म0प्र0 के किसान, मजदूर आदिवासियों को उनका हक, न्याय और सम्मान दिलाने के लिये संघर्षरत पूर्व विधायक डॉ0 सुनीलम् का जन्म भोपाल के सुल्तानिया अस्पताल भोपाल में 27 जुलाई, 1961 को हुआ। इनके पिता मूलतः रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील के ग्राम मड्खेड़ा टप्पा के निवासी हैं तथा मॉं सागर की निवासी थी। आपके माता पिता दोनों ही प्राचार्य के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद ग्वालियर में बस गये।
मॉ का ग्वालियर में ही देहान्त हो गया। डॉ0 सुनीलम् के छोटे भाई आदर्श मिश्रा पिता जी के साथ ग्वालियर में रह रहे हैं तथा बहन और जीजाजी ग्वालियर में डॉक्टर है। डॉ0 सुनीलम् की पत्नी श्रीमती वंदना मिश्रा विकलांग जन संस्थान दिल्ली में विषेषज्ञ के तौर पर कार्यरत है। यह आसरा नामक विकलांगो के लिये निःषुल्क कम्प्यूटर शिक्षा देने वाली संस्था का संचालन कर रही हैं। उनका 17 वर्षीय बेटा शाष्वत दिल्ली में ही पढ़ रहा है। प्राथमिक षिक्षा से लेकर एम.एस.सी. (एप्लाईड इलेक्ट्रॉनिक्स) तक ग्वालियर से करने के बाद उन्होंने पी.एच.डी. डिग्री बायो मेडिकल इलेक्ट्रानिक्स में दिल्ली विष्वविद्यालय से प्राप्त की। आस्टेªलिया मेलबोर्न में शोध कार्य छोडकर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हुए। डॉ0 सुनील मिश्रा की जगह डॉ0 सुनीलम् लिखने की प्रेरणा डॉ0 लोहिया के जाति तोड़ो आंदोलन से प्राप्त हुई। इसी कारण उन्होंने जाति सूचक नाम लिखना बंद कर दिया। राजनीति में आपका प्रवेष इमरजेंसी का विरोध करनेवाले एक स्कूली छात्र के रूप में सन् 1976 में ग्वालियर में हुआ।
बैतूल आपका कार्यक्षेत्र 19 वर्ष पूर्व बना जब आपको आदिवासियों के बीच साक्षरता विषय पर लिखन क लिये एक राष्ट्रीय दैनिक संपादक द्वारा दिल्ली से बैतल भेजा गया। आप घोड़ाडोंगरी क्षेत्र क ग्राम बंजारीढ़ाल, जहां आदिवासियों का गदर अंग्रेजों के खिलाफ हुआ था, पहुंचे। इस इलाके का अध्ययन करने के दौरान क्षेत्र के आदिवासियों के आग्रह पर उन्होंने किसानों पर लगाये गये चराई टैक्स के खिलाफ पहली बार आवाज बुलन्द की। तत्पष्चात सन् 1985 में बैतूल जिले में सूखा पड़ने पर शाहपुर से बैतूल के बीच 10,000 किसान आदिवासियों का सूखा मार्च आयोजित किया। चोपना प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ बंगालियों के आग्रह पर जब वे चोपना पहुंचे तब उन पर जान लेवा हमला किया। हमला उनके ऊपर हुआ और उन्हें ही गिरफ्तार किया गया। डॉ0 सुनीलम् पर 5 बार जानलेवा हमला हो चुके है वे सैकड़ों बार वह जेल जा चुके है। आज तक उन पर 132 मुकदमे दर्ज किए गए है।
