किसी भी व्यक्ति या संगठन की असली परिक्षा विपरीत परिस्थति में होती है. अब तक बाबा रामदेव का भ्रष्टाचार को लेकर किये जा रहे आंदोलन एक तरफा था. वो व्यवस्था पर तीखे वार किये जा रहे थे सरकार की तरफ से पलट वार ना होने से उनका होंसला बढता जा रहा था. सरकार कि तरफ से पलट वार होते ही नाजारा बदल गया मिडिया और वर्तमान व्यवस्था बाबा से सवाल करने लगी. अब बाबा को भी बहुत सारे सवालों का जबाब देना है. उनकी संस्था और कार्य इस देश में मोजूद कानून के घने जाल में फंसे नजर आ रहे है. इस व्यवस्था का चलाने का यही गूण मंत्र है अगर आप उनके साथ हो तो आपके हजार खून माफ और विपरीत जाते ही आप पर बेशर्मी की हद तक जाकर आपको किसी भी धारा में धर लेगे. जिसे चाहे उसे वो कानून के जाल में फंसा सकते है. इस तरह का कार्य सभी सत्ता रूढ दलों ने किया है.
यह सत्ता का अचूक हथियार है इससे कुछ हो या ना हो पर उनके विरूध हो रहे आंदोलन की रफ्तार धीमी हो जाती है क्योंकी उन्हे मजबूरन रक्षात्मक होना पडता है. और लोगों के बीच में संदेह गहरा हो जाता है.
इसा बार भी पलटवार होते ही UPA और NDA का धुर्वीकरण साफ नजर आ रहा है. एक बार फिर वो सब अपनी अपनी पार्टी और वोट को बचाने में लग गये है और इस सब के बीच असल मुद्दा फिर से वही का वही रह गया है. वेसे एक तरह से अच्छा ही हुआ जनता को समझ आ जायेगा की जिसे वो भ्र्ष्टाचार कहते है वो अपने आप में पूरी तरह विकसित वयव्स्था है जिसका फायदा हर राजनितिक दल ने उठाया है. यही उनकी पूंजी का मुख्य स्रोत भी है.
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