Sunday, December 31, 2017

1 जनवरी 2018

1 जनवरी 2018 को मुझे whats app पर यूं तो सेकडो मेसेज मिले जो शुभकामनाओं के संदेश से भरे हुये थे. उनमे एक मेल एसा था जो उन सब से अलग हटकर था.  इस मेसेज  को मेरे एक अजीज दोस्त ने बिना सोचे समझे भावनाओं मे बहकर मुझे फारवर्ड कर दिया था मे भी इसे बिना सोचे समझे आगे फारवर्ड कर सकता था पर एसा नही कर रहा हू नव वर्ष की शुरूआत एसे मेसेज से करने का मन नही हो रहा है. आगे कुछ लिखू उससे पहले आप भी इस मेसेज को पढ ले और अपनी समझ बना लें.
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कृपया नीचे लिखे सन्देश को बहुत ही गम्भीरता से पढ़ें और अपनी संस्कृति की झलक को देखेमनन करे।यदि अच्छा लगे तो आगे शेयर भी करे :- 🙏

जनवरी को क्या नया हो रहा है ?

न ऋतु बदली.. न मौसम
न कक्षा बदली... न सत्र
न फसल बदली...न खेती
न पेड़ पौधों की रंगत
न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
ना ही नक्षत्र।।

जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।

नया केवल एक दिन ही नही होता.. 
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।

ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर: 

1. प्रकृति- 
जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैंपेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. वस्त्र- 
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्रकंबलरजाईठिठुरते हाथ पैर.. 
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती हैगर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं.. 
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I

4. नया वित्तीय वर्ष- 
दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I

5कलैण्डर- 
जनवरी में नया कलैण्डर आता है.. 
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्वविवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है.. 
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I

7. पर्व मनाने की विधि- 
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते हैहंगामा करते हैरात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावनारेप जैसी वारदातपुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश.. 
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है.. 
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआतभगवान झूलेलाल का जन्मनवरात्रे प्रारंम्भब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I

अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला.. 
अपना नव संवत् ही नया साल है जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशामौसमफसलकक्षानक्षत्रपौधों की नई पत्तियाकिसान की नई फसलविद्यार्थी की नई कक्षामनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I

अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?

"केबल कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"

