क्षमा गेरों से नही अपनों से मांगो
mail या sms पर नही
जब आमने सामने हो
तब मांगो
अनके लिये दिल मे
अगर हो कोइ खटास
तो उसे निकाल कर मांगो
भूल कर भी अंहकार, अभिमान या अहसान
आपको छू भी ना पाये
याद रहे
माफ ओरों को कर
नियति के दुशचक्र से
अपने को निकाल
भला अपना करोगे
होगा ना यह आसान
जब भी जिसके साथ
करोगे सच्चे मन से यतन
एक इश्वरीय अहसाहस से
अपने को सरोबार पाओगे
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