इससे पहले कि मैं यह कविता पढ़ना शुरू करूँ
मेरी गुज़ारिश है कि हमसब एक मिनट का मौन रखें
ग्यारह सितम्बर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन में मरे लोगों की याद में
और फिर एक मिनट का मौन उन सब के लिए जिन्हें प्रतिशोधमें
सताया गया, क़ैद कियागया
जो लापता हो गए जिन्हें यातनाएं दीगईं
जिनके साथ बलात्कार हुए एक मिनट कामौन
अफ़गानिस्तान के मज़लूमों और अमरीकी मज़लूमों के लिए
और अगर आप इज़ाजतदें तो
एक पूरे दिन कामौन
हज़ारों फिलस्तीनियों के लिए जिन्हेंउनके वतन पर दशकों से काबिज़
इस्त्राइलीफ़ौजों ने अमरीकी सरपरस्ती में मार डाला
छह महीने का मौन उन पन्द्रह लाख इराकियों के लिए, उन इराकी बच्चों के लिए,
जिन्हें मार डाला ग्यारह साल लम्बी घेराबन्दी, भूख और अमरीकी बमबारी ने
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरूकरूँ
दो महीने का मौन दक्षिणअफ़्रीका के अश्वेतों के लिए जिन्हें नस्लवादी शासन ने
अपने ही मुल्क में अजनबी बना दिया। नौ महीने कामौन
हिरोशिमा और नागासा की के मृतकों केलिए, जहाँ मौत बरसी
चमड़ी, ज़मीन, फ़ौलादऔर कंक्रीट की हर पर्त को उधेड़ती हुई,
जहाँ बचे रह गए लोग इस तरह चलते फिरते रहे जैसे कि जिंदाहों।
एक साल का मौन विएतनाम के लाखोंमुर्दों के लिए...
कि विएतनाम किसी जंगका नहीं, एक मुल्क का नाम है...
एक सालका मौन कम्बोडिया और लाओस के मृतकों के लिए जो
एक गुप्त युद्ध का शिकार थे... और ज़रा धीरेबोलिए,
हम नहीं चाहते कि उन्हें यह पताचले कि वे मर चुके हैं। दो महीने का मौन
कोलम्बिया के दीर्घ कालीन मृतकों के लिए जिनके नाम
उनकी लाशों की तरह जमा होतेरहे
फिर गुम हो गए और ज़बान से उतरगए।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरूकरूँ।
एक घंटे का मौन एल सल्वादोरके लिए
एक दोपहर भर का मौन निकारागुआ केलिए
दो दिन का मौन ग्वातेमालावासिओं के लिए
जिन्हें अपनी ज़िन्दगी में चैन की एकघड़ी नसीब नहीं हुई।
45 सेकेंड का मौनआकतिआल, चिआपास में मरे 45 लोगों के लिए,
और पच्चीस साल का मौन उन करोड़ों गुलाम अफ्रीकियों केलिए
जिनकी क़ब्रें समुन्दर में हैं इतनी गहरी कि जितनी ऊंची कोई गगनचुम्बी इमारत भी न होगी।
उनकी पहचान के लिए कोई डीएनए टेस्ट नहीं होगा, दंतचिकित्सा के रिकॉर्ड नहीं खोले जाएंगे।
उन अश्वेतों के लिए जिनकी लाशें गूलर के पेड़ों से झूलती थीं
दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम
एक सदी कामौन
यहीं इसी अमरीका महाद्वीप केकरोड़ों मूल बाशिन्दों के लिए
जिनकीज़मीनें और ज़िन्दगियाँ उनसे छीन ली गईं
पिक्चर पोस्ट्कार्ड से मनोरम खित्तोंमें...
जैसे पाइन रिज वूंडेड नी, सैंडक्रीक, फ़ालन टिम्बर्स, या ट्रेल ऑफ टियर्स।
अब ये नाम हमारी चेतना के फ्रिजों पर चिपकी चुम्बकीय काव्य-पंक्तियाँ भर हैं।
तो आप को चाहिए खामोशी का एक लम्हा ?
