Friday, August 15, 2008

हाथी के बच्चे से मुलाकात


बांस का घना जंगल, सुबह के चार बजे है. पूर्वी आसमान में हल्की सी लाली पर जंगल में अभी घना अंधेरा है. घने अंधेरे को चीरती जीप की हेड लाइट. सुबह की ठंडी हवा मेरे थके चेहरे से टकरा कर मुझे सुकून भरी राहत दे रही है. मेरी आंखे बंद है घाटी में से आती बांस के टूटने की आवाजें... हमे हाथियों के इस इलाके में होने की खबर फोरेस्ट अधिकारीयों ने पहले से दे दी है जिस से हम जरूरी एतिहायत बरत सके. हमे बोला गया की जब भी हम इस जंगल से गुजरे तो कुछ पटाखे हमेशा साथ रखे, जो जरूरत पडने पर हाथियों को भगाने के काम आ सके. यह एक जरूरी छोटा सा सुरक्षा उपाय है जिसे करने की उम्मीद हम से वो करते है. पर जब सुबह के चार बजे स्टोर बंद हो और स्टाफ गहरी नींद में हो तो किसी को जगाना वो भी इस थके शरीर के साथ जो अब थक कर चूर गया है. अब तो बस गेस्ट हाउस का बिस्तर दिमाग में है.

यह गजब का जानवर है. इसकी भूख ने इसे इतनी सुबह जगा दिया है. क्या पता ये सारी रात से खा रहे हो. बांस के टूटने की आवाज इस गहरी खाइ में इन्ही से आ रही है. रात भर से हम टरबाइन बियरींग के तापमान की समस्या पर काम कर रहे थे. अब सब कंट्रोल में है.

जीप ने तीखा घुमाव लिया ....तेजी से लगे ब्रेक से मेरा सिर डेश बोर्ड से टकराते बचा मेंने घूर कर डराइवर को देखा ...पर उसकी आंखो की दहश्त ...ने मुझे सामने देखने को मजबूर किया. वो चार थे उनका बच्चा बीच रोड पर में बाकी दो उसके दोनों तरफ एक उसके ठीक पीछे...ड्राइवर ने तुरंत हेडा लाइट बुझा दी अब हमे कुछ दिखाई नहीं दे रहा. बस उम्मीद कर रहे है की वो घाटी में नीचे उतर जायेगे....पांच मिनिट हम सांस रोके अंधरे में घूरते रहे...अब लगा की वो जा चुके है. ड्राइवर ने पार्किंग लाईट जलाई. हमे जो दिखाई दिया उसे देख कर हमारी जान हलक में आ गई. नांरगी पार्किंग लाइट में देखा की बच्चा अपनी सूड विंड स्क्रीन पर घुमा रहा है. दो उसके पीछे और एक ठीक मेरे बगल में. एक ठंडी लहर मेरी रीढ से गुजर गई. अब हम पूरी तरह उनकी दया पर थे. मेरे बगल वाले हाथी से अपना पेर दरवाजे पर रगडा जेसे वो अपनी खुजली मिटा रहा हो. उसके ऐसा करने से ही जीप बुरी तरह हिलने लग़ी. हम दोनों अपने इश्वर को याद कर रहे है. बस एक जरा सा धक्का और हम सेकडो फीट गहरी खाई में होंगे

अचानक बच्चे ने ग्लास वाइपर को एक झटाके में उसे पानी सूढ से खीच लिया शायद उसने बांस का टुकडा समझा था. उसने पीछे मुडकर शायद अपनी मां को देखा. पर उसने बच्चे को अपनी सूढ के नीचे ले लिया और वो धीरे से हमारी बगल से निकलने लगे बच्चा फिर से रुका उसने मुझे देखा और सूढ मेरी तरफ बढाई पर गिलास उपर चढा होने से वो ऐसा नहीं कर सका. उसने और कोशिश की पर उसकी मां ने उसकी पूछ से पकडकर अपनी तरफ खीचा ....1 मिनिट...2 मिनिट वो जा चुके थे ...मेने ड्राइवर की तरफ देखा ...हमे अब भी एक दूसरे के दिल की धडकन सुनाई दे रही है. 

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