जेल में आपकी मुलाकात पाथाखेड़ा के नागरिक संघर्ष समिति के नेताओं से हुई, वे पाथाखेड़ा में पानी, बिजली के सवाल को लेकर सषक्त आंदोीलन चला भी रहे थे। इन आंदोलनों के दौरान डॉ0 सुनीलम् को कई बार अनावष्यक तौर पर गिरफ्तार किया गया। यहां तक कि उनका कार्यालय भी ढहा दिया गया। इस बीच पंखा में वीयरवेल टायर फैक्ट्री के श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने के सवाल पर उन्होंने यूनियन गठित कर आन्दोलन शुरू किया, वहां भी फैक्ट्री मालिक के गुंडो द्वार उन पर जानलेवा हमला करवाया गया। 9 दिन के आमरण अनषन के बाद मजदूरों का मालिक के साथ समझौता हुआ।
सन् 1990 में आपने मुलताई से चुनाव लड़ा तथा पीने के पानी की समस्या को लेकर आंदोलन की शुरूआत की। इस बीच आपका प्रयास जिले में रचनात्मक कार्याे को चलाने का भी रहा। आपके पास जो जमीन ग्राम उड़दन, ग्राम पंचायत जामठी में थी वह आपने डॉ0 लोहिया आदिवासी समता केन्द्र को सौंप दी। केन्द्र के प्रबंधन्यासी के तौर पर आप बैतूल में पीने पानी की समसया के लिये रचनात्मक कार्य करते रहे। इनका लाभ कई ग्रामों के किसान उठा रहे है तथा महिलाओं के बुनाई प्रषिक्षण केन्द्र के माध्यम से महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
विष्वविद्यालयीन षिक्षा पाते हुए आपने दिल्ली में प्रतिपक्ष नामक साप्ताहिक तथा बाद में मासिक पत्रिका का संपादक किया जिसके मुख्य संपादक श्री जार्ज फर्नाडीस थे। तत्पष्चात आपने न्याय चक्र नामक पत्रिका का संपादन किया जिसके मुख्य संपादक श्री रामविलास पासवान है। इस बीच आपने समाजवादी आंदोलन पर दी किताबें प्रो. विनोद प्रसादसिंह के साथ और एक किताब श्री सुरेन्द्र मोहन जी के साथ संपादित की। इसके अलावा आप समसामायिक मुद्दों पर लिखते रहे हैं। आप देषभर में चल रहे जन आंदोलनों से संबंध रखने वाले सक्रिय कार्यकर्ता है।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के संस्थान कर्पाट के लिये आपने 250 से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं का मूल्यांकन भी किया। सन् 1989 की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान बनाई गई राष्ट्रीय युवा नीति को तैयार करने में आपने मुख्य भूमिका निभाई।
सन् 1989 से 1997 तक आप युवा जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी.पी. सिंह के संचालन के चलाये गये युवा शक्ति अभियान का आपने नेतृत्व किया। इसके साथ साथ इंटरनेषनल यूनियन ऑफ सोषलिस्ट यूथ 120 देषों के युवा समाजवादियों के संगठन का आपको दो वर्षो के लिये सन् 1995 में उपाध्यक्ष चुना गया।
12 जनवरी 1998 की मुलताई किसान संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों पर पुलिस, द्वारा बर्बरतापूर्ण तरीके से किये गये गोली चालन में 24 किसान शहीद हुए। डॉ0 सुनीलम् सहित 250 से अधिक किसानों पर 67 मुकदमें दर्ज कर आपको जेल भेज दिया गया। तीन महीने जेल में रखने के बाद हाई कोर्ट के आदेष पर जमानत पर रिहा किया गया। मुलताई के किसानो ने भीषण विपरीत परिस्थिति तथा पुलिस दमन के बावजूद संघर्ष समिति का साथ नहीं छोड़ा। चिखलीकला महापंचायत में ग्रामीणों ने विभिन्न पंचायतों से प्रस्ताव लाकर उन्हें लोक उम्मीदवार बनाया। सरकार,पुलिस, प्रषासन,सभी राजनैतिक दलों तथा जातीय संगठनों की पूरी ताकत लगाने के बावजूद उनहें मतदाताओं ने 50 प्रतिषत से अधिक मत देकर विजयी बनाया।
अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों के दौरान आपको 60 से अधिक देषों में वहं के वरिष्ठ नेताओं, षिक्षाविदों, पत्रकारों तथा युवा नेताओं और कई देषांे के प्रधानमंत्रियों एवं मंत्रियों के साथ चर्चा तथा बहस करने के अवसर प्राप्त हुआ। जिसके दौरान आपने भारत के राष्ट्रीय हितों को लेकर अपना दृष्टिकोण मजबूती से पेष किया। जुलाई 2000 में उन्हें यूसी द्वारा स्वीडन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव को संबोधिंत करने के लिये बुलाया गया जिसमें उन्होंने स्वीडन के प्रधानमंत्री और दक्षिण अफ्रीका तथा चिली के राष्ट्रपति के साथ विष्व व्यापार संगठन के मुख्य महासचिव माईक मूर के साथ खुली बहस में हिस्सा लिया। एषियाई देषों के युवाओं को संबोधिंत करने के लिये आप 1999 में मलेषिया बुलाये गये।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता, लोकतंत्र व मानवाधिकारो के सवाल के लिए गठित भारतय एकजुटता समिति के राष्ट्रीय सचिव भी है जिसका मुख्यालय कोची (केरल) में स्थित है।। उन्होंने कुष्ठरोगियों के बीच कार्य करने वाली कुष्ठ कल्याण समिति के संचालक के तौर पर कार्य किया तथा कपार्ट के पष्चिम क्षेत्र को संचालन समिति के उन्हें अन्ना हजारे के संयोजकत्व में सदस्य के तौर पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।
डॉ0सुनीलम् निर्माण मजदूर पंचायत संगम, ग्वालियर के मॉडल फाउण्डेषन स्कूल, बेगमगंज रायसने के न्यू मॉडल हाई स्कूल तथा मुलताई के ताप्ती महाविद्यालय आदि शैक्षणिक संस्थाओं से जुडे रहे है।
डॉ0 लोहिया समता आदिवासी केन्द्र के प्रबन्ध न्यासी है। हिन्द मजदूर किसान पंचायत के राष्ट्रीय अतिरिक्त महामंत्री रहे है। जिसका हिन्द मजदूर सभा के साथ विलय हो गया है। मजदूर सभा, निर्माण मजदूर पंचायत संगम, सोषलिस्ट फ्रन्ट के साथ जुड़कर कार्य करते है। राष्ट्र सेवा दल के प्रदेष कार्यकारी अध्यक्ष है।
बैतूल जिले में अब तक 176 महापंचायतें आयोजित की जा चुकी है। शहीद किसानों की स्मृति में हर वर्ष 34 शालाओं में प्रथम आने वाली छात्राओ को पारितोषिक देने का कार्य भी डॉ0 सुनीलम् की मॉ स्व विद्यावती मिश्र की स्मृति में बने ट्रस्ट विद्या मेमोरियल डॉफ्ट 12 जनवरी के हर वर्ष किया जा रहा है।
डॉ0 सुनीलम् ने 25 जुलाई। 2003 से एक सप्ताह के लिए इंजिपट का दौरा किया। इंजिप्ट में हुए इंटरनेषल प्रेसीडेन्ट सोषलिस्ट ग्रुप के युवा समाजवादियों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए जहां उन्होंने इजिप्ट के प्रधानमंत्री सोषलिस्ट इंटरनेषनल प्रेसीडेन्ट एवं स्पेन के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ 120 देषोंके 10 हजार युवाओं को संबोधित किया। डॉ0 सुनीलम् विष्व व्यापार संगठन विरोधी भारतीय जन विरोधी अभियान से जुड़े रहे है।
