पैपर बेग और पोलीथीन बेग मे से कौन सा
बेहतर विकल्प है यह सवाल हर रोज हजारों लोगों के दिमाग मे उठता है एक बार फिर 5
जून को मनाये जाने वाले पर्यावरण दिवस पर इस सवाल पर चर्चा होगी और पोलीथीन और
प्लास्टिक को दोषी बनाया जायेगा. इस लेख मे मेरी कोशिश दोनों के बारे मे उपलब्ध जानकारी
का विशलेषण करने की है जिससे आप सभी अपने स्तर पर सही निर्णय ले सकें.
यह सच है की आज पालीथीन पर्यावरण के
लिये खतरा साबित हो रही है, पर क्या इसके लिये हम पूरा दोष पालीथीन को दे सकते है?
सच है की जो जानवर इसे खा जाते है उनके जीवन के लिये खतरा साबित होती है इससे
नालियां चोक हो जाती है. इधर उधर बिखरी पालीथीन की पन्नियां देखने मे किसी को भी अच्छी नही लगती.
यह तो पोलीथीन निष्पादन का दोष हुआ
क्योंकी हम शान से इसे कंही भी फेंक देते है जेसे आजाद देश मे हमारा यह जन्म सिद्ध
अधिकार हो. इसे सही ठिकाने लगाने का काम नगर निगम का अदना से सफाइ कर्मचारी को दे
दिया गया है. वो गरीब भी क्या करे बायोमास के बदबूदार कचरे मे से वो पन्नियां केसे
अलग करे?
मजबूरी मे वो भी इसे अनदेखा कर कूडे के ढेर पर
पटक देता है या फिर यहां वहां उडती हुई पन्नियां कभी नाली को जाम कर देती है कभी
नदी तलाबों के तैरती नजर आती है. जिस पोलीथीन को आसानी से रियासकल किया कजा सकता
था हमारी गलत आदतों के कारण हमारे लिये खतरा बन गई. अब इसके लिये हम अपनी आदतों को
सुधारे या फिर अपनी शाही आदर्तों को बरकरार रखते हुये पैपर और जूट बेग को अपना कर
उस से बढे खतरे को अपने गले लगा लें!
हमारी इस बेवकूफी को सही निराकरण पर्यावरणवादी और पर्यावरण को समर्पित हमारी सरकार को कागज या जूट से बने बेग के उपयोग मे दिखाइ देता है. इसे इस्तेमाल करो और फिर सडने के लिये इसे कंही भी फेंक दो यह जाने बिना की जब यह सड्ता है तो पर्यावरण का ज्यादा नुकसान करता है. यह नुकसान हमे समझ मे नही आता क्योंकी हमे दिखाइ नही देता. पोलीथीन पन्नियां हमे दिखाइ दे रही है शायद इसलिये हमारी आंखो मे ज्यादा खटक रही है.
हमारी इस बेवकूफी को सही निराकरण पर्यावरणवादी और पर्यावरण को समर्पित हमारी सरकार को कागज या जूट से बने बेग के उपयोग मे दिखाइ देता है. इसे इस्तेमाल करो और फिर सडने के लिये इसे कंही भी फेंक दो यह जाने बिना की जब यह सड्ता है तो पर्यावरण का ज्यादा नुकसान करता है. यह नुकसान हमे समझ मे नही आता क्योंकी हमे दिखाइ नही देता. पोलीथीन पन्नियां हमे दिखाइ दे रही है शायद इसलिये हमारी आंखो मे ज्यादा खटक रही है.
यह सही है की पैपर रिसायकल हो सकता है
पर क्या आपको मालुम है कि हमारे नदी नालों को प्रदूषित करने मे पैपर उद्योग का बडा
हाथ है. सच तो यह है की पैपर या जूट बेग पोलीथीन से कंही बडा खतरा है क्यों विशवास
नही होता ना? नीचे दिये आंकडों पर गोर करने से यह बात आसानी से समझ आ जायेगी.