आओ जागेँ जगायेँभारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े I
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अगर मे इस मेसेज को फारवर्ड करू तो ही मै एक सच्चा हिन्दू कहलाउगा या हो सकता है की कल वो मेरी देश भक्ति को लेकर भी सवाल उठायें. एसे ही सेकडो मेसेज इन दिनों सोशल मिडिया पर छाये हुये है जो समाज को जोड नही वरन बांट रहे है इसे राजनितिक भाषा मे समाज और देश का polarization कहते है  आजकल एसा ही कुछ हो रहा है. हम चाहे या अनचाहे इस का हिस्सा बनते जा रहे है. कुछ लोग हमारी भावनाओं को भडकाने की पुर जोर कोशिश कर रहे है. अधूरा सच या आधा सच बताकर लोग अपनी दुकान चला रहे है.
अफसोस हम और आप भी अनजाने मे इसका हिस्सा बन जाते है. 1 जनवरी को खुश होने के मेरे अपने कारण है. कुछ कारण मे नीचे लिख रहा हू, जरूरी नही की आप मेरी सारी बातों से सहमत हों. पर मुझे मेरी बात को शांती पूर्वक कहने का हक तो है ही,   
1. मै अंग्रेजी कलेंडर को मानता हू क्योंकी मै इसे आसानी से समझता हू. यह सारी दुनिया मे सबसे ज्यादा प्रचलित और आसानी से समझ मे आने वाला कलेंडर है. 
2. धर्म और देश से परे मानवता का अहसाहस... कराने वाले इस दिन को मे खुशीपूर्वक मनाता हू और सब की खुशियों और दुआओं को कबूल करता हू. यह वो दिन है जब हम देश, धर्म और जाति से परे खुश होने कारण बनते है. .सारी दुनिया एक साथ इस दिन को मनाती है....एक मानवीय अहसाहस.
3. यह उस संस्कृति के प्रति आदर है जिसने हमे वैज्ञानिक सोच दी. पढने लिखने की आजादी दी. वरना हम ढोर गंवार ही रह जाते.
4. ब्रह्मा विष्णु महेश ...जिसका आदी है ना अंत. वो सब तो समय से परे है उसका तारीख और कलेंडर से कोइ लेना देना नही है. यह तो परम चेतना है जो उर्जा और पदार्थ के संचालन की  नियंता है. दुनिया मे सेकडो प्रकार के  कलेंडर है जिसके जन्म का कारण, उसे बनाये रखने और फिर खत्म होने का कारण  यही ब्रह्मा विष्णु महेश है. यह मात्र  विक्रम कलेंडर का ट्रेड मार्क केसे हो गया. सृष्टी की शुरूआत इस दिन से हुई यह आप की मान्यता हो सकती है... पर जिसका ना कोइ आदी है ना अंत उसकी शुरूआत इस दिन से हुई यह केसे मान लिया जाये.  वेसे इस बारे मे विस्तार से चर्चा फिर कभी.
5. भारतीय स्कूल कालेज के सत्र से  ना तो 1 जनवरी से कोइ नाता है ना विक्रम कलेंडर से.  31 मार्च से विक्रम कलेंडर कब से शुरू होने लगा ?
6. पोधों की नई पत्तियों को लेकर भी थोडा सोचिये... जम्मू से कन्याकुमारी तक यह समय अलग अलग है. और जब सारी दुनिया की बात हो तो .... हर दिन नई पोध उगती है और कटती है. सारे ब्रहमांड  की बात करते हो और सोच को मध्य भारत तक ही सिमित कर देते हो  और उसमे भी एक विशेष धर्म को.    
7. यह बात सही है की लगभग सारे भारत मे यह फसल तैयार होने का समय होता है. पर फसल दाता किसान अब फसले देखकर खुश नही होता...उसे तो इस बात की चिंता सताये रहती है की बजार मे उसे उसकी फसल के सही दाम मिलेगे या नही, या उसे भी आत्म हत्या करनी होगी. काश यह उनके लिये सही मायने मे जश्न का समय होता खुश होने का दिन होता. काश उसे सरकारी सब्सिडी पर जिंदा ना रहना पडे, उसे फसल के सही दाम मिल पाये. जिस दिन एसा हो जायेगा असल मे वो दिन किसान के लिये सही मायनों मे नया साल होगा  
8. अफसोस आप को शादी ब्याह मे दारू दिखाई नही देती...होली दिवाली  पर भी दिखाई नही देती... नव वर्ष मे यह आप को दिखाई दे रही है. अरे भई इस दिन लोग सच मे खुश होते है... और खुशी खुशी जाते साल की विदाई और आने वाल का स्वागत करते है. दारू का इससे बस इतना ही संबंध है की यह खुशी जाहिर करनी का उसे दोस्तों के साथ  मनाने का साधन है. इससे अच्छा साधन कोइ और मिलेगा तो लोग उसे अपना लेगे. जब तक  कोइ और  साधन नही है तो लोग दारू से ही काम चला रहा है  अब इसमे आप को क्या परेशानी हो गई.
दारू और मदिरा से दिखावे का विरोध...अरे इसके बिना भी कोइ जश्न होता है क्या.  देखा नही सरकारे केसे हर गली और नुक्कड पर दारू की दुकान खोलने मे लगी हुई है. अगर मै गलत नही हू तो इससे होने वाली कानूनी और गेर कानूनी कमाई से सरकारे चल रही है.  अरे मे मजाक नही कर रहा हू...देखा नही केसे पुलिस दारू की दुकानों का विरोध करने वालों पर लाठी चार्ज करती है.
मेरे जेसे करोडो अरबों लोग है जो बिना दारू के  नव वर्ष  मनाते है , पर क्या करे इस बात की कोइ चर्चा ही नही करता. क्या पता कल इसी बात को लेकर कोइ मुझे देश द्रोही ना कह दे हमारे जेसे लोग सरकार का नुकसान जो कर रहे है .
9. उपवास सेहत के लिये भले ही अच्छा हो पर  इसे लोग खुशी के साथ नही जोडते. अगर  आप ने उपवास किया हो तो पता होगा की यह असल मे कितना कष्ट कारी अनुभव होता है. नये साल मे और उपवास बात हजम नही हो रही है.  

10. वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। यह दिन इस वाक्य को याद करने का दिन है. एक साथ खुश होने का दिन है. यह हिन्दू होने का दिन नही है....यह मानव होने का दिन है. बाकी 364 दिन आप हिन्दू रहिये, हिन्दूस्तानी रहिये  कोन रोक रहा है. 
दुर्वेश😊


  

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