डॉ0 सुनीलम् ने प्रदेष में सर्वाधिक प्रष्न पूछने वाले विधायक के तौर पर रिकार्ड बनाया है। डॉ0 सुनीलम् को विधानसभा से कांग्रेस, भाजपा ने षडयंत्रपूर्वक निलंबित कराने का कार्य किया। 23 मार्च, 2002 को भोपाल में म0प्र0 किसान मजदूर आदिवासी क्रांतिदल का गठन किया। एक वर्ष के भीतर 30 जिलों में इकाईयों का गठन किया। 3 अगस्त को प्रदेष कार्यकारिणी ने समाजवादी पार्टी के नेता श्री मुलायमसिंह यादव से बातचीत के लिये डॉ0 सुनीलम् को अधिकृत किया। 3 अक्टूबर को प्रदेष कार्यकारिणी ने क्रांतिदल का समाजवादी पार्टी में विलय का प्रस्ताव लिया। 15 अक्टूबर को भोपाल के विषेष अधिवेषन में विलय का निर्णय लिया। प्रदेष में म0प्र0 किसान संघर्ष समिति की किसान महापंचायते 30 विधानसभा क्षेत्रों में आयोति की जा रही है ं
नवम्बर 2003 के विधानसभा चुनाव में आप समाजवादी पार्टी के विधायक की हैसियत से 19685 मतों से चुनाव जीत कर विधानसभा में दुबारा पहुंचे। वर्तमान में डॉ0 सुनीलम् म0प्र0 किसान संघर्ष समिति के संस्थापक प्रदेषाध्यक्ष तथा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव है।
डॉ0 सुनीलम् जन आंदोलनो का राष्ट्रीय समन्वय इंसाफ, किसान संगठनो का राष्ट्रीय समन्वय, भारत बांग्लादेष, पाकिस्तान पीपुल्स फोरम, साउथ एषीयन फ्रेटरनिटी, जीएम फ्री इंडिया अभियान से जुडे हुए डॉ0 सुनीलम् ने 9 अगस्त से 12 अक्टूबर 2009 के बीच 21 राज्यो की तथा 29 मार्च से 9 अपै्रल 2010 के बीच पूर्वात्तर राज्यो की यात्रा की। डॉ0 सुनीलम् पूर्व में म0प्र0 की 3 बार 15 हजार कि0मी0 की तथा 1 बार मामा बालेष्वर दयाल की स्मृति में उनके जन्मभूमि निवाडी कला इटावा से कर्म भूमि बामनिया तक यात्रा कर चुके।
मॉ का ग्वालियर में ही देहान्त हो गया। डॉ0 सुनीलम् के छोटे भाई आदर्श मिश्रा पिता जी के साथ ग्वालियर में रह रहे हैं तथा बहन और जीजाजी ग्वालियर में डॉक्टर है। डॉ0 सुनीलम् की पत्नी श्रीमती वंदना मिश्रा विकलांग जन संस्थान दिल्ली में विषेषज्ञ के तौर पर कार्यरत है। यह आसरा नामक विकलांगो के लिये निःषुल्क कम्प्यूटर शिक्षा देने वाली संस्था का संचालन कर रही हैं। उनका 17 वर्षीय बेटा शाष्वत दिल्ली में ही पढ़ रहा है। प्राथमिक षिक्षा से लेकर एम.एस.सी. (एप्लाईड इलेक्ट्रॉनिक्स) तक ग्वालियर से करने के बाद उन्होंने पी.एच.डी. डिग्री बायो मेडिकल इलेक्ट्रानिक्स में दिल्ली विष्वविद्यालय से प्राप्त की। आस्टेªलिया मेलबोर्न में शोध कार्य छोडकर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हुए। डॉ0 सुनील मिश्रा की जगह डॉ0 सुनीलम् लिखने की प्रेरणा डॉ0 लोहिया के जाति तोड़ो आंदोलन से प्राप्त हुई। इसी कारण उन्होंने जाति सूचक नाम लिखना बंद कर दिया। राजनीति में आपका प्रवेष इमरजेंसी का विरोध करनेवाले एक स्कूली छात्र के रूप में सन् 1976 में ग्वालियर में हुआ।