Weight
|
140 lbs.
|
15 lbs.
|
||
Cubic Feet
|
17.8 cu. feet
|
0.4 cu. feet
|
||
Cost
|
8 to 10 times
|
|||
Biodegradable?
|
yes
|
yes
|
||
Recyclable?
|
yes
|
yes
|
||
Air Emissions
|
3.225 lbs. solids
|
1.62 lbs. solids
|
||
Petroleum used
|
3.67 lbs.
|
1.62 lbs.
|
||
BTUs required
|
1,629,000
|
649,000
|
||
Indefinite recycled life?
|
no
|
yes
|
||
CEII (Composite Environmental Impact Index)
|
77.69
|
6.46
|
||
Energy (GJ) for manufacture
|
29
|
67
|
||
Air pollution
|
||||
SO2
|
9.9
|
28.1
|
||
NOx
|
6.8
|
10.8
|
||
CHx
|
3.8
|
1.5
|
||
CO
|
1
|
6.4
|
||
Dust
|
0.5
|
3.8
|
||
Waste water burden
|
||||
COD
|
0.5
|
107.8
|
||
BOD
|
0.02
|
43.1
|
||
अगर उत्पादित बेग को दुकानदारों तक
उपयोग के लिये पहुचाने पर होने वाले ट्रंसपोर्टेशन का पर्यावरण के असर को भी शामिल
कर ले तो पैपर और जूट बेग के लिये स्थति और भी खराब हो जाती है. पैपर
उद्योग को बढावा यानी जंगलों का और तेजी से सफाया. प्लास्टिक बेग की तुलना में जूट या पैपर् बेग की बनाने में तीन गुना ज्यादा उर्जा
की खपत होती है. इसके बावजूद जब जूट बेग के सडने से मिथेन और कार्बनडाइओक्साइड गेसें निकलेगी उसका
दुषप्रभाव क्या होता है यह भी हम सब को मालूम है.
लोगों द्वारा कूडा कचरा केसे भी और
कंही भी फेंक देने से रोकने का काम किसका है. क्या इसके लिये भी हम को पुलिस का
डंडा चाहिये. क्यों नही उस क्षेत्र की साफ रखने की नैतिक जिम्मेदारी उस जगह के
आसपास या उसका उपयोग करने वालों के उपर डाली जाये. और जो ना करे उस पर भारी
जुर्माना. यूरोप और अमेरिका, सिंगापुर, जिन शहरों की सफाइ की दुहाइ हम देते है वंहा
गंदगी फेलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है. इसी जुर्माने की डर से लोगों ने
कचरा सही तरह से ठिकाने लगाना शुरू किया और अब वो उनकी आदत बन गया है.
बुराइ पोलीथीन बनाने या इस्तेमाल में
नही है बल्की इसके इस्तेमाल करने के बाद उसके निस्पादन के तरीके मे है. हम खराब
आदत से मजबूर कचरे को मिक्स कर देते है यानी की बायो कचरे के साथ प्लास्टिक कचरा
जिसे बाद मे अलग करना असंभव हो जाता है या फिर बेहद मंहगा साबित होता है. हम यह
समझ लें की प्लास्टिक बेग अपने आप मे इतनी बडी समस्या नही की उसकी जगह हम पैपर बेग
या जूट बेग को इस्तेमाल करने को मजबूर हो जाये समस्या की जड तो हमारी गलत आदत है.
अगर पोलीथीन को कंही भी फेकने की जगह उसे सही कचरे के डिब्बे मे डाला जाये तो
समस्या ही नही बचती. अगर सफाइ कर्मचारी मिले जुले कचरे को उठाने से ही मना कर दे
और रहवासियों को कचरे के किस्म के अनुसार अलग अलग डिब्बे मे डालने पर जोर दे तो
समस्या ही ना रहे.
क्या आपको पता है की पालीथीन और
प्लास्टिक कचरे से कमाइ हो सकती है. अगली बार भंगार वाला जब आपकी गली में आवाज लगाये तो उससे इस बारे मे
बात करके देखना.
हम सब को मालुम है की पोलीथीन और
प्लास्टिक पेट्रोलियम उत्पाद से बनते है, वही जिससे पेट्रोल और डिजल बनता है. 93%
पेट्रोलियम इधंन के रूप में इस्तेमाल होता है मात्र 4% ही प्लास्टिक या पोलीथीन
बनाने मे इस्तेमाल होता है. हर बार बहस का मुद्दा होता है की प्लास्टिक और पोलीथेन
का इस्तेमाल होने के बाद उसके कचरे का निस्पादन केसे होगा. अगर 4% प्लास्टिक कचरे
को अंत भी इधन के रूप् मे जला दिया जाये तो क्या बुराइ है!
पोलीथीन को पूरी तरह से रिसायकल किया
जा सकता है, अब तो प्लास्टिक और पोलीथीन कचरे को सडक बनाने मे भी इस्तेमाल होने
लगा है और उसके उतसाहवर्धक नतीजे मिल रहे है.
