कभी शांत
तो कभी बैचेन
कभी दोस्तों की भीड
तो कभी तन्हा अकेला
वेरागी मन
कभी भागता
सपनों के पीछे
कभी चाहता रहना अकेला
अनगिनीत सवाल का बाबन्डर
का केंद्र
महा शून्य
जिसे पाना है बस साकक्षी भाव से
कभी दोस्तों की भीड
तो कभी तन्हा अकेला
वेरागी मन
कभी भागता
सपनों के पीछे
कभी चाहता रहना अकेला
अनगिनीत सवाल का बाबन्डर
का केंद्र
महा शून्य
जिसे पाना है बस साकक्षी भाव से
No comments:
Post a Comment