बैतूल आपका कार्यक्षेत्र 19 वर्ष पूर्व बना जब आपको आदिवासियों के बीच साक्षरता विषय पर लिखन क लिये एक राष्ट्रीय दैनिक संपादक द्वारा दिल्ली से बैतल भेजा गया। आप घोड़ाडोंगरी क्षेत्र क ग्राम बंजारीढ़ाल, जहां आदिवासियों का गदर अंग्रेजों के खिलाफ हुआ था, पहुंचे। इस इलाके का अध्ययन करने के दौरान क्षेत्र के आदिवासियों के आग्रह पर उन्होंने किसानों पर लगाये गये चराई टैक्स के खिलाफ पहली बार आवाज बुलन्द की। तत्पष्चात सन् 1985 में बैतूल जिले में सूखा पड़ने पर शाहपुर से बैतूल के बीच 10,000 किसान आदिवासियों का सूखा मार्च आयोजित किया। चोपना प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ बंगालियों के आग्रह पर जब वे चोपना पहुंचे तब उन पर जान लेवा हमला किया। हमला उनके ऊपर हुआ और उन्हें ही गिरफ्तार किया गया। डॉ0 सुनीलम् पर 5 बार जानलेवा हमला हो चुके है वे सैकड़ों बार वह जेल जा चुके है। आज तक उन पर 132 मुकदमे दर्ज किए गए है।
जेल में आपकी मुलाकात पाथाखेड़ा के नागरिक संघर्ष समिति के नेताओं से हुई, वे पाथाखेड़ा में पानी, बिजली के सवाल को लेकर सषक्त आंदोीलन चला भी रहे थे। इन आंदोलनों के दौरान डॉ0 सुनीलम् को कई बार अनावष्यक तौर पर गिरफ्तार किया गया। यहां तक कि उनका कार्यालय भी ढहा दिया गया। इस बीच पंखा में वीयरवेल टायर फैक्ट्री के श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने के सवाल पर उन्होंने यूनियन गठित कर आन्दोलन शुरू किया, वहां भी फैक्ट्री मालिक के गुंडो द्वार उन पर जानलेवा हमला करवाया गया। 9 दिन के आमरण अनषन के बाद मजदूरों का मालिक के साथ समझौता हुआ।
सन् 1990 में आपने मुलताई से चुनाव लड़ा तथा पीने के पानी की समस्या को लेकर आंदोलन की शुरूआत की। इस बीच आपका प्रयास जिले में रचनात्मक कार्याे को चलाने का भी रहा। आपके पास जो जमीन ग्राम उड़दन, ग्राम पंचायत जामठी में थी वह आपने डॉ0 लोहिया आदिवासी समता केन्द्र को सौंप दी। केन्द्र के प्रबंधन्यासी के तौर पर आप बैतूल में पीने पानी की समसया के लिये रचनात्मक कार्य करते रहे। इनका लाभ कई ग्रामों के किसान उठा रहे है तथा महिलाओं के बुनाई प्रषिक्षण केन्द्र के माध्यम से महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
विष्वविद्यालयीन षिक्षा पाते हुए आपने दिल्ली में प्रतिपक्ष नामक साप्ताहिक तथा बाद में मासिक पत्रिका का संपादक किया जिसके मुख्य संपादक श्री जार्ज फर्नाडीस थे। तत्पष्चात आपने न्याय चक्र नामक पत्रिका का संपादन किया जिसके मुख्य संपादक श्री रामविलास पासवान है। इस बीच आपने समाजवादी आंदोलन पर दी किताबें प्रो. विनोद प्रसादसिंह के साथ और एक किताब श्री सुरेन्द्र मोहन जी के साथ संपादित की। इसके अलावा आप समसामायिक मुद्दों पर लिखते रहे हैं। आप देषभर में चल रहे जन आंदोलनों से संबंध रखने वाले सक्रिय कार्यकर्ता है।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के संस्थान कर्पाट के लिये आपने 250 से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं का मूल्यांकन भी किया। सन् 1989 की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान बनाई गई राष्ट्रीय युवा नीति को तैयार करने में आपने मुख्य भूमिका निभाई।