पैपर और जूट उद्योग का पानी के
स्र्तों को दूषित करने में बडा हाथ है. आजकल पैपर बेग या पैपर कोन/ ग्लास को बनाने
मे एसे पदार्थों का इस्तेमाल होता है जो इसे तुरंत सडने से रोकते है, इसके कारण यह
भी नालियों को चोक करते है. सडे-गले कागज से मिथेन उत्सर्जित होती है जो कार्बनडाइओक्साइड
से 20 गुना ज्यादा हानीकारक है.
पैपर बेगे के पक्ष मे कहा जाता है की पैपर
रिसायकल किया जा सकता है. पर क्या आपको मालूम है रिसायकल पैपर नये पैपर से ज्यादा
मंहगा होता जिसे सरकारी अनुदान देकर सस्ता किया जाता है. माना की रिसायकल पैपर को बनाने में नये पैपर की तुलना
मे कम पनी की खपत होती है. पर इंधन की खपत करीब 31% ज्यादा होती है.
अगर एक परिवार पोलीथीन बेग को साल भर
के लिये पूर्णत: रोक लगा दें तो साल भर में वो 1 लीटर तेल की बचत कर पायेगा जो
आसानी से हर रोज आधा किलोमीटर गाडी कम चला
कर या 40 वाट के बल्ब को 30 मिनिट हर रोज कम जलाकर भी इस कमी को पूरा किया जा सकता
है.
मै मानता हू की हमारी बहुत सी पर्यावरण
समस्याओं की तरह पोलीथीन / पैपर बेग की
समस्या का हल आसान नही है, पर हम सब के सम्मलित पर ठोस प्रयास अच्छे नतीजे ला सकता
है. अपनी आदतों मे थोडा सा सुधार लाकर हम पोलीथीन को अपना और पर्यावरण का दोस्त
बना सकते है.
हम प्रण लें की :
1. ह्म पोलीथीन और
पैपर बेग के अति प्रयोग से बचेगें.
2. पोलीथीन को
प्राथमिकता देगें पर उसके निस्पादन को भी सुनिन्श्चित करेगें.
3. जब पोलीथीन बेग
का सही निस्पादन करने में संदेह हो, तो ही हम पैपर बेग का इस्तेमाल करेगें.
4.
कचरे को उसके
प्रकार के अनुसार सही कचरे के डिब्बे मे डालेगें.
5. अच्छा हो की
दुकानदार केरी बेग के लिये ग्राहक से पूछे. जब तक ग्राहक ना मांगे उसे पोलीथीन या
पैपर बेग देने से बचे. अगर ग्राहक बेग मे लेने से मना करे तो उसके लिये उसे धन्यवाद
दें.
6. सामान की
अतिरिक्त पैकिंग से बचे. हम अकसर पहले से ही पैक किये सामान को एक बेग में और फिर
वो बेग दूसरे बेग मे डालते है, जब की उस सामान को कुछ दूर खडी गाडी में रखना भर
होता है.
7. हमारी गलत आदतों
के कारण सरकारी एजंसियों को मजबूरन बाजार मे 40 माइक्रोन से कम मोटाइ की पोलीथीन
बेग पर रोक लगानी पडी जबकी 10 से 15 माइक्रोन की पोलीथीन भी एक सामान्य पैपर बेग
का आसानी से मुकाबला कर सकती है. बस हमे इतना करना है की इस्तेमाल के बाद उसे सही
कचरे के डिब्बे मे डालें.
8. हम कचरे को
पोलीथीन में डालकर उसे सीधे कचरे मे डाल देते है. एसा कभी ना करें. पोलीथीन बेग
के कचरे को उसके सही कचरे के डिब्बे मे डालने के बाद पोलीथीन को भी उसके लिये किये गये नियत
डिब्बे मे डाल दें.
9. हम अकसर घरों मे
पैदा होने वाले कचरे को पोलीथीन मे भर देते है और फिर उस कचरे को पोलीथीन के साथ
ही कचरे की डिब्बे डाल देते है. जो गलत है. इससे पोलीथीन और बायोमास एक साथ मिसक्स
हो जाता है जिसे बाद मे अलग नही कर पाते. हमें पोलीथीन मे मोजूद गंदगी को उसके
सही कचरे के डिब्बे मे डाल कर पोलीथीन को भी उसके सही कचरे के डिब्बे डालना चाहिये.
10. 100% रिसायकल हो
सकने वाली पोलीथीन का फायदा समाज को दें.