सत्य और इमानदारी एश और आराम की जिदंगी जीने का मंत्र नही है. ना ही यह आदर और
सम्मान पाने का आसान रास्ता. सत्य
और इमानदारी को राजा हरीशचन्द्र की तरह अपने
ही बेटे की मौत पर अपनी ही पत्नी से कफन पर भी टेक्स वसूल करने पर मजबूर होना पडता
है. मीरा को जहर का प्याला पीना पड्ता है, इसा को सूली पर चढाया जाता है.
सत्य और इमानदारी तो तपस्या है जो लोग आदर और सम्मान की परवाह किये बिना करते
रहते है क्योंकी यह उनका विशवास है की मानव जाति को अनंत काल तक बनाये रखने का यही
एक सही रास्ता हो सकता है. इसी विश्वास के कारण वो हंसते हंसते जहर का प्याला पी
लेते है, फांसी पर चढ जाते है या सूली पर लटक जाते है. इसलिये आगर आप सत्य का या
इमानदारी को आदर या सम्मान पाने का आसान रास्ता समझ बैठे है तो भगवान आपका भला करे!!...राम
हो या कृष्ण वो आग में तप कर कुंदन बने....मै नही मानता वो सब उन्होने आदर या
सम्मान पाने के लिये किया होगा. उस समय आदर या सम्मान राजसत्ता के साथ मिलकर कंही
आसानी से पा सकते थे....पर तब वो इश्वर तुल्य नही हो पाते.....आदर के
साथ....दुर्वेश
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