सन् 1989 से 1997 तक आप युवा जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी.पी. सिंह के संचालन के चलाये गये युवा शक्ति अभियान का आपने नेतृत्व किया। इसके साथ साथ इंटरनेषनल यूनियन ऑफ सोषलिस्ट यूथ 120 देषों के युवा समाजवादियों के संगठन का आपको दो वर्षो के लिये सन् 1995 में उपाध्यक्ष चुना गया।
12 जनवरी 1998 की मुलताई किसान संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों पर पुलिस, द्वारा बर्बरतापूर्ण तरीके से किये गये गोली चालन में 24 किसान शहीद हुए। डॉ0 सुनीलम् सहित 250 से अधिक किसानों पर 67 मुकदमें दर्ज कर आपको जेल भेज दिया गया। तीन महीने जेल में रखने के बाद हाई कोर्ट के आदेष पर जमानत पर रिहा किया गया। मुलताई के किसानो ने भीषण विपरीत परिस्थिति तथा पुलिस दमन के बावजूद संघर्ष समिति का साथ नहीं छोड़ा। चिखलीकला महापंचायत में ग्रामीणों ने विभिन्न पंचायतों से प्रस्ताव लाकर उन्हें लोक उम्मीदवार बनाया। सरकार,पुलिस, प्रषासन,सभी राजनैतिक दलों तथा जातीय संगठनों की पूरी ताकत लगाने के बावजूद उनहें मतदाताओं ने 50 प्रतिषत से अधिक मत देकर विजयी बनाया।
अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों के दौरान आपको 60 से अधिक देषों में वहं के वरिष्ठ नेताओं, षिक्षाविदों, पत्रकारों तथा युवा नेताओं और कई देषांे के प्रधानमंत्रियों एवं मंत्रियों के साथ चर्चा तथा बहस करने के अवसर प्राप्त हुआ। जिसके दौरान आपने भारत के राष्ट्रीय हितों को लेकर अपना दृष्टिकोण मजबूती से पेष किया। जुलाई 2000 में उन्हें यूसी द्वारा स्वीडन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव को संबोधिंत करने के लिये बुलाया गया जिसमें उन्होंने स्वीडन के प्रधानमंत्री और दक्षिण अफ्रीका तथा चिली के राष्ट्रपति के साथ विष्व व्यापार संगठन के मुख्य महासचिव माईक मूर के साथ खुली बहस में हिस्सा लिया। एषियाई देषों के युवाओं को संबोधिंत करने के लिये आप 1999 में मलेषिया बुलाये गये।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता, लोकतंत्र व मानवाधिकारो के सवाल के लिए गठित भारतय एकजुटता समिति के राष्ट्रीय सचिव भी है जिसका मुख्यालय कोची (केरल) में स्थित है।। उन्होंने कुष्ठरोगियों के बीच कार्य करने वाली कुष्ठ कल्याण समिति के संचालक के तौर पर कार्य किया तथा कपार्ट के पष्चिम क्षेत्र को संचालन समिति के उन्हें अन्ना हजारे के संयोजकत्व में सदस्य के तौर पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।
डॉ0सुनीलम् निर्माण मजदूर पंचायत संगम, ग्वालियर के मॉडल फाउण्डेषन स्कूल, बेगमगंज रायसने के न्यू मॉडल हाई स्कूल तथा मुलताई के ताप्ती महाविद्यालय आदि शैक्षणिक संस्थाओं से जुडे रहे है।