जबकि हम बेआवाज़ हैं
हमारे मुँहों से खींच ली गईहैं ज़बानें
हमारी आखें सी दी गईहैं
खामोशी का एक लम्हा
जबकि सारे कवि दफनाए जा चुके हैं
मिट्टी हो चुके हैं सारे ढोल।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू करूँ
आप चाहते हैं एक लम्हे का मौन
आपको ग़म है कि यह दुनिया अब शायद पहले जैसी नहीं रही रहजाएगी
इधर हम सब चाहते हैं कि यह पहलेजैसी हर्गिज़ न रहे।
कम से कम वैसी जैसीयह अब तक चली आई है।
क्योंकि यहकविता 9/11 के बारे में नहीं है
यह 9/10 के बारे में है
यह 9/9 के बारे मेंहै
9/8 और 9/7 के बारे मेंहै
यह कविता 1492 के बारे मेंहै।
यह कविता उन चीज़ों के बारे मेंहै जो ऐसी कविता का कारण बनती हैं।
औरअगर यह कविता 9/11 के बारे में है, तो फिर :
यह सितम्बर 9, 1973 के चीले देश के बारे मेंहै,
यह सितम्बर 12, 1977 दक्षिण अफ़्रीकाऔर स्टीवेन बीको के बारे में है,
यह 13 सितम्बर 1971 और एटिका जेल, न्यू यॉर्क में बंद हमारे भाइयों के बारे मेंहै।
यह कविता सोमालिया, सितम्बर 14, 1992 के बारे में है।
यह कविता हरउस तारीख के बारे में है जो धुल-पुँछ रही है कर मिट जाया करती है।
यह कविता उन 110 कहानियो के बारे में है जो कभी कही नहींगईं, 110 कहानियाँ
इतिहास कीपाठ्यपुस्तकों में जिनका कोई ज़िक्र नहीं पाया जाता,
जिनके लिए सीएनएन, बीबीसी, न्यू यॉर्क टाइम्स औरन्यूज़वीक में कोई गुंजाइश नहीं निकलती।
यह कविता इसी कार्यक्रम में रुकावट डालने के लिएहै।
आपको फिर भी अपने मृतकों की यादमें एक लम्हे का मौन चाहिए ?
हम आपको देसकते हैं जीवन भर का खालीपन :
बिनानिशान की क़ब्रें
हमेशा के लिए खो चुकीभाषाएँ
जड़ों से उखड़े हुए दरख्त, जड़ों सेउखड़े हुए इतिहास
अनाम बच्चों के चेहरोंसे झांकती मुर्दा टकटकी
इस कविता कोशुरू करने से पहले हम हमेशा के लिए ख़ामोश हो सकते हैं
या इतना कि हम धूल से ढँक जाएँ
फिर भी आप चाहेंगे कि
हमारी ओर से कुछ और मौन।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रोक दो तेल के पम्प
बन्द कर दो इंजन और टेलिविज़न
डुबा दो समुद्री सैर वाले जहाज़
फोड़ दो अपने स्टॉक मार्केट
बुझा दो ये तमाम रंगीन बत्तियां
डिलीट कर दो सरे इंस्टेंट मैसेज
उतार दो पटरियों से अपनी रेलें और लाइट रेलट्रांजिट।
अगर आपको चाहिए एक लम्हामौन, तो टैको बैल की खिड़की पर ईंट मारो,
और वहां के मज़दूरोंका खोया हुआ वेतन वापस दो। ध्वस्त करदो तमाम शराब की दुकानें,
सारे के सारेटाउन हाउस, व्हाइट हाउस, जेल हाउस, पेंटहाउस और प्लेबॉय।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रहो मौन ''सुपर बॉल'' इतवार के दिन
फ़ोर्थ ऑफ़ जुलाई के रोज़
डेटन की विराट 13-घंटे वाली सेल के दिन
या अगली दफ़े जब कमरे में हमारे हसीं लोग जमाहों
और आपका अपराधबोध आपको सतानेलगे।
अगर आपको चाहिए एक लम्हामौन
