हाल ही मे मुझे एक मेल मिला, वो बुद्ध धर्म के अनुयायी की भेजी एक धार्मिक अपील थी . उस लेख में सब से पंचशील के सिद्धांत पर चलने की अपील की गई थी. उसी मेल मे आगे पंचशील के सिद्धांत को समझाया गया की पांच शील है 1. हिंसा न करे, 2. चोरी न करे, 3. असत्य न बोले, 4. नशा न करे और 5. व्यभिचार न करे।
मेल दाता ने लिखा था की समाज में पंचशील के सिद्धांत के बजाय लोभ, लालच, चोरी, व्यभिचार, भ्रष्टाचार व दुराचार फैलता जा रहा है। जिसे कानून बनाकर दूर करना मुमकिन नहीं है, क्योंकि कानून के रखवाले और पालन कराने वाले ही अब लोभ, लालच, चोरी, व्यभिचार, भ्रष्टाचार व दुराचार मे लिप्त हो गये है.
उसे पढकर मुझे लगा की काश एसा हो पाता और लोग इसका पालन करते तो हर ओर खुशहाली होती. इतना सीधा बात लोगो को क्यो समझ नाही आई। बहुत सोचा, जो मुझे समझ आया वो लिख रहा हू। यह मेरे व्यक्तिगत विचार है। किसी को इससे ठेस लगे तो एडवांस मे माफी।
मेलदाता सोचते है की पंचशील का सिद्धांत अपनाने से संसार के सारे दुख दूर हो जायेगे पर शायद उन्हे यह पता नही है की पंचशील का सिद्धांत तो मात्र एक पद्धति है, एक औजार है जिसे कोइ भी संगठन अपनाकर अपना मकसद पाने की राह मजबूत करता है. इस बात से कोइ फर्क नही पडता की उसे अपनाने वाला आंतकी संगठन है या फिर कोइ परोपकारी या धर्माथ कार्य मे लगा संगठन है या बुद्ध के अनुयायी.
उपरोक्त सिंद्धांत ना तो सरल है ना सीधा, क्योंकी यह हमारे हर दिन होने वाले निजी अनुभव से मेल नाही खाता। जब जिंदगी ही लोभ, लालच, और असत्य पर टिकी हो, तो इसे समझना और कठिन ही जाता है। पर जब समाज या संगठन इनका कढ़ाई से पालन अपने व्यवस्था को चलाने मे करता है तो वो मजबूत बनाता है। अपने आस पास देखे और समझे की लूट खसोट करने वाले जब इसे अपनाकर एक जुट हो जाते हो तो क्या होता है. यह तो वो गोंद है जिसे कोइ भी गुट अपनाकर मजबूत होता है, एक होता है. एसे गुट को भेदना अंसभव सा होता है.
आप को क्या लगता है की आंतकवादी गुट , ड्रग माफिया, स्मगलर, इसका पालन नही करते होंगे! देखा जाये तो आज उनसे ज्यादा इसका पालन कोइ ओर नही कर रहा है. फिर वो चाहे डी कंपनी हो या कोइ ओर. देखा जाये तो एसे किसी भी गुट पर नजर डालिये उनकी अंदरूनी संरचना तो आपसी भाइचारे पर ही आधारित होती है. वो इसका पूरी तरह से पालन करते है, क्योंकी वो अच्छी तरह जानते है की किसी भी गुट की मजबूती के लिये यह सिद्धांत आधार स्तंभ है.
आप को क्या लगता है की आइ एस जेसे आंतकवादी गुट इसका पालन नही करते होंगे?
देखा जाये तो उन्हे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए वो आपस मे सच बोलते है, आपस मे चोरी नही करते, ये दूसरों के प्रति भले ही हिंसा करते हो पर ये आपसे हिंसा नही करते। इतिहास गवाह है कि जब भी आपस मे हिंसा हुई वो खत्म हो गए। नशा और व्यभचार का तो वो वायापार करते है इसलिए इसकी बुराई को उनसे ज्यादा कोन जानता है ...गंदा है पर धंधा है। वो इससे अपने को बचाए रखने की भरपूर कोशिश करते है। इनके आपस का भरोसा इतना होता है कि करोड़ो की डील बिना लिखा पढ़ी के हो जाती है।
कुछ लाख लोग इसे अपनाकर आज करोडो लोगों पर हावी हो रहे है. ये आपस मे असत्य नही बोलते, चोरी नही करते. सब मिल बांटकर कर पहले से तय मानदंडो के आधार पर लूट का बटवारा करते है. वो एक दूसरे पर पूरा विश्वास करते हुये पंचशील का पालन हम और आप से ज्यादा करते है. ये आपस मे लाखों करोडो का लेनदेन भरोसे पर बिना किसी लिखापढी के करते है. पंचशील को अपनाकर वो आज जम कर लूट खसोट कर रहे है.
सच तो यह है की पंचशील का धर्म से कोइ लेना देना नही है. यह भी प्राकृति के गुरत्वाकर्षण नियम की तरह है जो अच्छे और बुरे मे फर्क नही करता. पंचशील के सिद्धांत तो एक तपस्या है जिसे कोइ भी सिद्ध कर सकता है. ज्यादातर उनका लालच और डर उन्हे पंचशील अपनाने को मजबूर कर देता है
सुख दुख से परे जाकर एक अच्छा समाज बनाने के लिये इसे आप भी अपना सकते है. एसे मे इसे आसान रास्ता समझने की भूल कभी ना करे. पंचशील का सुख से कोइ सीधा संबध ही नही है. यह सुख की सीधी गांरटी भी नही है. हाँ यह एक अच्छे समाज या मजबूत संगठन की गारंटी जरूर है , कोई भी संगठन या समाज इसे अपना कर अपने को सुखी और संपन्न बन सकता है। राजनैतिक पार्टीया इसे अपनाकर एक अच्छे देश का निर्माण कर सकती है....इस देश को विश्वगुरू बना सकती है
बाजरवाद के युग मे, जिसके दिन की शुरूआत डर और लालच से होती हो उसे यह पंचशील असंभव ही लगेगा। उनके लिए तो आसान रास्ता छल कपट और सीना जोरी का है. बजार की चमक दमक और जल्दी अमीर बन जाने की आंकक्षा इस कदर प्रबल है की पंचशील के सिद्धांत अपनाने की किसी को फुर्सत नही है. और कुछ लोग दिन रात इसी कोशिश मे लगे रहते है की आम आदमी कभी भी एक ना हो जाये. उसकी ताकत बटी रहे. वो चाहते है की गरीब ओर गरीब हो जाये और अंन्त मे सब जंगल राज, जिसे पंचशील आधारित कोइ भी गुट आसानी से अपना गुलाम बना सकता है.
यह देश और उसके करता धर्ता कब समझेगा की आज पंचशील की सबसे ज्यादा जरूरत है. पंचशील का सिद्धांत अपनाकर अगर कमजोर और बिखरा हुआ सर्व हारा वर्ग एक जुट और मजबूत बन जाये तो चंद लालची और लोभी अपने आप सीधे रास्ते पर आ जायेगे. पर एसा होगा नही। ....इस बारे मे मंथन किसी ओर लेख मे।
दुर्वेश - webmanthan.blogspot.com
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