डॉ0 लोहिया समता आदिवासी केन्द्र के प्रबन्ध न्यासी है। हिन्द मजदूर किसान पंचायत के राष्ट्रीय अतिरिक्त महामंत्री रहे है। जिसका हिन्द मजदूर सभा के साथ विलय हो गया है। मजदूर सभा, निर्माण मजदूर पंचायत संगम, सोषलिस्ट फ्रन्ट के साथ जुड़कर कार्य करते है। राष्ट्र सेवा दल के प्रदेष कार्यकारी अध्यक्ष है।
बैतूल जिले में अब तक 176 महापंचायतें आयोजित की जा चुकी है। शहीद किसानों की स्मृति में हर वर्ष 34 शालाओं में प्रथम आने वाली छात्राओ को पारितोषिक देने का कार्य भी डॉ0 सुनीलम् की मॉ स्व विद्यावती मिश्र की स्मृति में बने ट्रस्ट विद्या मेमोरियल डॉफ्ट 12 जनवरी के हर वर्ष किया जा रहा है।
डॉ0 सुनीलम् ने 25 जुलाई। 2003 से एक सप्ताह के लिए इंजिपट का दौरा किया। इंजिप्ट में हुए इंटरनेषल प्रेसीडेन्ट सोषलिस्ट ग्रुप के युवा समाजवादियों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए जहां उन्होंने इजिप्ट के प्रधानमंत्री सोषलिस्ट इंटरनेषनल प्रेसीडेन्ट एवं स्पेन के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ 120 देषोंके 10 हजार युवाओं को संबोधित किया। डॉ0 सुनीलम् विष्व व्यापार संगठन विरोधी भारतीय जन विरोधी अभियान से जुड़े रहे है।
डॉ0 सुनीलम् ने प्रदेष में सर्वाधिक प्रष्न पूछने वाले विधायक के तौर पर रिकार्ड बनाया है। डॉ0 सुनीलम् को विधानसभा से कांग्रेस, भाजपा ने षडयंत्रपूर्वक निलंबित कराने का कार्य किया। 23 मार्च, 2002 को भोपाल में म0प्र0 किसान मजदूर आदिवासी क्रांतिदल का गठन किया। एक वर्ष के भीतर 30 जिलों में इकाईयों का गठन किया। 3 अगस्त को प्रदेष कार्यकारिणी ने समाजवादी पार्टी के नेता श्री मुलायमसिंह यादव से बातचीत के लिये डॉ0 सुनीलम् को अधिकृत किया। 3 अक्टूबर को प्रदेष कार्यकारिणी ने क्रांतिदल का समाजवादी पार्टी में विलय का प्रस्ताव लिया। 15 अक्टूबर को भोपाल के विषेष अधिवेषन में विलय का निर्णय लिया। प्रदेष में म0प्र0 किसान संघर्ष समिति की किसान महापंचायते 30 विधानसभा क्षेत्रों में आयोति की जा रही है ं
नवम्बर 2003 के विधानसभा चुनाव में आप समाजवादी पार्टी के विधायक की हैसियत से 19685 मतों से चुनाव जीत कर विधानसभा में दुबारा पहुंचे। वर्तमान में डॉ0 सुनीलम् म0प्र0 किसान संघर्ष समिति के संस्थापक प्रदेषाध्यक्ष तथा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव है।
डॉ0 सुनीलम् जन आंदोलनो का राष्ट्रीय समन्वय इंसाफ, किसान संगठनो का राष्ट्रीय समन्वय, भारत बांग्लादेष, पाकिस्तान पीपुल्स फोरम, साउथ एषीयन फ्रेटरनिटी, जीएम फ्री इंडिया अभियान से जुडे हुए डॉ0 सुनीलम् ने 9 अगस्त से 12 अक्टूबर 2009 के बीच 21 राज्यो की तथा 29 मार्च से 9 अपै्रल 2010 के बीच पूर्वात्तर राज्यो की यात्रा की। डॉ0 सुनीलम् पूर्व में म0प्र0 की 3 बार 15 हजार कि0मी0 की तथा 1 बार मामा बालेष्वर दयाल की स्मृति में उनके जन्मभूमि निवाडी कला इटावा से कर्म भूमि बामनिया तक यात्रा कर चुके।
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