विश्व
की सरकारों ने जिस तरह इस बिमारी पर
रियेक्ट किया वो काबिले गोर है. हमारी सरकार ने भी उसकी
मात्र नकल भर की और नतीजा सामने
है. ..धूल चाटती अर्थव्यवस्था. हम विश्व गुरू होने का सपना पालते है और WHO के
समझने मे नाकाम हो जाते है.
एक साधारण से इंफुलेंजा वायरस को किस तरह बिकाऊ मिडिया की मदद से कुछ लोगों ने विश्व की महामारी
घोषित करा दिया,जिस ने भी उसके विरोध मे लिखा या बोला उसका मुह
बन्द कर दिया जा रहा है . आज जब इसके बारे
मे सारी जानकारी उपलब्ध है फिर भी सरकार की हिम्मत नही हो रही है की वो बता सके की
सब ठीक है. इसके उल्ट उसे हर गुजरते दिने के साथ ओर भयावह दिखाने की बेशर्म कोशिश जारी है.
भय को एक बार फिर से बेशर्म उपयोग. ये बेशर्म लोग अर्ध सत्य का भरपूर उपयोग कर रहे है. हम वही देख रहे है जिसे ये दिखा रहे है. मेरी ज्ञानियों से गुजारिश है की वो पूरा सच जाने और इस षडयंत्र को उजागर करे. मुझे पूरा अंदेशा है की WHO इस षडयंत्र का हिस्सा है क्योंकी पिछले 5 महोनों का जो डाटा उपलब्ध है उसके आधार पर यह साफ है की यह कोइ खतरनाक महामारी नही है, पर इसे अभी भी सर्वव्यापी महामारी बनाने की भरपूर कोशिश की जा रही है. WHO अपनी गलती स्वीकार नही कर रहा है जिससे साफ है की वो किसी के दबाब मे काम कर रहा है. सरकारे जनता को पूरा सच बताये, जनता को बताया जाये की इस वायरस के आने से पहले भी इसी अनुपात मे लोग इंफ्लुएंजा से पीडित होते थे. पर एसा नही हो रहा है.
भूख और बेरोजगारी इस बिमारी से लाख गुना खतरनाक है पर इस पर अभी भी किसी का ध्यान नही जा रहा है. उद्योग धंधे सब लगभग बंद है. सरकार को टेक्स नही मिल रहा, एसे मे देश का मजदूर, मिलट्री,और मनी (3M) संकट मे है. स्वास्थ्य,
शिक्षा और नागरिक सुरक्षा की हालत दयनीय
है. अगर हम इस डर से बाहर नही निकले तो सब खत्म. आज कोविड-19 है कल कोइ ओर वायरस
होगा. मरना तो एक दिन सबको है. अब यह आपको तय करना है की आप आजाद देश मे मरना
चाहते हो या गुलाम देश मे.
इस बिमारी को फ्रंट पेज न्यूज बनाना बंद करे. वेसे ही काम पर जाना शुरू करे जेसे पहले जाते थे. यह वायरस
तो जाने से रहा. वेक्सिन आप को कब तक बचायेगी और कितने वायरस से बचायेगी. इसलिये अपनी
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाये,यह कोइ राकेट साइस नही है. यह ज्ञान हमारे यंहा आसानी से
उपल्ब्ध है.
अगर हम डर से बाहर नही निकले तो मेरा विश्वासा मानिये की हम 100वी आजादी की सालगिरह किसी की गुलामी मे मना रहे होगे.
अगर हम डर से बाहर नही निकले तो मेरा विश्वासा मानिये की हम 100वी आजादी की सालगिरह किसी की गुलामी मे मना रहे होगे.
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