तो अभी है वह लम्हा
इस कविता केशुरू होने से पहले।
ग्यारह सितम्बर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन में मरे लोगों की याद में
और फिर एक मिनट का मौन उन सब के लिए जिन्हें प्रतिशोधमें
सताया गया, क़ैद कियागया
जो लापता हो गए जिन्हें यातनाएं दीगईं
जिनके साथ बलात्कार हुए एक मिनट कामौन
अफ़गानिस्तान के मज़लूमों और अमरीकी मज़लूमों के लिए
और अगर आप इज़ाजतदें तो
एक पूरे दिन कामौन
हज़ारों फिलस्तीनियों के लिए जिन्हेंउनके वतन पर दशकों से काबिज़
इस्त्राइलीफ़ौजों ने अमरीकी सरपरस्ती में मार डाला
छह महीने का मौन उन पन्द्रह लाख इराकियों के लिए, उन इराकी बच्चों के लिए,
जिन्हें मार डाला ग्यारह साल लम्बी घेराबन्दी, भूख और अमरीकी बमबारी ने
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरूकरूँ
दो महीने का मौन दक्षिणअफ़्रीका के अश्वेतों के लिए जिन्हें नस्लवादी शासन ने
अपने ही मुल्क में अजनबी बना दिया। नौ महीने कामौन
हिरोशिमा और नागासा की के मृतकों केलिए, जहाँ मौत बरसी
चमड़ी, ज़मीन, फ़ौलादऔर कंक्रीट की हर पर्त को उधेड़ती हुई,
जहाँ बचे रह गए लोग इस तरह चलते फिरते रहे जैसे कि जिंदाहों।
एक साल का मौन विएतनाम के लाखोंमुर्दों के लिए...
कि विएतनाम किसी जंगका नहीं, एक मुल्क का नाम है...
एक सालका मौन कम्बोडिया और लाओस के मृतकों के लिए जो
एक गुप्त युद्ध का शिकार थे... और ज़रा धीरेबोलिए,
हम नहीं चाहते कि उन्हें यह पताचले कि वे मर चुके हैं। दो महीने का मौन
कोलम्बिया के दीर्घ कालीन मृतकों के लिए जिनके नाम
उनकी लाशों की तरह जमा होतेरहे
फिर गुम हो गए और ज़बान से उतरगए।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरूकरूँ।
एक घंटे का मौन एल सल्वादोरके लिए
एक दोपहर भर का मौन निकारागुआ केलिए
दो दिन का मौन ग्वातेमालावासिओं के लिए
जिन्हें अपनी ज़िन्दगी में चैन की एकघड़ी नसीब नहीं हुई।
45 सेकेंड का मौनआकतिआल, चिआपास में मरे 45 लोगों के लिए,
और पच्चीस साल का मौन उन करोड़ों गुलाम अफ्रीकियों केलिए
जिनकी क़ब्रें समुन्दर में हैं इतनी गहरी कि जितनी ऊंची कोई गगनचुम्बी इमारत भी न होगी।
उनकी पहचान के लिए कोई डीएनए टेस्ट नहीं होगा, दंतचिकित्सा के रिकॉर्ड नहीं खोले जाएंगे।
उन अश्वेतों के लिए जिनकी लाशें गूलर के पेड़ों से झूलती थीं
दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम
एक सदी कामौन
यहीं इसी अमरीका महाद्वीप केकरोड़ों मूल बाशिन्दों के लिए
जिनकीज़मीनें और ज़िन्दगियाँ उनसे छीन ली गईं
पिक्चर पोस्ट्कार्ड से मनोरम खित्तोंमें...
जैसे पाइन रिज वूंडेड नी, सैंडक्रीक, फ़ालन टिम्बर्स, या ट्रेल ऑफ टियर्स।
अब ये नाम हमारी चेतना के फ्रिजों पर चिपकी चुम्बकीय काव्य-पंक्तियाँ भर हैं।
तो आप को चाहिए खामोशी का एक लम्हा ?
