रिफाइनिंग के दौरान उसे उच्च तापमान पर कई बार गर्म किया जाता है और घातक रसायनों का प्रयोग किया जो तेल मे ट्रांस फेट का निर्माण करते है यह लोग बीज से पूरा तेल निकालने के लिये पेट्रोलियम रसायन हेग्जेन का प्रयोग करते है. वेसे तो यह प्रक्रिया मे तेल से लग कर लिया जाता है पर इसकी थोडी सी भी बची हुई मात्रा हमारे स्वास्थ के लिये बेहद हानीकारक होती है एसे ही और भी बहुत से हानीकारक रसायन यह कंपनीया  इस्तेमाल करती है जिसकी कोइ जानकरी यह आम नागरीक को उपल्बध नही करती
यह बढे दुर्भाग्य की बात है की तेल के सेल्फ लाइफ बढाने के लिये और उसे रंगहीन, गंध हीन बनाने के लिये तेल निर्माता बेशर्मी की हद तक खतरनाक रसायनों और प्रक्रियाओं का प्रयोग करते है. ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैंघुटने दुखनाकमर दुखनाहड्डियों में दर्दये तो छोटी बीमारियाँ हैंसबसे खतरनाक बीमारी हैहृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिसब्रेन का डैमेज हो जानाआदिआदि, जिन घरों मे रिफाइन तेल खाया जा रहा है वंहा ये सब बिमारियां अब ज्यादा हो रही है|
शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotin), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर मेंवैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध देशी तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे|
अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा हैमलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस मेंवहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता हैहम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैंवो एक-दो टन नहींलाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है| 7-8वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATTसमझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है|भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइयेरिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है उसमें पूरी संभावना है की उसमें पामोलिन तेल भी होगाआपको बता दें पामोलिन तेल का इस्तेमाल ज्यादातर साबून बनाने मे होता था. पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी घुलता  नहीं हैंकिसी भी तापमान पर  नहीं और ट्रांस फैट जब शरीर में  नहीं घुलता है तो वो बढ़ता जाता है और यह  हृदयघात, ब्रेन हैमरेज का एक बढा कारण बनता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है|
आजकल फास्ट फूड के नाम पर समोसे, पकोडे, आलू चिप्स का चलन है. रेस्टारेंट मालिक इन्हे तेल को बार बार गर्म कर उसमे इन्हे सेंकते रहते है और एसा तेल तेल के नाम पर जहर बन जाता है जो हम समोसे और अन्य खाद्य के साथ उसे खाते रहते है. होना तो यह चाहिये की तेल को कभी भी गर्म का करना पडे. उसे कच्चा ही लिया जाये जेसे हम सब्जी कमे घी डालते है या फोर रोटी पर घी चुपड कर खाते है. पर आज तेल को तलने के लिये इस्तेमाल किया जाता है. इसके बावजूद की तला हुआ खाने पर मजबूर है.   तेल को कम से कम गर्म करे. तलने के लिये कभी अगर इसे इस्तेमाल करना भी पडे तो उसी तेल को दुबारा तलने के लिये इस्तेमाल कभी ना करे.  


रिफाइंड तेल की जगह कच्ची घानी का निकला  मूंगफ़लीसरसोंतिल, olive का तेल ही खाएँ ! 


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