जबकि हम बेआवाज़ हैं
हमारे मुँहों से खींच ली गईहैं ज़बानें
हमारी आखें सी दी गईहैं
खामोशी का एक लम्हा
जबकि सारे कवि दफनाए जा चुके हैं
मिट्टी हो चुके हैं सारे ढोल।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू करूँ
आप चाहते हैं एक लम्हे का मौन
आपको ग़म है कि यह दुनिया अब शायद पहले जैसी नहीं रही रहजाएगी
इधर हम सब चाहते हैं कि यह पहलेजैसी हर्गिज़ न रहे।
कम से कम वैसी जैसीयह अब तक चली आई है।
क्योंकि यहकविता 9/11 के बारे में नहीं है
यह 9/10 के बारे में है
यह 9/9 के बारे मेंहै
9/8 और 9/7 के बारे मेंहै
यह कविता 1492 के बारे मेंहै।
यह कविता उन चीज़ों के बारे मेंहै जो ऐसी कविता का कारण बनती हैं।
औरअगर यह कविता 9/11 के बारे में है, तो फिर :
यह सितम्बर 9, 1973 के चीले देश के बारे मेंहै,
यह सितम्बर 12, 1977 दक्षिण अफ़्रीकाऔर स्टीवेन बीको के बारे में है,
यह 13 सितम्बर 1971 और एटिका जेल, न्यू यॉर्क में बंद हमारे भाइयों के बारे मेंहै।
यह कविता सोमालिया, सितम्बर 14, 1992 के बारे में है।
यह कविता हरउस तारीख के बारे में है जो धुल-पुँछ रही है कर मिट जाया करती है।
यह कविता उन 110 कहानियो के बारे में है जो कभी कही नहींगईं, 110 कहानियाँ
इतिहास कीपाठ्यपुस्तकों में जिनका कोई ज़िक्र नहीं पाया जाता,
जिनके लिए सीएनएन, बीबीसी, न्यू यॉर्क टाइम्स औरन्यूज़वीक में कोई गुंजाइश नहीं निकलती।
यह कविता इसी कार्यक्रम में रुकावट डालने के लिएहै।
आपको फिर भी अपने मृतकों की यादमें एक लम्हे का मौन चाहिए ?
हम आपको देसकते हैं जीवन भर का खालीपन :
बिनानिशान की क़ब्रें
हमेशा के लिए खो चुकीभाषाएँ
जड़ों से उखड़े हुए दरख्त, जड़ों सेउखड़े हुए इतिहास
अनाम बच्चों के चेहरोंसे झांकती मुर्दा टकटकी
इस कविता कोशुरू करने से पहले हम हमेशा के लिए ख़ामोश हो सकते हैं
या इतना कि हम धूल से ढँक जाएँ
फिर भी आप चाहेंगे कि
हमारी ओर से कुछ और मौन।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रोक दो तेल के पम्प
बन्द कर दो इंजन और टेलिविज़न
डुबा दो समुद्री सैर वाले जहाज़
फोड़ दो अपने स्टॉक मार्केट
बुझा दो ये तमाम रंगीन बत्तियां
डिलीट कर दो सरे इंस्टेंट मैसेज
उतार दो पटरियों से अपनी रेलें और लाइट रेलट्रांजिट।
अगर आपको चाहिए एक लम्हामौन, तो टैको बैल की खिड़की पर ईंट मारो,
और वहां के मज़दूरोंका खोया हुआ वेतन वापस दो। ध्वस्त करदो तमाम शराब की दुकानें,
सारे के सारेटाउन हाउस, व्हाइट हाउस, जेल हाउस, पेंटहाउस और प्लेबॉय।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रहो मौन ''सुपर बॉल'' इतवार के दिन
फ़ोर्थ ऑफ़ जुलाई के रोज़
डेटन की विराट 13-घंटे वाली सेल के दिन
या अगली दफ़े जब कमरे में हमारे हसीं लोग जमाहों
और आपका अपराधबोध आपको सतानेलगे।
अगर आपको चाहिए एक लम्हामौन
तो अभी है वह लम्हा
इस कविता केशुरू होने से पहले।
No comments:
Post a Comment